जयपुर : गुलाबी नगरी में मकर संक्रांति पर पतंगबाजी का उत्सव धूमधाम से मनाया गया, लेकिन इस दौरान बेजुबान पक्षियों के लिए यह दिन कष्टकारी साबित हुआ. पतंग की डोर से 450 से अधिक पक्षी मकर संक्रांति के दिन घायल हुए, जिनमें से 50 से अधिक पक्षियों की मौत हो गई. घायल पक्षियों का इलाज जयपुर में विभिन्न एनजीओ द्वारा लगाए गए पक्षी उपचार शिविरों में किया गया.
घायल पक्षियों का इलाज :जयपुर शहर में करीब एक दर्जन स्थानों पर एनजीओ के सहयोग से पक्षी उपचार शिविर लगाए गए. इसके अलावा वन विभाग द्वारा अशोक विहार में एक विशेष पक्षी उपचार केंद्र भी स्थापित किया गया है. इन शिविरों में घायल पक्षियों का इलाज किया जा रहा है. इन शिविरों में कबूतर, चील, उल्लू, तोता, टिटहेड़ी, कौआ समेत अन्य पक्षी इलाज के लिए पहुंचे.
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एनजीओ और संस्थाओं द्वारा की जा रही मदद :रक्षा संस्थान के पक्षी उपचार केंद्र में 84 घायल पक्षी आए, जिनमें 78 कबूतर, 1 कमेड़ी, 1 स्टारलिंग, 1 हरियल और 2 लैपविंग शामिल थे. होप एंड बियोंड संस्थान और एंजेल आईज फाउंडेशन के शिविरों में करीब 170 घायल पक्षी पहुंचे, जिनमें कबूतर, चील, उल्लू, चमगादड़, बगुले, टिटहेड़ी, कोयल और बाज शामिल थे. इको रेस्क्यूअर्स फाउंडेशन के शिविर में 61 घायल पक्षी आए, जबकि हेल्प एंड सर्व चैरिटेबल ट्रस्ट के शिविर में 57 और असिस्टेंट डिजास्टर एंड रेस्क्यू टीम के शिविर में 47 घायल पक्षी पहुंचे.
पक्षियों के इलाज में सहयोग की अपील :जयपुर शहर में विभिन्न एनजीओ द्वारा 12 से 16 जनवरी तक पक्षी उपचार शिविर लगाए जा रहे हैं. वन विभाग की ओर से भी 13 से 15 जनवरी तक शिविर लगाए जा रहे हैं. लोगों से अपील की गई है कि अगर कोई घायल पक्षी मिले तो उसे इलाज के लिए संबंधित एनजीओ के हेल्पलाइन नंबर पर सूचित करें. घायल पक्षी को तुरंत बीटाडीन से इलाज करें और ब्लड लॉस को रोकने का प्रयास करें.