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बसपा सुप्रीमो मायावती बोली- अमित शाह आंबेडकर पर दिए बयान को वापस लेकर पश्चाताप करें - BSP SUPREME MAYAWATI

मायावती बोली यूपी में यह कैसा कानून का राज, सत्ताधारी लोगों के लिए उनके हर गुनाह की अनदेखी क्यों?

मायावती ने अमित शाह पर किया हमला
मायावती ने अमित शाह पर किया हमला (Photo Credit; ETV Bharat)

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jan 16, 2025, 2:24 PM IST

लखनऊ: बसपा सुप्रीमो मायावती ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा राज्यसभा में बाबा साहब भीमराव अंबेडकर पर दिए गए बयान को लेकर हमला बोला है. उन्होंने कहा कि डॉ. अंबेडकर विरोधी बयान को गृहमंत्री वापस लेकर पश्चाताप करें. उन्होंने कहा कि बहुजन समाज पार्टी गृहमंत्री के बयान के पहले दिन से ही यह मांग करती आ रही है. जिसे आज तक केंद्र में बैठी भाजपा सरकार अनदेखी करती आ रही है.

गुरुवार को प्रदेश कार्यालय में सभी जिला अध्यक्षों पदाधिकारी की अहम बैठक को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि 2027 के लिए पार्टी के सभी कर्मी पदाधिकारी और जिला अध्यक्ष कर समाज में पार्टी के जन आधार को बढ़ाने के लिए खासकर कैडर आधारित ठोस रणनीति को जन-जन तक पहुंचाने के लिए अभी से जुट जाए.

बसपा सुप्रीमो ने पार्टी के पदाधिकारी को आर्थिक मजबूती देने के लिए जरूरी दिशा निर्देश दिए. कहा कि पार्टी केवल अपने कार्यकर्ताओं से ही विभिन्न रूप में आर्थिक मदद लेकर ही अपनी पार्टी की गतिविधियों को संचालित करती हैं. इसके उलट कांग्रेस बीजेपी व अन्य विरोधी पार्टियों की तरफ बड़े-बड़े पूंजीपतियों आदि से आर्थिक मदद लेकर अपनी पार्टी की गतिविधियां नहीं चलाती हैं.

उन्होंने कहा कि मान्यवर काशीराम की सलाह पर पार्टी की सरकार बने. पार्टी गरीबों वंचितों और सोचों के लिए काम करने की दिशा में हमेशा आगे बढ़ रही है. बसपा सुप्रीमो ने बैठक के बाद कहा कि जिलों से पार्टी के कार्यकर्ताओं से मिले फीडबैक के आधार पर यह पाया गया कि उत्तर प्रदेश में कानून व्यवस्था के नाम पर जिस प्रकार से जिलों में योगी सरकार द्वारा दमनकारी नीति अपनाकर अधिकतर गरीबों, मजदूरों के यहां पुलिस राज को लागू किया है.

उन्होंने कहा कि योगी सरकार को कोर्ट की तरह गंभीर और संवेदनशील होकर संविधान धर्म की जिम्मेदारी को निभाना चाहिए. एकतरफा पुलिस का कार्रवाई से क्या प्रदेश की कानून व्यवस्था सुधर जाएगी.

बसपा सुप्रीमो मायावती ने कहा कि मौजूदा प्रदेश सरकार विरोधियों के खिलाफ खास कर पुलिसिया कार्रवाई से लोगों में डर पैदा कर दिया है. साथी यह सवाल सामाजिक रूप से उनके अंदर उत्पन्न हो रहा है कि यूपी में यह कैसा कानून का राज है? सत्ताधारी लोगों के लिए उनके हर जुर्म की अनदेखी क्यों है? क्या इससे प्रदेश की कानून व्यवस्था सुधर जाएगी?

उन्होंने कहा कि इसके अलावा सिविल मुकदमों को भी क्रिमिनल केस की तरह कार्रवाई करना भी क्या उचित है? इसका भी राज सरकार को जरूर समुचित संज्ञान लेना चाहे, क्योंकि इसके विरुद्ध सुप्रीम कोर्ट को संज्ञान लेना पड़ता है.

उन्होंने कहा कि इसके अलावा जिले में प्रशासन और पुलिस का रवैया ज्यादातर मामलों में राजनीतिक सांप्रदायिक और जातिवादी द्वेष का होने से यह आम धारणा बन रही है कि यह सब भाजपा की नीति के तहत वोट की राजनीति के लिए सरकारी मशीनरी व पुलिस का अनुचित इस्तेमाल किया जा रहा है. ऐसे में कानून का राज का अभाव लोगों की चिंता का विशेष कारण है. पुलिस राज का या अर्थ सिविल व्यवस्था का दिवालिया हो जाना है, जो क्या व्यापक जन एवं देश हित में उचित है?

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