भोपाल. मध्यप्रदेश में यूं तो मॉनसून केरल में आने के 15 दिनों बाद आता है पर वर्तमान परिस्थितियां कुछ और ही इशारा कर रही हैं. दरअसल, भारत के दक्षिण-पश्चिम तट से टकराने वाली मॉनसूनी हवाएं काफी तेज रफ्तार से आगे बढ़ रही हैं. हिन्द महासागर और अरब सागर से आनी वाली ये हवाएं ही देश में मॉनसूनी बारिश कराती है. मौसम विभाग की ताजा रिपोर्ट में कहा गया है कि समुद्री हवाओं का ये पैटर्न इशारा कर रहा है कि मॉनसून अपने निर्धारित समय से 72 से 100 घंटे पहले ही भारत के तट पर पहुंचा जाएगा, अगर ऐसा हुआ तो मध्यप्रदेश की भी बल्ले-बल्ले हो जाएगी.
मध्यप्रदेश में 100 घंटे पहले पहुंच जाएगा मॉनसून!
आईएमडी के मुताबिक अगर मॉनसून की वर्तमान परिस्थिति देखें तो मॉनसून समय से 3 दिन पहले ही अंडमान पहुंच गया है. आमतौर पर अंडमान में मॉनसून 22 मई के आसपास आता है लेकिन शनिवार 19 मई को इसका यहां पहुंचना किसी गुड न्यूज से कम नहीं है. अगर इसी रफ्तार से मॉनसून आगे बढ़ा तो यह 27-28 मई को केरल और 11-12 जून को मध्यप्रदेश में एंट्री ले सकता है. इसका सीधा मतलब होगा कि प्रदेश में 100 घंटे पहली ही मॉनसून की एंट्री.
हवा की रफ्तार से सबकुछ होगा तय
मौसम विभाग का कहना है कि मॉनसूनी बादलों और नमी को आगे बढ़ाने का काम हवाएं करती हैं. ये हवाएं ही मॉनसून की दिशा और दशा तय करती हैं. जब सामान्य परिस्थितियां होती हैं और हवाएं सामान्य चलती हैं, तो मध्यप्रदेश में मॉनसून 15 जून तक आता है. यदि हवा की रफ्तार ज्यादा होती है तो यह एक दिन पहले और कभी-कभी दो-तीन दिन पहले भी मध्य प्रदेश में प्रवेश कर जाता है. इस बार समुद्री हवाएं काफी रफ्तार में हैं, और केरल में निर्धारित समय से पहले पहुंचने की तैयारी में हैं.