भोपाल : भारतीय मौसम विभाग के सर्दियों को लेकर पूर्वानुमान के मुताबिक जिस प्रकार ला नीना के प्रभाव ने देश में इस वर्ष अत्यधिक बारिश कराई, ठीक उसी प्रकार ला नीना के प्रभाव से औसत से ज्यादा ठंड पड़ने का पूर्वानुमान है. पिछले वर्ष जहां अल नीनो की वजह से बारिश के साथ-साथ ठंड का प्रभाव भी कम रहा, तो वहीं इस वर्ष ला नीना के प्रभाव से दोनों को ज्यादा बल मिला है. यही वजह है कि उत्तरी और मध्यभारत में इस वर्ष हाड़कपा देने वाली ठंड से लोगों का सामना होगा.
क्या है ला नीना और उसका ठंड पर असर?
दरअसल, अल नीनो और ला नीना प्रशांत महासागर की समुद्री सतह के तापमान से जुड़े जलवायु पैटर्न को दर्शाते हैं. जब प्रशांत महासागर में समुद्री सतह अत्यधिक गर्म हो जाती है, तो इससे सामान्य मौसम प्रणाली पर विपरीत प्रभाव पड़ता है, जिसे अल-नीनो कहते हैं. यह कम बारिश और कम ठंड के लिए जिम्मेदार होता है. वहीं प्रशांत महासागर की सतह पर जब निम्न दबाव का क्षेत्र बनता है और समुद्री सतह का तापमान काफी ठंडा हो जाता है, तो इस परिवर्तन को ला नीना कहते हैं, जिससे बारिश और ठंड के ट्रेंड को बल मिलता है. इस वर्ष ला नीना ही सक्रिय है, जिससे पूरे देश के साथ-साथ मध्यप्रदेश में भीषण ठंड पड़ेगी.
आईएमडी ने दी भीषण ठंड की चेतावनी
आईएमडी ने हाल ही में घोषणा की है कि ला नीना के प्रभाव से भीषण सर्दी की संभावना है. ऐसे में उत्तरी व मध्य भारत के राज्यों में लोगों को तैयारी करके रखनी होगी. मौसम विभाग के पूर्वानुमान में कहा गया है कि मॉनसून की विदाई के साथ हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और जम्मू-कश्मीर जैसे उत्तरी राज्यों में तापमान बेहद तेजी से गिरेगा. यहां औसत से 3 से 4 डिग्री की गिरावट देखी जाएगी. वहीं उत्तरी हवाएं चलने से मध्य प्रदेश में भी समय से पहले तेज ठंड पड़ सकती है.
कठोर परिस्थितियों के लिए रहें तैयार
मौसम विभाग ने चेतावनी जारी करते हुए यह भी कहा है कि इस वर्ष सर्दी का असर खेती किसानी पर भी ज्यादा पड़ेगा. दरअसल, कई राज्यों में औसत से अधिक बारिश के साथ-साथ तेज ठंड फसलों को प्रभावित कर सकती है. ऐसे में आईएमडी ने किसानों व आमजनों आवश्यक सावधानी बरतने की सलाह दी है. किसानों को जहां अनाज भंडारण की पर्याप्त व्यवस्था रखने और लगातार मौसम अपडेट लेते रहने की सलाह दी गई है. तो वहीं संवेदनशील क्षेत्रों में आमजनों को पर्याप्त हीटिंग सुनिश्चित करने की सलाह है.