जबलपुर: कर्मचारियों की तनख्वाह कम करने का मामला मोहन सरकार के लिए गले की फांस ना बन जाए, क्योंकि बहुत से संविदा कर्मचारियों ने हाईकोर्ट की शरण ली है. वहीं हाईकोर्ट ने इसके पहले इसी तरह के एक मामले में फैसला सुनाते हुए सरकार को आदेश दिया था कि जितने कर्मचारियों की तनख्वाह बीच में कम की गई है उन्हें पूरा पैसा एक साथ वापस दिया जाए. अब कर्मचारी इसी केस को आधार मानकर कोर्ट का दरवाजा खटखटाने पहुंचे हैं.
इस मामले को कर्मचारियों ने बनाया है आधार
गौरतलब है कि मध्य प्रदेश सरकार ने संविदा कर्मचारियों के वेतनमान में कटौती की है और इससे कर्मचारी सरकार के नाखुश हैं. अब आपको उस मामले के बारे में बताते हैं जिसे आधार बनाकर कर्मचारी कोर्ट पहुंचे हैं. दरअसल, साल 2020 में सिवनी की जिला अस्पताल में काम करने वाले 18 संविदा कर्मचारियों ने मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की थी. इस याचिका का क्रमांक 11632/ 2020 है. इस याचिका पर मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के जज आलोक अग्रवाल ने 11 जनवरी 2024 को एक फैसला दिया.
कर्मचारियों के वेतनमान में हुआ था संशोधन
इस मामले में सिवनी के जिला अस्पताल में काम करने वाले 18 संविदा कर्मचारियों ने कहा था कि सरकार ने जब उन्हें संविदा पर रखा था, तब एक अलग वेतनमान की बात की गई थी और संविदा की समय सीमा के पहले ही उन्हें कम वेतनमान पर नौकरी करने के लिए कहा जा रहा है और उनके वेतनमान में संशोधन कर दिया गया है. जज आलोक अग्रवाल ने इस मामले में फैसला सुनाते हुए कहा कि जो वेतनमान सेवा शर्तों के दौरान तय किया गया था उसे कम करना गलत है और कर्मचारियों को पूरा वेतन दिया जाए.