Guna Election Results 2024 Live: अठारहवीं लोकसभा के चुनाव के अंतिम चरण के मतदान हो चुके हैं और अब इंतजार नतीजों का है. सबकी निगाहें इस समय ऐसी सीटों पर टिकी हैं. जहां कई वीआईपी चुनाव मैदान में हैं. ऐसी ही सीट है मध्य प्रदेश की गुना लोकसभा सीट, जहां से केंद्रीय मंत्री ज्यातिरादित्य सिंधिया बीजेपी के प्रत्याशी हैं. मतदान हो चुका है, किस्मत ईवीएम में कैद है, लेकिन चुनाव बड़ा है खासकर ज्योतिरादित्य सिंधिया के लिए. क्योंकि इसके नतीजे सिंधिया का बीजेपी में भविष्य तय करेंगे.
सिंधिया के लिए महत्वपूर्ण है गुना की जीत
वरिष्ठ पत्रकार देव श्रीमाली कहते हैं कि,'ज्योतिरादित्य सिंधिया के लिए यह चुनाव बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि अपने लोकसभा क्षेत्र गुना से कांग्रेस प्रत्याशी के रूप सिंधिया 2019 का चुनाव हार गए थे. यह सिंधिया परिवार के पुरुषों में पहली हार थी, उनके लिए, इसलिए उसी लोकसभा क्षेत्र से दोबारा चुनाव जीतना बहुत महत्वपूर्ण हो जाता है.'
हाथोंहाथ सिंधिया को मिला राज्यसभा का तोहफा
देव श्रीमाली का कहना है कि 'हारने के बावजूद बीजेपी के नेतृत्व ने ज्योतिरादित्य सिंधिया पर भरोसा जताया और उन्हें बीजेपी में लेकर आये. हालांकि इसका फायदा भी मिला कि मध्य प्रदेश में सिंधिया की बदौलत कांग्रेस की सरकार गिराई जा सकी, लेकिन पार्टी ने इसके बाद उन्हें जिस ऊंचाई पर पहुंचाया. हाथोहाथ उन्हें लेकर पहले राज्यसभा सदस्य बनाया. इसके बाद केंद्र सरकार में मंत्री पद दिया डायरेक्ट कैबिनेट मंत्री बना दिया.'
बीजेपी ने दिया सिंधिया को बढ़ावा, अब साबित करने की उनकी बारी
एमपी के सारे बड़े नेताओं को पीछे खींचा गया. जिसके पीछे का कारण सिंधिया को आगे बढ़ाना माना जाता है. अब पार्टी ने तो उन्हें आगे बढ़ा दिया है, लेकिन अब सिंधिया को ये साबित करना है कि वे कितने अच्छे मतों से चुनाव जीतकर जाते हैं. इससे साबित कर सकेंगे कि उनकी जनता में कितनी पकड़ है और जिस उम्मीद से बीजेपी उन्हें अपने साथ लेकर गई है, इसलिए उनके जीवन के लिए भी यह महत्वपूर्ण चुनाव है.
दल बदलने से कांग्रेस को चंबल नहीं पड़ा खास फर्क
चुनाव की दृष्टि से कांग्रेस को सिंधिया के जाने से 2023 के विधानसभा चुनाव में बहुत ज्यादा अंतर नहीं पड़ा है. चुनाव से पहले 2022 में भी कांग्रेस के पास ग्वालियर चम्बल अंचल में 18 सीटें थीं और बीजेपी के पास 16 सीटें थी. जबकि 2023 के चुनाव के बाद कांग्रेस के पास 16 और बीजेपी के पास 18 सीटें हैं. हालांकि अब रामनिवास रावत के बीजेपी में आने से यहां 19 सीटें बीजेपी के पास और कांग्रेस के पास अभी भी 15 सीट हैं.