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हाड़ौती में कैसा रहेगा मौसम ? रियासत कालीन परंपरा के अनुसार हुई ये बड़ी भविष्यवाणी - Hadoti Weather

Rain Forecast, रियासत काल से ही आषाढ़ी पूर्णिमा पर गढ़ कोटा स्थित ऐतिहासिक जंतर की बुर्ज पर स्थित दिशा सूचक यंत्र में धर्म ध्वजा लगाकर वायु धारणा पूजन किया जाता है. शनिवार को भी यह पूजन पूरे विधि विधान से किया गया, जिसमें वायु के प्रभाव की दिशा को देखा गया.

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Jul 20, 2024, 10:08 PM IST

Vayu Dharana puja in Garh Palace
गढ़ पैलेस में वायु धारणा पूजन (ETV Bharat Kota)

कोटा.रियासत कालीन परंपरा के अनुसार हर साल मानसून के सीजन में वर्षा का अनुमान लगाने के लिए वायु धरना पूजन गढ़ पैलेस में होती है. इस बार भी यह पूजन शुभ मुहूर्त के अनुसार शनिवार को हुई, जिसमें हाड़ौती में औसत से ज्यादा बारिश इस मानसून सीजन में होने का अनुमान सामने आया है.

वायु धारणा पूजन करवाने वाले आचार्य पंडित आशुतोष दाधीच ने बताया कि रियासत काल से ही आषाढ़ी पूर्णिमा पर गढ़ कोटा स्थित ऐतिहासिक जंतर की बुर्ज पर स्थित दिशा सूचक यंत्र में धर्म ध्वजा लगाकर वायु धारणा पूजन किया जाता है. शनिवार को भी यह पूजन पूरे विधि विधान से शाम 7:11 से शाम 7:17 के बीच किया गया, जिसमें वायु के प्रभाव की दिशा को देखा गया.

पढ़ें :जयपुर में वायु परीक्षण, पूर्व से पश्चिम की ओर बही हवा, इस बार अच्छी बारिश का अनुमान - Jantar Mantar Air Test

शुभ मुहूर्त के समय वायु का प्रभाव नैरकत्य कौण से ईशान कोण की और रहा है, जिससे यह हाड़ौती में मानसून के मध्यम से अच्छा रहने का संकेत देता है. इस पूजन के बाद निकले निष्कर्ष में आया है कि हाड़ौती क्षेत्र में वर्षा औसत से अच्छी रहने की संभावना है. यह फसलों के लिए लाभदायक रहेगी. कुछ क्षेत्रों में वर्षा आवश्यकता से अधिक होने के कारण फसलों को हानि भी पहुंचाएगी. वह उसे क्षेत्र के कृषकों को नुकसान होने की संभावना बनेगी. इसमें वायु धारणा पूजन में कुंज बिहारी गौतम, प्रेम नारायण शास्त्री, विद्याधर शास्त्री, राजेश शास्त्री, पुरुषोत्तम शास्त्री, प्रहलाद शास्त्री व राधेश्याम मौजूद रहे.

इस तरह से शुरू हुआ धान्य परीक्षण :पंडित दाधीच ने बताया कि वायु धारणा पूजन के बाद गढ़ कोटा स्थित रियासत कालीन श्रीबृजनाथजी महाराज मंदिर में धान्य परीक्षण का कार्य किया गया. इसमें शयन आरती के बाद हाड़ौती क्षेत्र में होने वाले विभिन्न धान्यों की निश्चित मात्रा अलग-अलग पत्रों में तोड़कर श्वेत वस्त्र से ढककर श्रीरघुनाथजी महाराज के समुख रखी गई. अब सुबह इन सभी धान्यों को मंगला आरती के बाद दोबारा तौला जाएगा, जिस धान्य के वजन बढ़ोतरी देखी जाएगी, उसकी फसल अच्छे होने का अनुमान रहेगा. जिसमें कमी देखी जाएगी, उसकी फसल कम रहने का अनुमान रहेगा. यह भी एक रियासत कालीन परंपरा है, जिसे राज परिवार कोटा निर्वहन कर रहा है.

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