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MP हाई कोर्ट ने पूछा - पुलवामा हमले में शहीद के परिवार से किया वादा पूरा क्यों नहीं, मुख्य सचिव को नोटिस - promise not follow martyr family

MP High Court notice to CS : पुलवामा हमले में शहीद सीआरपीएफ जवान के परिवार से किया गया वादा 5 साल बाद भी सरकार द्वारा पूरा नहीं किया गया. इसकी खबर प्रकाशित होने पर संज्ञान में लेते हुए मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने इस मामले को जनहित याचिका के रूप में सुनवाई करने निर्देश दिए हैं.

mp high court notice to cs
एमपी हाईकोर्ट मुख्य सचिव को नोटिस

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Feb 17, 2024, 1:24 PM IST

जबलपुर।मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रवि विजय कुमार मलिमठ तथा जस्टिस विषाल मिश्रा की युगलपीठ ने याचिका की सुनवाई करते हुए मुख्य सचिव को नोटिस जारी की जवाब मांगा है. याचिका पर सुनवाई अगले सप्ताह निर्धारित की गयी है. इस बारे में प्रकाशित खबर में बताया गया है कि पुलवामा आतंकी हमले में शहीद हुए जवान अश्विन काछी को शासन व प्रशासन ने भुला दिया. पुलवामा हमले की 5वीं बरसी पर शहीद की प्रतिमा में माल्यार्पण करने परिजनों के साथ सेना के अधिकारी तथा गांव के लोग ही पहुंचे.

बरसी पर कोई अफसर व जनप्रतिनिधि नहीं पहुंचा

परिजनों ने शहीदों के याद में कन्या भोज का आयोजन किया. लेकिन इसमें जिला प्रशासन तथा जनप्रतिनिधियों में से कोई नहीं पहुंचा. शहीद के भाई सुमंत काछी तथा भतीजी प्रियंका काछी ने बताया कि अश्विन की प्रतिमा की स्थापना उनके परिवार ने अपने व्यय से करवाई थी. प्रतिमा के निर्माण में साढे़ 6 लाख रुपये व्यय हुए थे. अंतिम संस्कार व प्रतिमा अनावरण के समय प्रशासनिक अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों ने शहीद के नाम पर स्कूल तथा प्रतिमा स्थल में पार्क बनाने की घोषणा की थी, जो अभी तक पूरी नहीं हुई.

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शहीद के परिजनों ने अपना दुख प्रकट किया

परिजनों ने बताया कि शहादत दिवस के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में कोई प्रशासनिक अधिकारी व जनप्रतिनिधि शिरकत करने नहीं आये. सेना के अधिकारी तथा सेवानिवृत्त सैनिक व ग्रामीणजनों ने कार्यक्रम में शिरकत कर शहीद की प्रतिमा में श्रद्धा सुमन अर्पित किये. भतीजी प्रियंका कहना था कि जनप्रतिनिधियों तथा प्रशासनिक अधिकारियों से पार्क निर्माण या स्कूल के नामांकरण की बात करते हैं तो वे कहते है कि एक करोड़ रुपये तो मिल गये हैं. किसी जवान की शहादत का मूल्यांकन रुपये से नहीं करना चाहिये. जवानों की शहादत को चुनाव में मुद्दा बनाया जाता है परंतु शहादत दिवस पर श्रद्धा सुमन अर्पित करने भी कोई नहीं आता. सरकार द्वारा परिजनों को आवास दिया गया है, उसकी दशा भी दयनीय है.

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