पटना: बिहार के जमुई जिला अंतर्गत झाझा वन क्षेत्र में स्थित नागी पक्षी अभयारण्य और नकटी पक्षी अभयारण्य को रामसर साइट घोषित किया गया है. ये दोनों 'रामसर साइटें' मानव निर्मित जलाशय हैं, जिनके जलग्रहण क्षेत्रों में पहाड़ियों से घिरे शुष्क पर्णपाती वन हैं. इसी के साथ अब बिहार में रामसर साइट की संख्या 3 हो गई है, जिसका देश में स्थान क्रमश 81 और 82 है. इससे पूर्व बिहार में बेगूसराय स्थित कांवर झील को रामसर साइट का दर्जा दिया गया था.
नागी और नकटी पक्षी अभयारण्यों को अंतर्राष्ट्रीय महत्व: नागी पक्षी अभयारण्य और नकटी पक्षी अभयारण्य को रामसर साइट का दर्जा मिलने के बाद पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग, बिहार की सचिव बंदना प्रेयषी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स से खुशी का इजहार करते हुए लिखा कि विश्व पर्यावरण दिवस पर बिहार के जमुई जिले में नागी और नकटी पक्षी अभयारण्यों को अंतर्राष्ट्रीय महत्व के वेटलैंड्स-रामसर स्थल घोषित किया गया है. इससे हमारे पक्षी संरक्षण प्रयासों में मदद मिलेगी.
वैश्विक स्तर पर जमुई की पहचान: जमुई वन प्रमंडल के डीएफओ तेजस जायसवाल ने बताया कि नागी पक्षी अभयारण्य और नकटी पक्षी अभयारण्य का "रामसर साइट" घोषित होना हर्ष की बात है. मैं उन सभी लोगों का धन्यवाद, जिन्होंने इसको संरक्षित और विकसित करने में अपना योगदान दिया है. यह जमुई के लिए बड़ी बात है, क्योंकि इससे वैश्विक स्तर पर जमुई की पहचान बनेगी. उन्होंने बताया कि रामसर साइट के लिए जमुई वन प्रमंडल निरंतर प्रयासरत थी. नागी-नकटी को रामसर साइट कैसे बनाया जाये, इसके लिए मुझे भारत सरकार ने प्रशिक्षण के लिए साउथ कोरिया भेजा, इसका लाभ भी मिला. यह बेहद खुशी की बात है कि यह जल्दी हो गया.
सर्दियों में आते हैं संकटग्रस्त प्रवासी प्रजाती: गौरतलब हो कि नागी पक्षी अभयारण्य (साइट संख्या 2545) नागी नदी पर बांध बनाने के बाद बनाया गया था, जिससे साफ पानी और जलीय वनस्पति के साथ धीरे-धीरे जल निकायों का निर्माण संभव हुआ. प्रवासी पक्षी प्रजातियों के लिए इसके महत्व के कारण, इस स्थल को 1984 में स्थानीय स्तर पर एक पक्षी अभयारण्य के रूप में और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बर्डलाइफ इंटरनेशनल द्वारा एक महत्वपूर्ण पक्षी और जैव विविधता क्षेत्र (आईबीए) के रूप में मान्यता दी गई थी. साइट पर सर्दियों में आने वाली संकटग्रस्त प्रवासी प्रजातियों में गंभीर रूप से लुप्तप्राय बेयर पोचार्ड (अयथ्या बेरी) और लुप्तप्राय स्टेपी ईगल (एक्विला निपलेंसिस) शामिल हैं.