भोपाल: आगामी 13 दिसंबर को मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के कार्यकाल का 1 साल पूरा हो जाएगा. 'मामा' के नाम से लोकप्रिय प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के लगभग 17 साल के सीएम कार्यकाल के ऊपर इस 3 बार के विधायक को तरजीह दी गई थी. लगभग साढ़े सात करोड़ (2011 की जनगणना के अनुसार) की आबादी वाले प्रदेश को मोहन यादव से बहुत उम्मीदें हैं. खासकर जनजातीय वर्ग के लोगों कि जिनकी संख्या 1.5 करोड़ के ऊपर हैं. यानि प्रदेश का हर पांचवा व्यक्ति जनजातीय समूह से है.
मोहन यादव ने अपने कैबिनेट की पहली बैठक आदिवासी बाहुल्य महाकौश के जबलपुर में करके जनजातियों की उम्मीदों को और बढ़ा दिया. जनवरी में हुई यह कैबिनेट मीटिंग रानी दुर्गावती और रानी अवंतीबाई को समर्पित थी. इसके बाद 5 अक्टूबर 2024 को वीरांगना रानी दुर्गावती की पहली राजधानी सिंग्रामपुर में दोबारा कैबिनेट मीटिंग हुई. सरकार आदिवासी अंचलों में कैबिनेट लगाकर जनजातीय समाज में एक मैसेज दिया की उनकी कार्ययोजना में जनजातीय हितों की भी प्राथमिकता है.
लेकिन यहां एक सवाल खड़ा होता है कि जनजातीय वर्ग को इससे वाकई में कुछ हासिल हुआ है या यह सिर्फ दिखावा भर मात्रा है. यह जानने के लिए हमें पिछले एक साल में सरकार द्वारा जनजातीय समूह के लिए किए गए कार्यों का अवलोकन करना होगा. हमें यह जानना होगा कि पिछली सरकार में जनजातियों के लिए शुरू हुई योजनाओं को इस सरकार का कितना समर्थन मिला है और वर्तमान गवर्नमेंट ने नया क्या शुरू किया है. इसके अलावा सरकार के 2024-25 के बजट का भी अवलोकन करना होगा. इस आर्टिकल में हम इन सभी सवालों को जवाब जानने की कोशिश करेंगे.
जनजातीय वर्ग का बजट
वित्त वर्ष 2024-25 में मध्य प्रदेश सरकार ने अनुसूचित जनजाति (उप योजना) के लिये 40 हजार 804 करोड़ रूपये बजट पारित किया था. वित्त वर्ष 2023-24 से इसकी तुलना करें तो यह राशि 3,856 करोड़ रुपए (करीब 23.4 प्रतिशत) अधिक है. तो अब समझने की कोशिश करते हैं कि सरकार द्वारा यह बजट किस तरह से जनजातीय वर्ग को लाभान्वित कर रहा है और किन महत्वपूर्ण योजनाओं में इसका खर्च हो रहा है.
पीएम जन-मन योजना
प्रधानमंत्री जनजातीय आदिवासी न्याय महाअभियान (पीएम जन-मन) योजना पर प्रदेश सरकार ने विशेष ध्यान दिया है. सरकार ने इसके लिए इस साल 1607 करोड़ रुपये का अलग बजट रखा था. इस योजना के तहत पिछड़े व कमजोर जनजातीय समूहों (पीवीटीजी) के सर्वांगीण विकास के लिए काम किया जा रहा है. इस समुह के तहत आने वाली विशेष पिछड़ी जनजातियां बैगा, भारिया एवं सहरिया निवास क्षेत्रों में बहुउद्देश्यीय केंद्र, ग्रामीण आवास, ग्रामीण सड़क, समग्र शिक्षा, विद्युतीकरण जैसे काम किए जा रहे हैं. अभी तक कई कालोनियां बनाकर आदिवासियों को आवंटित भी की जा चुकी है, इससे उनके जीवन स्तर में सुधार हो रहा है.
आहार अनुदान योजना
इस योजना के माध्यम से बैगा, भारिया और सहरिया जनजातीय परिवारों की महिला मुखिया के खाते में सरकार प्रति माह 1500 हजार रुपये भेजती है. यह राशि सीधे महिला के बैंक खाते में भेजी जाती है, जिससे उनको इसका पूरा लाभ मिल सके. आहार अनुदान योजना का उद्देश्य जनजातीय परिवार को पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराना है, जिससे कुपोषण द्वारा होने वाली बीमारियों की समस्या को खत्म किया जा सके. 2024-25 के बजट में सरकार ने इसके लिए 450 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं.