नई दिल्ली: दिल्ली सरकार की तरफ से दिल्ली में छठ महापर्व पर 1000 से अधिक छठ घाट के निर्माण का दावा किया जा रहा है. इनमें से बहुत कम घाट ऐसे हैं जहां पर प्राकृतिक बहाव का पानी है. अन्य सभी जगह पर पार्कों व अन्य स्थानों पर कृत्रिम घाट बनाए गए हैं, जिसमें दिल्ली जल बोर्ड की तरफ से पानी का इंतजाम किया गया है. एक आंकड़े के मुताबिक एक करोड़ लीटर से अधिक पानी में तालाबों में डाला गया है, जिसमें छठ श्रद्धालु आस्था की डुबकी लगाएंगे और भगवान सूर्य को अर्घ्य देंगे.
1000 से अधिक छठ घाट के निर्माण का दावा
दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी की तरफ से दावा किया गया है कि दिल्ली में 1000 से अधिक छठ घाट का निर्माण किया गया है. ये छठ घाट पार्कों, सार्वजनिक स्थानों व रिहायशी इलाकों में हैं, जहां पर लाखों श्रद्धालु छठ महापर्व पर बृहस्पतिवार को अस्त होते सूर्य को और शुक्रवार को उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देंगे. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति में सदस्य अनिल गुप्ता का कहना है कि दिल्ली में कुछ छठ घाटों को छोड़कर बाकी किसी भी छठ घाट पर प्राकृतिक बहाव का पानी नहीं है. यमुना नदी का पानी इतना ज्यादा प्रदूषित है कि हाई कोर्ट ने इस पानी में डुबकी लगाने से स्वास्थ्य को खतरा जताया है. दिल्ली में जगह-जगह कृत्रिम तालाब बनाए गए हैं जहां पर श्रद्धालु छठ पूजा कर आस्था की डुबकी लगाएंगे.
दिल्ली सरकार की तरफ से कहा गया है कि सभी जगह कृत्रिम तालाबों में दिल्ली जल बोर्ड की तरफ से टैंकर से पानी भरा जाएगा. अनिल गुप्ता के मुताबिक एक टैंकर में 5000 लीटर पानी आता है. एक छठ घाट में कम से कम दो टैंकर पानी डाला जाएगा. इस तरह करीब 1000 छठ घाट की बात करें तो इसमें एक करोड़ लीटर से अधिक पानी दिल्ली जल बोर्ड की तरफ से डाला गया है. जो 10 मिलियन लीटर पानी है.
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