वाराणसी : आयकर विभाग ने 22 जिलों का नोडल केंद्र बनाया है, जहां से पूरे पूर्वांचल के खातों पर नजर रखी जाएगी. इसके लिए बाकायदा आधुनिक एआई तकनीक का प्रयोग किया जाएगा. यह तकनीक हर बड़े ट्रांजेक्शन पर नजर रखेगी. इसके साथ ही विशेष टीमों के जरिए उम्मीदवार व अन्य लोगों के आय-व्यय के ब्यौरे पर भी नजर रखा जाएगा. देश में आचार संहिता लागू होने के साथ ही इलेक्शन कमीशन ने हर चीज का खर्च निर्धारित कर दिया है. एक फिक्स अमाउंट से ज्यादा कोई भी प्रत्याशी पैसे नहीं खर्च कर सकेगा. इनके खर्चों पर वाराणसी जिला निर्वाचन की टीम नजर रखेगी.
निगरानी के लिए टीमें की जा रही हैं तैयार :वाराणसी सहित पूर्वांचल में लगने वाले जिलों में होने वाले मतदान को लेकर निर्वाचन की टीमें तैयारी कर रही हैं. मतदाताओं से जुड़ी समस्या से लेकर आचार संहिता के उल्लंघन के मामलों तक की जानकारी पर ध्यान दिया जा रहा है. इसके लिए अलग टीमों का गठन किया गया है. वहीं, इस चुनाव में यह भी ध्यान रखा जा रहा है कि कौन सा प्रत्याशी कितने रुपये चुनाव प्रचार के लिए खर्च कर रहा है और किन-किन मदों में खर्च कर रहा है. इसको लेकर चुनाव आयोग ने स्टेट वाइज खर्च को लेकर एक लिस्ट जारी कर दी है. उत्तर प्रदेश में प्रति प्रत्याशी 95 लाख अधिकतम खर्च निर्धारित किया गया है.
एआई से बैंक ट्रांजेक्शन पर रखी जा रही नजर :अपर आयुक्त निदेशक (इन्वेस्टिगेशन) अतुल कुमार पांडेय का कहना है कि आयकर अधिकारी विश्वजीत मुखर्जी को वाराणसी का नोडल अधिकारी बनाया गया है. इसके साथ ही गोरखपुर, देवरिया, कुशीनगर, महाराजगंज, प्रयागराज, कौशांबी, प्रतापगढ़, फतेहपुर, आजमगढ़, मऊ, बलिया, चंदौली, जौनपुर, भदोही, गाजीपुर, सोनभद्र, मीरजापुर, सिद्धार्थनगर, बस्ती, संतकबीरनगर और अंबेडकरनगर में भी नोडल अधिकारी नियुक्त किए गए हैं. इसके साथ ही विशेष टीम भी तैयार की गई है, जो प्रत्याशियों के बैंक खातों पर नजर रखेगी. हर बड़े ट्रांजैक्शन पर एआई तकनीक से निगरानी रखी जा रही है. इसके लिए विभाग ने स्पेशन विंग तैयार की है.
95 लाख से अधिक नहीं खर्च कर सकते प्रत्याशी :ऐसे में वाराणसी निर्वाचन अधिकारी प्रत्याशियों के हर खर्चे पर अब नजर रख रहे हैं. प्रत्याशियों को 95 लाख से अधिक नहीं खर्च करना है. इसके साथ ही पंडाल आदि पर किए गए खर्चे का भी ब्यौरा देना होगा. जिला निर्वाचन अधिकारी एस राजलिंगम का कहना है कि खर्च का ब्यौरा हर प्रत्याशी को देना होगा. जो गाइडलाइन चुनाव आयोग की तरफ से जारी की गई है, उसका पालन करना होगा. नियमों से बाहर जाकर चुनावी पोस्टर और पंफलेट का भी प्रकाशन नहीं होगा. अगर ऐसा होता है तो दोषी को 6 महीने का कारावास और आर्थिक दंड भुगतना होगा. पोस्टर आदि में प्रकाशक का नाम व पता लिखा जाना भी जरूरी होगा.