बिलासपुर स्मार्ट सिटी के काम पर महापौर ने उठाए सवाल, कहा शहर में सुविधाएं नहीं, बेमतलब की चीजों में खर्च हो रही रकम - Bilaspur Smart City - BILASPUR SMART CITY
Mayor Ramsaran Yadav raised questions छत्तीसगढ़ की न्यायधानी को स्मार्ट बनाने का काम जोर शोर से शुरु किया गया था.देश के 100 शहरों में बिलासपुर का भी नाम शामिल किया गया था.लेकिन मौजूदा समय में बिलासपुर को स्मार्ट बनाने को लेकर किए जा रहे काम में सवाल उठ रहे हैं.महापौर ने स्मार्ट सिटी के नाम पर व्यवसाय करने का आरोप लगाया है. Bilaspur Smart City
बिलासपुर स्मार्ट सिटी के काम पर महापौर ने उठाए सवाल (ETV Bharat Chhattisgarh)
बिलासपुर :बिलासपुर स्मार्ट सिटी शहर योजना विकास के साथ ही आम नागरिकों को मूलभूत सुविधा देने के लिए शुरु की गई थी. लेकिन कुछ ही महीनों में स्मार्ट सिटी अपने उद्देश्यों से भटक गया. अब स्मार्ट सिटी आम नागरिकों को मूलभूत सुविधा देने के बजाय व्यावसायिक परिसर बनाकर उसे बेचना और मुनाफा कमाने का जरिया बन चुका है. जिस स्मार्ट सिटी पर आम जनता को शहर विकास का भरोसा था.वो अब व्यवसाय में उतर आया है.
सरकारी पैसे का गलत जगह इस्तेमाल :इस मामले को लेकर महापौर भी अब मुखर होकर स्मार्ट सिटी के कार्यों और जनता के मूलभूत सुविधाओं को अनदेखा करने का आरोप लगा रहे हैं. वार्डों में व्याप्त अव्यवस्था और मूलभूत सुविधाओं की कमी को लेकर एक तरफ नगर निगम प्रशासन बजट नहीं होने की बात करता है, वहीं दूसरी तरफ शासकीय दीवारों और पुल पुलिया का रंग रोगन कराकर पैसों को बर्बादी कर रहा है.
महापौर ने लगाए गंभीर आरोप :बिलासपुर महापौर रामशरण यादव ने इस मामले में गंभीर आरोप लगाए हैं. रामशरण यादव के मुताबिक बिलासपुर स्मार्ट सिटी विकास के बजाय अब व्यवसाय करना शुरू कर दिया है. शहर की शासकीय जमीनों को अपने पजेशन में लेकर बड़े-बड़े परिसर और मॉल तैयार कर दुकानें बेची जा रहीं हैं. आने वाले भविष्य के लिए जिन जमीनों को अब तक सुरक्षित कर रखा गया था,वो स्मार्ट सिटी के नाम पर कब्जा की जा रहीं हैं.
पब्लिक की सुविधा नहीं,पुताई है जरूरी :मल्टी लेवल पार्किंग के नाम पर स्मार्ट सिटी प्रथम और द्वितीय तल को व्यावसायिक परिसर बना रहा है और इसकी बिक्री कर रहा है. वहीं जिस मकसद से बिलासपुर को स्मार्ट सिटी बनाए जाने की शुरुआत की गई थी,वो अपने उद्देश्य से भटक चुका है. वार्डों में व्याप्त अव्यवस्था और मूलभूत सुविधाओं के अभाव की वजह से जनता परेशान है. वहीं स्मार्ट सिटी के पैसे का दुरुपयोग कर शासकीय भवनों के दीवारों का रंग रोगन, चित्रकारी और बिना जरूरत छोटे-छोटे उद्यान बनाए जा रहे हैं. जिनके रखरखाव के अभाव में वह बर्बाद हो रहा है, पैसा अलग. इस मामले को लेकर अब महापौर मुखर होकर विरोध पर उतर आए हैं.महापौर रामशरण यादव ने कहा कि बिलासपुर स्मार्ट सिटी में जनप्रतिनिधियों को शामिल नहीं कर सरकार ने इसे पूरी तरह अधिकारियों के भरोसे छोड़ दिया है. अधिकारी अपनी मनमानी पर उतर आए हैं. जब वार्डों के विकास की बात कही जाती है तो उसे स्मार्ट सिटी में शामिल नहीं होने की बात कहकर पल्ला झाड़ लिया जाता है.
'' शहर से बाहर परिसर बनाने या शहर के अंदर दूसरे विभागों की जमीन लेकर परिसर बनाने के नाम पर स्मार्ट सिटी के पास करोड़ों रुपए आ जाते हैं. स्मार्ट सिटी विकास के साथ जनता को मूलभूत सुविधा मिले इस उद्देश्य से शुरू किया गया था. लेकिन बिलासपुर स्मार्ट सिटी और उनके अधिकारी व्यवसाय करने पर उतर आए हैं.'' रामशरण यादव, महापौर
वार्डों में गंदगी, निगम में बजट नहीं होने का हवाला :महापौर के मुताबिक वार्डों की नालियों में लगी पाइप लाइन को ऊपर करना चाहिए ताकि पीलिया डायरिया हर साल हो रहा है जिसे खत्म किया जा सके, वार्डो और मुख्य मार्गो की सड़के जर्जर हो गई है, नालियां टूट चुकी है, जब भी निगम कमिश्नर से इन विषयों में बात किया जाता रहा वो बजट नहीं होने की बात करते रहे वही व्यवसायिकी कॉम्प्लेक्स बनाने के लिए बजट आ जाता है तो नागरिकों की सुविधाओं के लिए क्यों नहीं.
स्मार्ट सिटी के तहत कहां हो रहा काम ?:बिलासपुर स्मार्ट सिटी वैसे तो कार्य के लिए 14 वार्ड में सीमित हैं. लेकिन शहर के बाहर 4 किलोमीटर दूर कोनी में कॉम्प्लेक्स, सिटी कोतवाली थाना की जमीन में मल्टीलेवल पार्किंग के नीचे दो तल्ले पर व्यवसायिक दुकान, पुराना बस स्टैंड और नेहरू चौक पर परिसर और मल्टी लेवल पार्किंग, राजकिशोर नगर में व्यावसायिक कॉम्प्लेक्स तैयार किया गया है. इनमें बनी दुकानों को व्यावसायिक उपयोग के लिए नगर निगम बेच रहा है. इनमें करोड़ों रुपए का मुनाफा स्मार्ट सिटी को हो रहा है. स्मार्ट सिटी के तहत जो काम विकास के नाम पर कराया जा रहा है,वो शहर के बाहरी क्षेत्र में ज्यादा है.जबकि जिस शहर को स्मार्ट बनाना है वहां के वार्डों में गंदगी और मूलभूत सुविधाओं की कमी है.