Income Tax Rules Changes:वित्त वर्ष 2023-24 अब खत्म होने की कगार पर है और 1 अप्रैल से नए वित्त वर्ष का शुभारंभ हो जाएगा. यानि एक अप्रैल से नया कारोबारी साल शुरू हो जाएगा. 1 अप्रैल का दिन काफी अहम होता है, क्योंकि पर्सनल फाइनेंस से जुड़े अधिकतर बदलाव इसी दिन से लागू होते हैं. बजट में हुए अधिकतर एलान भी इसी दिन से लागू होते हैं. नया वित्त वर्ष शुरू होने पर आपके पैसों से जुड़े नियमों में कई बदलाव देखने को मिलेंगे. इसलिए आपको यह खबर जरूर पढ़नी चाहिए.
31 मार्च तक चुन लीजिए टैक्स व्यवस्था
इस नए वित्तीय साल के प्रारंभ में इनकम टैक्स से जुड़े नियमों में भी बदलाव देखने को मिलेगा, जिसका सीधा असर टैक्स देने वाले व्यक्तियों पर पड़ेगा. इस वर्ष अपने बजट भाषण में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कुछ जरूरी आयकर नियमों की घोषणा की थी, जिनके बारे में सभी टैक्सपेयर्स को जागरूक होने की जरूरत है. वैसे अगर आपने अभी तक पुरानी कर व्यवस्था और नई कर व्यवस्था में से किसी को नहीं चुना है, तो आप 31 मार्च तक अपनी सहूलियत के हिसाब से टैक्स फाइल करने का तरीका पसंद कर लीजिए. अगर आप फिर भी 31 मार्च तक दोनों टैक्स व्यवस्था में से कोई व्यवस्था नहीं चुनते, तो आप ऑटोमैटिक न्यू टैक्स व्यवस्था में शिफ्ट हो जाएंगे.
नई टैक्स व्यवस्था में आपको सात लाख रुपये तक की कमाई पर कोई टैक्स नहीं लगेगा. लेकिन, अगर आप निवेश करके टैक्स बचाना चाहते हैं, तो फिर आपके लिए पुरानी टैक्स व्यवस्था बेहतर हो सकती है. सरकार के इस फैसले के पीछे का मुख्य उद्देश्य टैक्सों के भुगतान करने की प्रक्रिया को आसाना बनाना है. साथ ही कम कटौती और छूट के साथ कम कर दरों को चिह्नित करके नई कर प्रणाली को अधिक गति देना है.
कुछ इस प्रकार होंगे नए टैक्स स्लैब
अगर आपकी इनकम 3 लाख रुपए तक की है तो आपको टैक्स नहीं लगेगा. वहीं अगर आपकी आय 3 लाख से 6 लाख तक की है तो आपको 5% टैक्स देना पड़ेगा. लेकिन यहां ध्यान देने वाली बात ये है कि 7 लाख तक की आय पर टैक्स रिबेट और 50 हजार रुपए स्टैंडर्ड डिडक्शन का फायदा भी आपको मिलता है. वहीं अगर आपकी इनकम 9 लाख से 12 लाख तक की है तो आपको 15% टैक्स लगेगा. साथ ही अगर आपकी आय 12 लाख से 15 लाख तक की है तो आपको 20% टैक्स देना पड़ेगा. अगर आपकी सालाना कमाई 15 लाख से अधिक है तो आपको 30% टैक्स देना पड़ेगा. 5 करोड़ रुपये से अधिक की आय पर 37% अधिभार की उच्चतम दर को घटाकर 25% कर दिया गया है, जिससे उच्च आय वाले करदाताओं के लिए प्रभावी कर दर कम हो जाएगी जो नई कर व्यवस्था का विकल्प चुनते हैं.