शहडोल: इस साल का आखिरी सोमवती अमावस्या व्रत 30 दिसंबर को है. पौष माह की ये सोमवती अमावस्या बहुत ही विशेष मानी जाती है. इस दिन शादीशुदा महिलाएं वट वृक्ष, पीपल या तुलसी के पास जाकर विशेष पूजा-पाठ करती है. कहा जाता है कि सच्ची श्रद्धा से की गई व्रत-पूजा का पूरा लाभ मिलता है और सुख-शांति में वृद्धि होती है. वहीं, इसमें कुछ चीजें वर्जित भी होती हैं. ज्योतिष आचार्य पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री से जानें इस व्रत से जुड़ी जरूरी बातें.
वट वृक्ष की 108 परिक्रमा करें
ज्योतिष आचार्य पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री बताते हैं, " साल 2024 की ये आखिरी अमावस्या है, जो 30 दिसंबर को पड़ रही है. ये पौष माह की सोमवती अमावस्या भी है. सोमवती अमावस्या के दिन नवविवाहित महिलाएं स्नान करने के बाद वट वृक्ष की पूजा करें. सबसे पहले पूजा की सामग्री जुटा लें. इसमें सुपारी, हल्दी या रेवड़ी दाना जैसी कोई चीज रखें, जो 108 नग हो. इसके बाद वट वृक्ष की 108 परिक्रमा करें. इस दौरान कच्चे सूत से वट वृक्ष को 108 बार लपेटना है और भगवान को प्रणाम करना है, जिसके बाद पूजा पूर्ण होगी."
पति की लंबी उम्र के लिए होती है पूजा
ज्योतिष आचार्य पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री बताते हैं, " पति की लंबी उम्र और उनके अच्छे सौभाग्य के लिए ये पूजा की जाती है. अगर सही तरीके से और विधि विधान से व्रत करके पूजा की जाए तो पति की आयु बढ़ती है. इसके साथ ही घर में संपत्ति बढ़ती है, शांति रहती है और पति को लंबी उम्र मिलती है."
नवविवाहित भूलकर भी न करें ये काम
आचार्य शास्त्री कहते हैं, "नव विवाहिता जिनकी अभी-अभी शादी हुई है और ये उनकी पहली सोमवती अमावस्या है, वे वशेष ध्यान रखें कि पौष माह की इस सोमवती अमावस्या से अपने व्रत की शुरुआत न करें. इस बार सोमवती अमावस्या में व्रत न करें और न ही पूजा करें. पौष माह की सोमवती अमावस्या से किसी व्रत की शुरुआत नहीं की जाती है. जो महिलाएं पहले से सोमवती अमावस्या की व्रत और पूजा करते आ रही हैं, वे पौष माह की सोमवती अमावस्या के दिन भी पूजा और व्रत कर सकती हैं."
- केंद्रीय मंत्री राममोहन नायडू का ऐलान, बाबा महाकाल की नगरी उज्जैन में बनाएंगे मेगा एयरपोर्ट
- भूतड़ी अमावस्या पर उज्जैन में 'भूतों का मेला', यहां स्नान करने से दूर होती है प्रेत बाधा
सोमवती अमावस्या के दिन जरूर करें ये काम
ज्योतिष आचार्य कहते हैं, " सोमवती अमावस्या के दिन व्रत में जो प्रसाद आप पूजा के लिए चढ़ा रहे हैं, उसे थोड़ा-थोड़ा सभी महिलाओं के बीच और लड़कियों के बीच में जरूर बाटें. पूजा करने के बाद महिलाएं बड़े-बुजुर्गों, सास-ससुर, माता-पिता के पैर छूकर आशीर्वाद लें. इसके साथ ही देवी-देवताओं को भी प्रणाम कर आशीर्वाद लें.