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शानदार सफलता के एक साल, चंद्रयान-3 की लैंडिग के पलों को याद कर भावुक हुए साइंटिस्ट सुधांशु कुमार - NATIONAL SPACE DAY

By ETV Bharat Bihar Team

Published : Aug 23, 2024, 8:51 PM IST

WHEN VIKRAM LANDED ON THE MOON: 23 अगस्त 2023 का दिन हर भारतीय के लिए बेहद ही गर्व भरा और शानदार दिन था जब चंद्रयान-3 पर सवार होकर पहुंचे विक्रम ने चांद के दक्षिणी ध्रुव पर सफलता पूर्वक उतरकर पूरी दुनिया में नया कीर्तिमान स्थापित किया था. जिस चंद्रयान के जरिये विक्रम ने अपना लक्ष्य हासिल किया था, उस चंद्रयान को बनानेवाली टीम में शामिल थे गया के सुधांशु कुमार जो उस पल को याद कर आज भी भावुक हो जाते हैं, पढ़िये पूरी खबर,

23 अगस्त 2023 जब हिंदुस्तान ने बनाया कीर्तिमान
23 अगस्त 2023 जब हिंदुस्तान ने बनाया कीर्तिमान (ETV BHARAT)

साधारण घर में पले-बढ़े हैं सुधांशु कुमार (ETV BHARAT)

गयाः बिहार के गया के रहनेवाले ISRO साइंटिस्ट सुधांशु कुमार की आंखों के सामने आज भी वो पल साकार हो उठता है जब चंद्रयान-3 की चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सफलता पूर्वक लैंडिंग हुई थी और हिंदुस्तान ने अमेरिका, रूस और चीन जैसे दिग्गजों को पछाड़कर सफलता का नया कीर्तिमान स्थापित किया था.दरअसल ISRO के वैज्ञानिकों की जिस टीम ने चंद्रयान-3 मिशन की सफलता सुनिश्चित की थी, उस टीम के अहम हिस्सा थे गया के रहनेवाले ISRO साइंटिस्ट सुधांशु कुमार.

23 अगस्त 2023 का वो ऐतिहासिक पलः चंद्रयान-3 का प्रक्षेपण श्रीहरिकोटा से ISRO ने 14 जुलाई 2023 को किया था और इसकी सफल लैंडिंग 23 अगस्त 2023 को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर हुई थी. श्री हरिकोटा से चंद्रयान 3 का प्रक्षेपण करने वाली ISRO वैज्ञानिकों की टीम में ISRO साइंटिस्ट सुधांशु कुमार भी शामिल थे. बिहार के गया के रहनेवाले सुधांशु कुमार चंद्रयान-3 के लॉन्च व्हीकल बनाने वाली टीम में शामिल थे.

राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस (ETV BHARAT GFX)

30 लोगों की टीम ने तैयार किया था लॉन्च व्हीकलः चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग कर भारत ने अंतरिक्ष के क्षेत्र में सफलता की बड़ी गाथा लिख दी थी. चंद्रयान-3 के लॉन्च व्हीकल बनाने की टीम में ISRO के 30 लोग शामिल थे, जिसमें तीन वैज्ञानिक थे. इसमें बिहार के गया के रहने वाले इसरो वैज्ञानिक सुधांशु कुमार भी शामिल थे. सैटेलाइट को ऑर्बिट तक पहुंचाने का काम लॉन्च व्हीकल की मदद से ही होता है. मिशन चंद्रयान 3 में शामिल रहे ISRO वैज्ञानिक सुधांशु से ईटीवी भारत ने खास बातचीत की. इस दौरान उन्होंने चंद्रयान-3 के प्रक्षेपण (14 जुलाई 2023) से लेकर चंद्रमा की सतह पर सफल लैंडिंग (23 अगस्त 2023) के अनुभव साझा किए.

सुधांश के पिता चलाते हैं आटा मिल (ETV BHARAT GFX)

शानदार सफलता के पल याद कर भावुक हुए सुधांशुः सुधांशु कुमार ने ईटीवी भारत से चंद्रयान-3 को लेकर कई बातें साझा कीं. सुधांशु के मुताबिक जब चंद्रयान-3 की लैंडिंग हो रही थी, तो उत्साह के साथ-साथ तनाव भी था.पूरे मिशन पर देश के 140 करोड़ लोगों की नजर थी. हमने इतिहास लिखा, चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग हुई.

"चंद्रयान-3 की लैंडिंग के अनुभव को शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता है. वह अविस्मरणीय क्षण था. हमने अंतरिक्ष के क्षेत्र में इतिहास गढ़ दिया और पूरे विश्व में लोहा मनवाया. पूरी दुनिया जो नहीं कर सकी, उसे भारत ने किया और चंद्रयान-3 को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के सतह पर सफल लैंडिंग कराई. यह क्षण बिलकुल अलग मूवमेंट वाला था, इसे कहकर नहीं बताया जा सकता."-सुधांश कुमार, साइंटिस्ट, ISRO

ISRO साइंटिस्ट सुधांशु कुमार (ETV BHARAT)

पीएम मोदी ने किया था 'नेशनल स्पेस डे' मनाने का एलान: सुधांशु कुमार बताते हैं कि चंद्रयान 3 की सफल लैंडिंग के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ISROके केंद्र पर आए थे और उन्होंने 23 अगस्त की ऐतिहासिक तारीख को हर साल राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की. आज पूरा देश नेशनल स्पेश डे मना रहा है. इसकी थीम है 'टचिंग द मून थ्रू टचिंग द लाइफ'.इसे लेकर अवेयरनेस प्रोग्राम भी आयोजित है. इसका मकसद है स्कूली बच्चों और युवाओं को स्पेश से जुड़ी जानकारियों के बारे में जागरूक किया जाए और उन्हें इससे जोड़ा जाए.

आटा चक्की से चंद्रयान तक सफरः गया जिले के खरखुरा मोहल्ले के रहनेवाले सुधांशु कुमार को 'पार्ट ऑफ इसरो' होने पर गर्व है. सुधांश कुमार बिल्कुल साधारण परिवार में पले-बढ़े हैं. उनके पिता महेंद्र प्रसाद आटा मिल चलाते हैं जबकि उनकी मां बिंदु देवी गृहिणी हैं. हालांकि, वर्ष 2021 में इसरो का साइंटिस्ट बनने के बाद अब इस परिवार के संघर्ष के दिन अब पीछे छूटने वाले हैं.

पिताजी चलाते हैं आटा मिल (ETV BHARAT)

संघर्ष भरा रहा बचपनःसुधांशु कुमार का प्रारंभिक जीवन काफी संघर्ष से भरा रहा. पिता आटा मिल चलाते थे और सुधांशु भी अपने पिता के काम में हाथ बंटाते थे.जब भी वक्त मिलता वे आटा मिल में अपने पिता महेंद्र प्रसाद को सहयोग करते. सुधांशु के मन में बचपन से ही कुछ बड़ा करने का ख्वाब पल रहा था और उस दिशा में पूरे जज्बे के साथ उन्होंने मेहनत भी की.

आर्थिक कमजोरी नहीं बन पाई बाधाःपरिवार की आर्थिक कमजोरी के कारण सुधांशु ने पांचवीं तक की पढ़ाई गांव के ही एक छोटे प्राइवेट स्कूल से पूरी की और फिर आठवीं तक सरकारी मध्य विद्यालय खरखुरा से पढ़ाई पूरी की.सरकारी स्कूल आरआर अशोक उच्च विद्यालय से मैट्रिक की परीक्षा पास की.

अपने परिवार के साथ सुधांशु (ETV BHARAT)

पिता ने नहीं होने दी किसी चीज की कमीःसुधांशु की प्रतिभा देख पिता महेंद्र प्रसाद ने अपनी जिंदगी की सारी खुशियां सुधांशु की पढ़ाई के नाम कर दीं. उन्होंने सुधांशु की उच्च शिक्षा में पैसे की कमी नहीं खलने दी. सुधांशु जब एक बार पढ़ने बैठते थे तो कई घंटों तक नहीं उठते थे. उन्होंने गया के ही लालू मंडल कॉलेज से इंटर की परीक्षा पास करने के बाद बीटेक किया. इसके बाद IIT, रुड़की से एमटेक कर ISRO में साइंटिस्ट बने.

मां बिंदु देवी ने कई घंटों तक की पूजाःसुधांशु कुमार चंद्रयान-3 मिशन को लेकर बताते हैं कि चंद्रयान 3 का बजट जो था, वह इतना कम था जितने में एक हॉलीवुड मूवी रिलीज नहीं होती है. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (ISRO) का पार्ट होने पर सुधांश को गर्व है और वो कहते हैं कि यहां सबसे अच्छी बात है कि करप्शन नाम की कोई चीज नहीं है.बता दें, कि पिछले वर्ष 23 अगस्त को जब चंद्रयान 3 की लैंडिंग होने वाली थी, तो उस दिन सुधांशु की मां बिंदु देवी ने घंटों पूजा की थी.

युवाओं को सुधांशु का संदेशः सुधांशु कहते हैं कि मेरे पिता आटा चक्की चलाकर मुझे इस मुकाम तक पहुंचा सकते हैं तो आप युवा भी अपनी जिंदगी में मेहनत और लगन के दम पर अपने सपनों को पूरा कर सकते हैं. बस पॉजिटिव सोच के साथ अपने लक्ष्य पर नजर होनी चाहिए.

"नेगेटिव सोच को कभी हावी न होने दें. युवा पीढ़ी को चाहिए कि हमेशा पॉजिटिव सोच बनाकर रखें. आज के युग मे टेक्नोलॉजी का विशेष महत्त्व है इसलिए युवा पीढ़ी टेक्नोलॉजी पर ध्यान दे और अपने भविष्य को सकारात्मक सोच के साथ निखारे."सुधांश कुमार, साइंटिस्ट, ISRO

चंद्रमा पर पहुंचनेवाला चौथा देश बना भारतः बता दें कि 23 अगस्त 2023 को भारत के इतिहास में स्वर्णाक्षरों में अंकित हो गया जब देश का तीसरा चंद्रयान मिशन सफलतापूर्वक पूरा हुआ. ISRO की ओर से 14 जुलाई 2023 को लॉन्च किए गये चंद्रयान-3 के जरिये विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर लैंडिग की. इसके साथ ही भारत चंद्रमा पर पहुंचनेवाला चौथा देश और चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचनेवाला पहला देश बना. जिस प्वाइंट पर चंद्रयान-3 की लैंडिंग हुई थी उसे शिव शक्ति प्वाइंट नाम दिया गया था.

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