नई दिल्लीः दक्षिण पूर्वी दिल्ली की ओखला विधानसभा सीट दिल्ली की चर्चित सीटों में शामिल है. कभी कांग्रेस का ओखला विधानसभा सीट पर मजबूत दबदबा रहा है, लेकिन 2015 और 2020 के विधानसभा चुनाव में यह सीट आम आदमी पार्टी के खाते में चली गई. हालांकि, भारतीय जनता पार्टी ने ओखला विधानसभा सीट पर अब तक जीत का स्वाद नहीं चखा है.
ओखला विधानसभा सीट पर अपना खोया हुआ वकार हासिल करने के लिए कांग्रेस पार्टी जमीन पर जी तोड़ मेहनत कर रही है. भाजपा भी ओखला विधानसभा सीट से कमल खिलाने का प्रयास कर रही है. आम आदमी पार्टी की कोशिश है कि ओखला विधानसभा सीट से हैट्रिक लगा सके.
कांग्रेस के गढ़ में AAP ने लगाई सेंध: 1998 से 2013 तक हुए दिल्ली विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का इस सीट पर दबदबा रहा. 1998, 2003 और 2008 में प्रवेज हाशमी कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ते रहे और जीतते रहे. 2013 में कांग्रेस की टिकट पर आसिफ मोहम्मद खान ओखला विधानसभा सीट से चुनाव लड़े और आम आदमी पार्टी प्रत्याशी को हराया. 2013 के बाद कांग्रेस इस सीट पर अपना दबदबा कायम रखने में कामयाब ना हो सकी. 2015 और 2020 में आम आदमी पार्टी की टिकट पर चुनाव लड़े अमानतुल्लाह खान भारी वोटो से जीते.
मुस्लिम आबादी की जीत हार में भूमिका: ओखला मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र है. विधानसभा क्षेत्र में 50 फीसदी से अधिक मुस्लिम आबादी है. जो कि किसी भी प्रत्याशी की जीत हार में निर्णायक भूमिका निभाती है. माना जाता रहा है जिस पार्टी को ये तबका वोट करता है उस पार्टी के प्रत्याशी ने जीत दर्ज की है.
मुस्लिम बाहुल्य सीट: दिल्ली की ओखला विधानसभा सीट को मुस्लिम बाहुल्य विधानसभा सीट माना जाता है. ओखला विधानसभा क्षेत्र में 50 फीसद से ज्यादा मुस्लिम आबादी है. ओखला विधानसभा क्षेत्र में शाहीन बाग, जसोला गांव, तैमूर नगर, मदनपुर खादर गांव आदि क्षेत्र शामिल है.
चुनाव मैदान में प्रत्याशी: कांग्रेस पार्टी ने ओखला विधानसभा सीट से अरीबा खान को प्रत्याशी बनाया है. जबकि भाजपा की टिकट पर मनीष चौधरी चुनाव मैदान में हैं. आम आदमी पार्टी ने ओखला विधानसभा सीट से दो बार विधायक रहे अमानतुल्लाह खान पर भरोसा जताते हुए चुनावी मैदान में उतारा है. इन तीन पार्टियों के अलावा असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ने भी शिफा उर-रहमान को उम्मीदवार घोषित किया. इस सीट से कुल 14 प्रत्याशी मैदान में हैं.
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