भोपाल: पीथमपुर में यूनियन कार्बाइड के जहरीले कचरे को जलाने का काम मध्य प्रदेश सरकार की अंडरटेकिंग में होगा. इससे पहले राज्य सरकार ने कचरे के दहन के संबंध में विस्तृत योजना नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के समक्ष रखी. इसमें सरकार ने न केवल कचरे के निस्तारण को लेकर जानकारी दी, बल्कि जनता को आश्वस्त करने के लिए भी योजना पेश की है. अधिकारियों ने दावा किया है कि जल्द ही सरकार कचरे को जलाने से होने वाले दुष्प्रभावों के संबंध में रिपोर्ट जनता के सामने रखेगी. जिससे जनता का भरोसा जीता जा सके.
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के न्यायाधीश शिव कुमार सिंह तथा एक्सपर्ट मेम्बर डॉ. अफरोज अहमद ने सुनवाई के बाद जारी किये आदेश में कहा कि चूंकि यह मामला अब हाईकोर्ट में लंबित है, अत: एनजीटी में दायर इस याचिका का निराकरण किया जाता है. इससे पहले याचिकाकर्ताओं की ओर एड. प्रभात यादव ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में याचिका दायर कर प्रार्थना की थी कि यूनियन कार्बाइड के जहरीले कचरे के निस्तारण में भूमि, जल तथा वायु में कोई विपरीत परिणाम नहीं होगा, प्रदेश सरकार के मुख्य सचिव इसको लेकर शपथ-पत्र दें. भोपाल, धार तथा पीथमपुर के नगर निगम आयुक्त भी शपथ-पत्र प्रस्तुत करें कि उस क्षेत्र के लोगों को नुकसान नहीं होगा. प्रदेश सरकार कचरे के निस्तारण पर वैज्ञानिक रिपोर्ट समाचार पत्रों में प्रकाशित कर उसे सार्वजनिक करे.
मीडिया के माध्यम से रिपोर्ट होगी सार्वजनिक
मध्य प्रदेश सरकार के अधिकारियों ने एनजीटी के सामने दिए गए डेमो में बताया कि इससे पहले सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के सामने जहरीले कचरे के प्रभाव और इसके निस्तारण को लेकर वैज्ञानिक रिपोर्ट प्रस्तुत की जा चुकी है. जिसमें स्पष्ट तौर पर लिखा है कि यह कचरा पर्यावरणीय क्षति पहुंचा सकता है. इसे यदि अनदेखा किया जाता है, तो इसका मानव जीवन पर भी गंभीर असर पड़ेगा. सरकार ने एनजीटी से कहा है कि जल्द ही मीडिया के माध्यम से यूनियन कार्बाइड कचरे को जलाने पर होने वाले दुष्प्रभावों के संबंध में रिपोर्ट सार्वजनिक करेगी.
पीथमपुर में उच्च तापमान में जलाया जाएगा कचरा
बता दें कि 337 मीट्रिक टन यूनियन कार्बाइड का जहरीला कचरा भोपाल से पीथमपुर भेजा जा चुका है. इसका निस्तारण रामकी इनवायरों के इंसीनेटर में किया जाना है. यहां जहरीले कचरे को उच्च तापमान पर जलाया जाएगा. यही कचरे को सुरक्षित रूप से नष्ट करने का वैज्ञानिक तरीका है. इससे कचरे से होने वाले पर्यावरणीय नुकसान को कम किया जा सकता है.
एनजीटी में दायर की गई थी याचिका
दरअसल यूनियन कार्बाइड कचरे के पीथमपुर में जलाने से होने वाले नुकसान को लेकर डा. पीजी नाजपांडे और रजत भार्गव ने याचिका दायर की थी. इसमें पीथमपुर में कचरा जलाने से होने वाले पर्यावरणीय नुकसान और उससे मानव जीवन पर पड़ने वाले असर को लेकर सवाल उठाए गए थे. जिसका निस्तारण करते हुए एनजीटी ने राज्य सरकार की ओर से कचरे के निस्तारण को लेकर प्रस्तुत कार्य योजना को मंजूरी दे दी है. साथ ही एनजीटी ने कहा है कि कचरा जलाने को लेकर पूरी प्रक्रिया सुरक्षित और पारदर्शी रहे.
12 कंटेनर में भरा है जहरीला कचरा
बता दें कि भोपाल में यूनियन कार्बाइट फैक्ट्री के अंदर करीब 337 मीट्रिक टन कचरा थैलियों में भरा था. इस कचरे को जंबो बैग में भरकर 12 कंटेनरों में लोड कर पीथमपुर ले जाया गया है. इसमें 5 प्रकार के कचरे को अलग-अलग ले जाया गया है. गैस राहत विभाग के संचालक स्वतंत्र कुमार सिंह ने बताया "फैक्ट्री में रिएक्टर से निकले अवशेष, सीवन अवशेष, नेफ्थाल अवशेष और कीटनाशक बनाने की प्रक्रिया के दौरान प्रोसेस करने से बचा हुआ केमिकल शामिल है. इसके साथ ही यूनियन कार्बाइड परिसर में बिखरे हुए कचरे को इकट्ठा करने के साथ उस समय परिसर की मिट्टी को भी इकट्ठा कर पीथमपुर भेजा गया है."