करनाल:सनातन धर्म में प्रत्येक व्रत व त्योहार काफी श्रद्धा के साथ मनाए जाते हैं. ऐसे में एकादशी का व्रत सनातन धर्म में अहम माना जाता है. इस दिन विधिवत रूप से भगवान विष्णु की पूजा अर्चना की जाती है. हिंदू पंचांग के अनुसार वैशाख महीने के शुक्ल पक्ष में आने वाली एकादशी को मोहिनी एकादशी के नाम से जाना जाता है. जो इस बार 19 मई को होगी. माना जाता है कि जो भी जातक इस एकादशी का व्रत करता है, उसकी सभी प्रकार की मनोकामनाएं पूरी होती है. व्रत करने वाले जातक की सभी प्रकार के मोह और बंधनों से मुक्ति मिलती है. तो आईए जानते हैं की एकादशी का शुभ मुहूर्त क्या है और एकादशी के दिन व्रत कैसे रखा जाता है और इसका महत्व क्या है.
एकादशी का शुभ मुहूर्त:पंडित विश्वनाथ ने बताया कि वैशाख महीने के शुक्ल पक्ष में आने वाली एकादशी को मोहिनी एकादशी के नाम से जाना जाता है. सनातन धर्म में इस एकादशी का व्रत करने का बहुत ही ज्यादा महत्व बताया गया है. हिंदू पंचांग के अनुसार मोहिनी एकादशी का आरंभ 18 मई को सुबह 11:22 से शुरू होगा. जबकि इसका समापन 19 मई को दोपहर बाद 1:50 बजे होगा.
पारण का समय: सनातन धर्म के प्रत्येक व्रत में त्योहार को उदया तिथि के साथ मनाया जाता है. इसलिए मोहिनी एकादशी का व्रत 19 मई को रखा जाएगा. पंडित ने जानकारी देते हुए बताया कि एकादशी व्रत के दिन पूजा करने का शुभ मुहूर्त का समय सुबह 7:10 बजे शुरू होगा और दोपहर 12:18 तक रहेगा. पारण का समय अगले दिन 20 मई को सुबह 5:28 से शुरू होकर 8:12 तक रहेगा. इस समय जातक अपने व्रत का पालन कर सकते हैं.
मोहिनी एकादशी की कथा:धार्मिक कथाओं के अनुसार बताया जाता है कि समुद्र मंथन चल रहा था. उस समय समुद्र मंथन से अमृत से भरा हुआ एक कलश प्राप्त हुआ था. जिसको पाने के लिए देवताओं और दानवों में आपसी विवाद हो गया था. इस कथा में बताया गया है कि उस दिन वैशाख महीने की शुक्ल पक्ष की एकादशी थी और भगवान विष्णु ने उस समय मोहिनी नामक स्त्री का रूप धारण किया था. भगवान विष्णु ने उस रूप में सभी राक्षसों को मोहित करने का काम किया था. जो समुद्र मंथन से अमृत का कलश प्राप्त हुआ था. उसको देवताओं को दे दिया था. जिसको पीने से सभी देवता अमर हो गए थे. माना जाता है कि तभी से वैशाख महीने की शुक्ल पक्ष की एकादशी को मोहिनी एकादशी के नाम से जाना जाता है.