सागर (कपिल तिवारी): खेती में तरह-तरह के नवाचार जहां किसानों को प्रगतिशील बना रहे हैं. वहीं तेजी से कृषि उत्पादन बढ़ाने में मददगार साबित हो रहे हैं. इसी कड़ी में शहर के प्रगतिशील युवा किसान आकाश चौरसिया ने गेहूं की लुप्त हो रही परंपरागत किस्मों को बचाने की अनोखी पहल की है. उन्होंने दुर्लभ किस्मों के संरक्षण और बीज उत्पादन के उद्देश्य से एक एकड़ में 36 किस्मों के गेहूं उगाए हैं. इन किस्मों में हड़प्पा काल से जुड़ी सोना मोती जैसी वैरायटी है, तो खपली और बंशी जैसी लुप्त हो रहे बीज भी हैं. आकाश चौरसिया का मानना है कि "इन किस्मों से किसान अच्छा उत्पादन करके सामान्य किस्मों की जगह पर मोटा मुनाफा कमा सकते हैं."
कौन हैं आकाश चौरसिया
सागर निवासी आकाश चौरसिया कि बात करें, तो वे खेती में नवाचार और प्रयोग के लिए मशहूर हैं. आकाश चौरसिया ने छोटी सी उम्र में बड़ा मुकाम हासिल किया है और आज पूरे देश में उनकी एक अलग पहचान बन गई है. तरह-तरह के बीजों के संरक्षण के अलावा कम जगह और कम पानी में ज्यादा उत्पादन के साथ अच्छी कीमत देने वाली किस्मों के प्रति किसानों को आकर्षित करने के लिए जाने जाते हैं.
आकाश चौरसिया ने बताया कि "हमने यहां पर परंपरागत गेंहू की प्रजातियां हैं, जो कहीं ना कहीं लुप्त हो रही हैं या कहीं ढूढ़ने से नहीं मिलती हैं. उन सारी प्रजातियों को संरक्षित करने का प्रयास किया है. उन वैरायटी का सिलेक्शन करके उनके जरिए नई वैरायटी तैयार कर उनकी गुणवत्ता पर लगातार कार्य कर उन वैरायटियों को किसानों तक पहुंचाने का काम करते हैं."
एक एकड़ में गेंहू की 36 किस्में
आकाश चौरसिया ने सागर के कपूरिया स्थित अपने फार्महाउस पर खेत में क्यारियां बनाकर गेंहू की करीब 36 किस्में लगाई हैं. जिसमें काली मूंछ, सोना-मोती या पीतांबरा, बसंती, प्रताप, मालविका बसंती, खपली, कठिया, बंशी, सर्जना, सरवती, मोतीबासीं, हंसराज, श्री, खैरा, नीलांबर, गुलांबरी, काला गेहूं, 306, 307, 315, 322, कुदरत, लाल गेहूं जैसी और आरके जैसी बहुत सारी किस्में है.
इन सभी किस्मों के गुणों को पैदावार और पोषक तत्वों के आधार पर काफी अच्छा माना जाता है. कई गेहूं की किस्मों में ग्लूटिन नहीं होता है, कई किस्में डायबिटीज के लिए अच्छी हैं और कई किस्में पेट का रोग ठीक करने में सक्षम है. किसी में जिंक, पोटेशियम फास्फेट, मैग्नीशियम या आयरन जैसे तत्वों से जुडे़ अच्छे गुण होते हैं. इन गुणों के आधार पर हम इनको लगाते हैं और फिर इनका बीज भी बनाते हैं. हर किस्में अपने-अपने गुणों के आधार पर प्रदर्शन करती है.
कम पानी ज्यादा उत्पादन और शानदार कीमत
इन अलग-अलग किस्मों के गेहूं के अलग गुण हैं. कोई किस्म महज 3 पानी में अच्छा उत्पादन देती है, तो कई किस्में ज्यादा पानी के साथ ज्यादा उत्पादन देती है. खास बात ये है कि इसमें कई ऐसी दुर्लभ किस्में है, जो अपने गुणों के आधार पर किसानों को अच्छा मुनाफा देती हैं. क्योंकि इनकी बाजार में काफी अच्छी मांग होती है.
आकाश चौरसिया बताते हैं कि "कई किस्म महज 3 पानी में 10-12 क्विटंल प्रति एकड़ की उपज देती है. कोई-कोई किस्में 4 पानी में 12-15 क्विटंल प्रति एकड़ उपज देती हैं. किसी किस्म में 5 पानी लगते हैं, जिसकी उपज 18 से 22 क्विटंल प्रति एकड़ उपज होती है. इस तरह उपज के आधार पर 25 क्विटंल प्रति एकड़ उपज वाली किस्में है. वहीं प्रति एकड़ के हिसाब से बीज की मात्रा भी हर एक किस्म की अलग-अलग है. कोई 25, कोई 30 और किसी और किस्म का 50 किलो तक लगता है.
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इनकी उत्पादकता और मार्केट वैल्यू सबसे अधिक है. उत्पादकता के लिहाज से अधिकतम 25 क्विटंल प्रति एकड़ तक ये किस्में आती है. कीमत के आधार पर सोना-मोती गेहूं की बाजार में कीमत 15 हजार रुपए क्विटंल तक है. कुछ किस्में 8-10 हजार रुपए तक बिक जाती हैं. सामान्य किस्मों से हटकर परंपरागत किस्में 4 से 5 हजार रुपए क्विटंल तक की उपज किसान को देती हैं.