नर्मदापुरम: साल में एक बार नागद्वार जाने का रास्ता हिल स्टेशन पचमढ़ी से होकर सतपुड़ा की सर्पिलाकार पहाड़ियों से होकर जाता है. यह रास्ता नाग लोक पहुंचता है. दरअसल, नागद्वारी पर लगने वाले मेले की शुरुआत 1 अगस्त से हो गई है. यह मेला 10 अगस्त तक लगेगा. इस मेले में मध्य प्रदेश के अलावा देशभर से लाखों की संख्या में श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं. इन दस दिनों में लाखों की संख्या में पहुंचने वाले श्रद्धालुओं के लिए जिला प्रशासन ने भी पूरी व्यवस्था की है. वहीं जिला पंचायत सीईओ सोजान सिंह रावत के अनुसार इस बार एक हजार से अधिक शासकीय कर्मचारी व्यवस्था में लगाए हुए हैं. साथ ही पुलिस व्यवस्था, जल व्यवस्था लाइट व्यवस्था सहित अन्य व्यवस्थाओं के लिए प्रशासन ने यहां व्यवस्थाएं कर रखी हैं.
नागद्वारी मेले में हर वर्ष पहुंचते हैं लाखों श्रद्धालु
मध्य प्रदेश के हिल स्टेशन पचमढ़ी से होकर जाने वाले पवित्र स्थान नागद्वारी मेला हर साल लगता है. मेले में प्रदेश सहित महाराष्ट्र के लाखों श्रद्धालु पहुंचते हैं. वहीं नागपंचमी के दौरान यहां लाखों की संख्या में भक्तों की पहुंचने की संभावना है. हर साल सावन में सिर्फ एक बार ही नागद्वारी की यात्रा और दर्शन का मौका मिलता है. यह स्थान सतपुड़ा टाइगर रिजर्व क्षेत्र में होने के कारण यहां आम दिनों में प्रवेश वर्जित होता है. सतपुड़ा टाइगर रिजर्व फॉरेस्ट प्रबंधन यहां जाने वाले रास्ते का गेट बंद कर देता है. प्रतिवर्ष इस मेले में भाग लेने के लिए लोग जान जोखिम में डालकर करीब 20 किलोमीटर पैदल चलकर पहुंचते हैं. सावन में नागपंचमी के पहले से ही कई राज्यों के श्रद्धालु, खासतौर से महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश के भक्तों का आना यहां आना शुरू हो जाता है.
यात्रा के दौरान सांपों से भी होता है सामना
पचमढ़ी से होकर सतपुड़ा टाइगर रिजर्व की दुर्गम स्थानों से पहुंचते हुए श्रद्धालु नागद्वारी के अंदर चिंतामणि की गुफा में पहुंचते हैं. यह गुफा 100 फीट लंबी है. इस गुफा में नागदेव की कई मूर्तियां हैं, स्वर्ग द्वार चिंतामणि गुफा से लगभग आधा किमी की दूरी पर एक गुफा में स्थित है. स्वर्ग द्वार में भी नागदेव की ही मूर्तियां हैं. यहां की मान्यता है कि जो लोग नागद्वार जाते हैं, उनकी मांगी गई मनोकामना अवश्य पूरी होती है. इस नागद्वारी जाने की यात्रा के दौरान रास्ते में आपका कई जहरीले सांपों से भी सामना हो सकता है, लेकिन स्थानीय लोगों के मुताबिक यह सांप भक्तों को कोई नुकसान नहीं पहुंचाते हैं. श्रद्धालु नाग देवता के दर्शन के लिए निकलते हैं, तो 18 किमी की पैदल पहाड़ी यात्रा पूरी कर लौटने में भक्तों को दो दिन लगते हैं. नागद्वारी मंदिर की गुफा करीब 35 फीट लंबी है.
सुबह से शुरू करनी होती है यात्रा
नागद्वारी मंदिर की धार्मिक यात्रा को सैकड़ों वर्ष हो गए हैं. लोग अपनी कई पीढ़ियों से इस मंदिर में नाग देवता के दर्शन करने के लिए पहुंचते हैं. इस बार मेले का आयोजन एक अगस्त से शुरू हुआ है, जो 10 अगस्त तक चलेगा. इस दौरान भक्त गुफा में विराजमान नाग देवता के दर्शन करते हैं. नागद्वार मंदिर की यात्रा श्रद्धालु सुबह से ही शुरू करते हैं, जिससे शाम तक गुफा तक पहुंचा जा सके.
नागद्वारी की यात्रा करने से दूर होता है कालसर्प दोष
बाबा अमरनाथ और नागद्वारी की यात्रा सावन माह में ही होती है. बाबा अमरनाथ की यात्रा के लिए ऊंचे हिमालय के दुर्गम रास्तों से होकर जाना होता है. वहीं जिले में नागद्वारी की यात्रा भी सतपुड़ा पर्वत की घनी व ऊंची पहाड़ियों में सर्पाकार पगडंडियों से करना होता है. यहां यह भी मान्यता है कि पहाड़ियों पर सर्पाकार पगडंडियों से नागद्वारी की कठिन यात्रा पूरी करने से कालसर्प दोष दूर होता है. नागद्वारी में गोविंदगिरी पहाड़ी पर मुख्य गुफा में शिवलिंग में काजल लगाने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं. दोनों ही यात्राओं में भोले के भक्तों को धर्म लाभ के साथ ही प्रकृति के नैसर्गिक सौंदर्य के दर्शन होते हैं. इसी के चलते इसे प्रदेश की अमरनाथ यात्रा के नाम से जाना जाता है.