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हल्द्वानी में नहर के ऊपर अतिक्रमण मामले में हाईकोर्ट में पेश हुईं नैनीताल डीएम, सरकार से मांगी रिपोर्ट - KATHGODAM ENCROACHMENT ON CANAL

नैनीताल जिले के काठगोदाम से लेकर दमुआढुंगा में नहर के ऊपर अतिक्रमण मामला,नैनीताल डीएम हाईकोर्ट में पेश, शपथ पत्र के जरिए पेश करनी होगी रिपोर्ट

Nainital High Court
नैनीताल हाईकोर्ट (फोटो- ETV Bharat)

By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Feb 24, 2025, 4:21 PM IST

नैनीताल: हल्द्वानी के काठगोदाम से लेकर दमुआढुंगा में नहर के ऊपर हुए अतिक्रमण को लेकर दायर जनहित याचिका पर नैनीताल हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. आज सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश जी नरेंद्र और न्यायमूर्ति आशीष नैथानी की खंडपीठ ने सरकार से मामले में अपनी रिपोर्ट शपथ पत्र के माध्यम से पेश करने को कहा है. अब सरकार को 3 मार्च तक शपथ पत्र पेश करना होगा.

आज कोर्ट में पेश हुईं नैनीताल डीएम वंदना: गौर हो कि मामले में पिछली सुनवाई 20 फरवरी को हुई थी. जिसमें कोर्ट ने मामले की वास्तविकता जानने के लिए नैनीताल जिलाधिकारी वंदना सिंह को आज यानी 24 फरवरी को सवा 10 बजे अपना पक्ष रखने को कहा था. जिस पर आज डीएम वंदना सिंह समेत अन्य अधिकारी कोर्ट में व्यक्तिगत रूप से पेश हुए. उन्होंने कोर्ट को अवगत कराया कि नहर से 14 अतिक्रमणकारियों को अतिक्रमण हटाने का नोटिस दे दिया गया है. नहरों का सर्वे करा लिया गया है.

उन्होंने बताया कि सर्वे रिपोर्ट कोर्ट में पेश कर दी गई है. इतना ही नहीं नहरों की मरम्मत के लिए राज्य सरकार ने बजट स्वीकृत कर दिया है. नहरों की मरम्मत का कार्य 6 महीने के भीतर पूरा करा लिया जाएगा. जिस पर कोर्ट ने सरकार से 3 मार्च तक रिपोर्ट शपथ पत्र के माध्यम से पेश करने को कहा है. अब पूरे मामले की सुनवाई 3 मार्च को होगी.

दरअसल, संबंधित क्षेत्र के लोगों ने नैनीताल हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा है कि स्थानीय लोगों ने प्राकृतिक नालों पर अतिक्रमण कर मकान एवं दुकानें बना ली हैं. इसके अलावा हल्द्वानी के काठगोदाम से लेकर दमुआढुंगा तक प्राकृतिक नालों पर भी अतिक्रमण किया गया है. नालों में किए गए अतिक्रमण के चलते बरसात के सीजन में आसपास के क्षेत्रों जलभराव और बाढ़ जैसी स्थिति उत्पन्न हो जाती है.

इसके अलावा सड़कों पर भी जलभराव की समस्या हो जाती है. जिससे आम लोगों को कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. याचिकाकर्ताओं का कहना है कि नालों में किए गए अतिक्रमण को हटाया जाए. ताकि, मानसून सीजन यानी बरसात के दौरान आसपास रहने वाले लोगों को सड़कों में जलभराव और बाढ़ जैसी समस्या का सामना न करना पड़े.

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