कोटा:राजस्थान के कोटा सेएक अनोखा मामला सामने आया है. यह रामगंजमंडी विधानसभा इलाके के सातलखेड़ी का है, जिसमें करीब 15 साल पहले लापता हुआ 8 वर्षीय बालक वापस लौटा है. पहले वह एक गरीब परिवार का सदस्य था, लेकिन अब वह पढ़-लिखकर डिप्लोमा कर चुका है और होटल इंडस्ट्री में जॉब कर रहा है. इस घटना के बाद उसके परिजन पहले तो हक्के-बक्के रह गए, लेकिन बाद में जब उसने पुरानी बातें बताई तब सबको विश्वास हुआ.
मामले में सुकेत थानाधिकारी छोटू सिंह का कहना है कि 12 सितंबर 2009 को सातलखेड़ी निवासी 8 वर्षीय मेघराज पुत्र गंगाधर बैरवा की गुमशुदगी दर्ज हुई थी. इसकी काफी तलाश की गई थी, लेकिन यह नहीं मिला. साल 2016 में इस मुकदमे में तब्दील कर दिया गया. घटना के 15 साल बीतने के बाद वह मिला है, जिसे परिजनों के सुपुर्द किया गया है. वह नाबालिग उम्र में लापता हुआ था, लेकिन अब बालिग होकर 23 साल का युवक बनकर लौटा है. इसकी सूचना पर पुलिस ने 2000 का इनाम भी रखा हुआ था.
परिजनों ने स्वर्गीय की लगाकर टांग दी तस्वीर, याद में बनवा दिया चबूतरा : मेघराज की मां सुगना बाई का कहना है कि काफी समय तक मेघराज की तलाश हमने की, इसमें हम सफल नहीं हुए. बाद में मेघराज के वापस नहीं लौटने पर हमने उसे मृत मान लिया, उसका चबूतरा भी बना दिया. उसकी मौत मानते हुए कई क्रियाकलाप भी कर दिए गए. यहां तक कि घर में उसकी याद में चबूतरा भी बना हुआ है. उसकी तस्वीर पर स्वर्गीय मेघराज लिखकर रोज माला चढ़ाई जाती रही है. अब जब वह वापस लौटा है तो पहले किसी को विश्वास नहीं हुआ और बाद में जब उसने पुरानी बातें बताई तो तक सब कुछ समझ में आई है.
10 साल अनाथ आश्रम में रहकर की पढ़ाई : क्रूसी फाऊंडेशन हैदराबाद के कोऑर्डिनेटर एस रविकुमार का कहना है कि के. राकेश हमारे यहां पर 10 साल रहे हैं. साल 2009 में उन्होंने प्रवेश लिया था और 18 साल की उम्र होने पर 2019 में यहां से विदा हो गए थे. जॉब करके वे शेल्टर होम से बाहर इंडिविजुअल रहने लग गए थे. सॉफ्टवेयर इंडस्ट्री में हुए होटल ऑपरेशंस के काम से जुड़े हुए हैं. अभी उन्हें 50 से 60 हजार के आसपास वेतन मिल रहा है. उन्होंने हमारे यहां पर रहकर यह डिप्लोमा कर लिया था. जब वह पहले उनका एड्रेस को बिहार होना बताया था, तब हमने बिहार में काफी तलाश करवाया, लेकिन नहीं मिला था.