अमरावती: आंध्र प्रदेश सरकार सोशल मीडिया पर अश्लील भाषा के साथ, मॉर्फ्ड वीडियो,फोटो को पोस्ट करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का फैसला किया है. इससे निपटने के लिए सरकार ने पीडी अधिनियम तैयार किया है.
इस प्रावधान के तहत आरोपी को गिरफ्तार करने और दोषी पाए जाने पर एक साल तक जेल में रखने के लिए कानून में संशोधन किया है. इसके लिए हाल ही में विधानसभा में आंध्र प्रदेश खतरनाक गतिविधियों की रोकथाम अधिनियम- 1986 (खतरनाक गतिविधियों पर नियंत्रण अधिनियम) संशोधन विधेयक पारित किया गया. राज्यपाल की मंजूरी के बाद यह संशोधन कानून लागू हो जाएगा.
पुलिस ने पूरे आंध्र प्रदेश में ऐसे सभी लोगों की पहचान कर ली है जिन्होंने इन कानूनों का उल्लंघन किया है. उनके खिलाफ केस दर्ज कर जांच की जा रही है. वररा रवींद्र रेड्डी और बोरुगड्डा अनिल जैसे कई लोगों की सूची तैयार की गई है. उनके खिलाफ पीडी एक्ट लगाने की तैयारी है.
आंध्र प्रदेश खतरनाक गतिविधियां रोकथाम अधिनियम-1986 के अनुसार अवैध शराब के निर्माण, आपूर्ति, परिवहन, निर्यात, आयात, डाकुओं के गिरोह, नशीले पदार्थों के निर्माण, आपूर्ति और बिक्री, मानव तस्करों और भूमि हड़पने वालों को गिरफ्तार किए जाने की संभावना है.
हाल ही में लाए गए संशोधन विधेयक में पीडी एक्ट को 8 अन्य प्रकार के अपराधों में शामिल लोगों पर भी लागू किया गया है. सोशल मीडिया पर अश्लील पोस्ट से हमला करने वालों और साइबर अपराधियों को भी इसमें शामिल किया गया है.
अगर ऐसा लगता है कि कोई व्यक्ति फिर से अपराध करने या कानून-व्यवस्था को बिगाड़ने की कोशिश कर रहा है, तो संबंधित जिला कलेक्टर या शहर के पुलिस कमिश्नर उसे पीडी एक्ट के तहत हिरासत में लेने के लिए लिखित आदेश जारी कर सकते हैं. अगर किसी के खिलाफ यह कानून लागू होता है तो उसे कम से कम एक साल जेल में बिताना होगा. जमानत की कोई संभावना नहीं है.
आंध्र प्रदेश में राजनीतिक दलों की सोशल मीडिया टीमों के नाम पर कुछ लोग मॉर्फ्ड तस्वीरें पोस्ट कर रहे हैं. मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू, उपमुख्यमंत्री पवन कल्याण, मंत्री लोकेश, गृह मंत्री अनिता और गठबंधन के अन्य प्रमुख नेताओं, उनके परिवारों की महिलाओं और छोटे बच्चों को वाईएसआरसीपी सोशल मीडिया पर निशाना बना रही है.
पुलिस जांच में पता चला है कि अभद्र और अश्लील हमले संगठित तरीके से किए जा रहे हैं. पुलिस इस नतीजे पर पहुंची है कि इसकी जड़ें हैदराबाद और बेंगलुरु से लेकर विदेशों तक फैली हुई हैं. राज्य स्तर से लेकर गांव स्तर तक इसमें शामिल करीब 50 हजार लोगों का ब्योरा जुटाया गया है.
इनमें से कुछ को इस सिलसिले में गिरफ्तार भी किया गया है. हालांकि मौजूदा कानून के मुताबिक उन्हें कड़ी सजा मिल सकती है. इसकी कोई संभावना नहीं है. इसीलिए सरकार ने कानून में ताजा संशोधन किया है.