भोपाल: अगर आप ये समझते हैं कि हाथ की रेखाएं देखकर केवल भविष्य ही बताया जाता है, तो कई ऐसे वैद्य भी हैं जो बगैर आपकी नब्ज थामे आपके हाथ पैरों से आपके पूरे शरीर का लेखा जोखा आपके सामने रख देंगे. मोहम्मद फिरोज अख्तर कवि वैद्य ( मोहम्मद फिरोज पहले कवि हुआ था करते थे, इसलिए अपने नाम में कवि भी लिखते हैं) की खासियत ही ये है कि वो शरीर का हाल जानने के लिए नब्ज नहीं पकड़ते. उल्टा हाथ देखकर और हथेली के कुछ हिस्सों में एक्यूप्रेशर देकर वे बता देते हैं कि शरीर में कौन सी बीमारी घर कर गई है.
कई बीमारियों को पकड़ने के लिए वो आपके पैरों को पकड़कर जांच करते हैं. वैद्य फिरोज इसे सुजोक पद्धति बताते हैं. जिसमें पैर और हाथ दोनों से बीमारियां पकड़ी जाती हैं. बालाघाट से आए फिरोज अंतर्राष्ट्रीय वन मेले में इस पंच लाइन से मरीजों को लुभा रहे थे कि "हमारे यहां उल्टा हाथ देखकर रोग बताया जाता है."
बांए हाथ पैर बताते हैं किस अंग में क्या मर्ज है
वैद्य मोहम्मद फिरोज अख्तर बताते हैं कि "वे जिस पद्धति से इलाज करते हैं, ये चीन से आई सुजोक पद्धति है. जिसमें एक्युप्रेशर के सहारे बीमारी का पता लगाया जाता है. सु यानि हाथ और जोक यानि पैर. ये दोनों चाइनीज के शब्द हैं. खास बात ये भी है कि शरीर के बाए हिस्से से ही पड़ताल की जाती है." फिरोज बताते हैं कि "असल में हमारे सभी महत्वपूर्ण अंग बाई तरफ है. खासतौर पर ह्रदय, तो लेफ्ट हैंड साइड पर जब आप पिन लगाते हैं, तो वो बहुत तेजी से संदेश मस्तिष्क तक पहुंचाता है. ऐसे में कहां रक्त बाधित हो रहा है. कहां ऑक्सीजन ठीक से नहीं पहुंच रही है, ये पता आसानी से चल जाता है."
कैसे जिमी यानि निडल से करते हैं इलाज
वैद्य मोहम्मद फिरोज अख्तर के हाथ में एक निडल रहती है. जिसे वे कई बार बाए हाथ में या फिर बाए पैर के अलग-अलग हिस्सों में मरीज को चुभाते हैं. हर जगह चुभाने के बाद ये सवाल करते हैं कि क्या दर्द हुआ. जिस जगह ज्यादा तेज दर्द होता है. उससे ये पता चल जाता है कि शरीर के किस हिस्से का रक्त बाधित है और बीमारी की जड़ कहां पर है.
बीमारी को जड़ से खत्म करने का दावा नहीं, इलाज होता है
वैद्य मोहम्मद फिरोज कहते हैं, "आयुर्वेद में किसी भी बीमारी के जड़ से खत्म किये जाने का दावा कभी नहीं किया जाता है. आयुर्वेद पद्धति की विशेषता ये है कि वो आपके सेल्स को प्रभावित नहीं करती, बल्कि नई सेल बनाने में कारगर होती है. सेल में ही असल में हमारा जीवन है, तो हम बीमारी को पकड़ कर उस स्थिति में सुधार कर सकते हैं, जड़ से खत्म करने का किसी बीमारी को कोई दवा आयुर्वेद में नहीं किया जाता."
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पांव से पकड़ी ऐसे बीमारियां
अंतर्राष्ट्रीय वन मेले समेत देश भर में लगने वाले इसी तरह के आयोजन में बीते 15 वर्ष से वैद्य मोहम्मद फिरोज शिरकत कर रहे हैं. वे कहते हैं इस तरीके से इलाज करते हुए मुझे पंद्रह साल हो गए हैं. गिनती नहीं है कितने लोगों का मर्ज पकड़ा और कतने लोगों का इलाज किया. वे बताते हैं इस समय तो सबसे ज्यादा बीमारियां लाइफ स्टाइल की दी हुई हैं. जिसमें सबसे ज्यादा सर्वाइकल है.