भोपाल। एमपी में लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजे सीएम डॉ. मोहन यादव का राजनीतिक भविष्य भी तय करने वाले होंगे. सत्ता संभालते ही इम्तेहान के मैदान में उतरने वाले मोहन यादव के लिए ये लोकसभा चुनाव उनके सियासी जीवन का सबसे बड़ा इम्तेहान है. इसके पहले के 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में एमपी में बीजेपी का चेहरा शिवराज सिंह चौहान रहे थे. लगभग 10 साल बाद ये पहला मौका होगा जब पार्टी का एमपी में चेहरा शिवराज सिंह चौहान नहीं हैं. 2014 में 26 लोकसभा सीटें फिर 2019 में 28 सीटों तक पहुंची बीजेपी ने इस बार एमपी में 29 सीटों पर जीत का टारगेट रखा है. जुटी पूरी बीजेपी है, लेकिन असल कंधे तो मोहन यादव के ही हैं. एमपी में सीएम मोहन यादव के भविष्य की मजबूती पर इस लोकसभा चुनाव के नतीजे भी असर डालेंगे.
सत्ता संभालते ही मोहन यादव का तिमाही इम्तेहान
दिसम्बर में संत्ता संभालने के साथ ही मोहन यादव के सामने लोकसभा चुनाव का तिमाही इम्तेहान आ गया है. इस चुनाव के नतीजे केवल एमपी में बीजेपी के चुनाव नतीजे नहीं होंगे. ये चुनाव नतीजे ये भी बताएंगे कि एमपी की सत्ता में बीजेपी का पीढ़ी परिवर्तन कारगर रहा है या नहीं. एमपी में अब तक शिवराज सिंह चौहान सत्ता की गारंटी माने जाते रहे थे. शिवराज सिंह चौहान एमपी में तो बीजेपी की जीत का तो बेंच मार्क तय कर गए, मोहन यादव को उसे पार करना है.
वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक प्रकाश भटनागर कहते हैं, "मोहन यादव पिच पकड़कर खेलने वाले बल्लेबाज हैं. उन्होंने अभी तक अपनी सियासी पारी में ऐसे शॉट खेले ही नहीं कि हिट विकट होने की कोई संभावना बने. वो उनसे की गई अपेक्षाओं को भी भली भांति जानते हैं. लिहाजा किसी जल्दबाजी में नहीं हैं. वे तेज नहीं चल रहे. दिल्ली का इशारा देखकर संभलकर अपनी पारी खेल रहे हैं. ये सही है कि ये चुनाव नतीजे मोहन यादव की सियासी मजबूती के लिहाज से बेहद जरुरी हैं."