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मौनी अमावस्या पर बन रहा महासंयोग, जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि - mauni amavasya 2024 mahasanyog

Mauni Amavasya 2024: माघ माह की अमावस्या को मौनी अमावस्या कहा जाता है. माना जाता है कि इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं और पापों से मुक्ति मिलती है. इस बार मौनी अमावस्या को विशेष संयोग बनने के कारण इसकी महत्ता और बढ़ गई है. आईए जानते हैं आचार्य मनोज मिश्रा से.

मौनी अमावस्या पर बन रहा महासंयोग, जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
मौनी अमावस्या पर बन रहा महासंयोग, जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

By ETV Bharat Bihar Team

Published : Feb 9, 2024, 6:23 AM IST

Updated : Feb 9, 2024, 8:31 AM IST

आचार्य मनोज मिश्रा

पटना:आचार्य मनोज मिश्रा ने कहा कि हिंदू धर्म में मौनी अमावस्या का विशेष महत्व है. यह मुख्य रूप से माघ महीने के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को मनाया जाता है . 9 फरवरी शुक्रवार को मौनी अमावस्या की तिथि का प्रारंभ सुबह 8:05 बजे पर होगा जो 10 फरवरी को शाम 4:30 तक रहेगा.

कब है मौनी अमावस्या?: मौनी अमावस्या शुक्रवार 9 फरवरी को मनाया जाएगा. ऐसी मान्यता है कि इसी दिन ऋषि मनु का जन्म हुआ था. गंगा नदी में देवी देवताओं का वास होता है इसलिए मौनी अमावस्या को गंगाजल में स्नान कर मौन रहने का विशेष महत्व बताया गया है.

"मौनी अमावस्या के दिन विष्णु भगवान का पूजन किया जाता है. पितृ दोष से मुक्ति पाने के लिए इस व्रत के दिन सुबह उठ करके पवित्र नदी में स्नान करना चाहिए. स्नान करने के बाद एक पात्र में जल चावल तिल मिलाकर पीपल के पेड़ में ओम भगवते वासुदेवाय नमः मंत्र का जाप करते हुए जल अर्पित करें जिससे कि पितृ दोष से मुक्ति मिलेगी."- आचार्य मनोज मिश्रा

मौनी अमावस्या में महासंयोग: मौनी अमावस्या पर सर्वार्थ सिद्धि योग, महोदय योग और बुधादित्या योग के मिलन से महासंयोग बन रहा है. इस कारण से मौनी अमावस्या का दिन और विशेष हो गया है. मौनी अमावस्या पर बन रहे इस महासंयोग पितरों को प्रसन्न करने के लिए काफी शुभ है.

दिनभर मौन रहें: शास्त्रों में मौनी अमावस्या के दिन विष्णु भगवान और शिव जी का पूजा अवश्य करना चाहिए. पूजा करने के बाद हर व्यक्ति को यही कोशिश करना चाहिए की दिनभर मौन रहे, जो लोग मौन नहीं रह सकते हैं तो कम बोले, झूठ नहीं बोले , कोशिश करें कि आपकी वाणी से किसी को दुख न पहुंचे.

भगवान विष्णु का करें जाप: मौनी अमावस्या अपने नाम के अनुसार मौन और साधना के लिए जाना जाता है. प्रतिदिन हर व्यक्ति जाने अनजाने में कितनी ही झूठ बोलते हैं जिससे कि कितने लोगों को ठेस दुख पहुंचता है. इसलिए मौनी अमावस्या के दिन पूजा पाठ में लीन रहे भगवान विष्णु का जाप करें.

भूखे को खिलाएं खाना: साथ ही भगवान शिव का जाप करें, जिससे कि पूरा दिन आपका मंत्र और जाप में बीत जाएगा. फिर इस दिन भूखे व्यक्ति को भोजन कराएं और समर्थ के अनुसार दान करें जिससे अश्वमेध यज्ञ का पुण्य प्राप्त होता है.

मौनी अमावस्या पौराणिक कथा: आचार्य मनोज मिश्रा ने बताया कि मौनी अमावस्या की कथा को लेकर के एक कहानी जुड़ी हुई है. प्राचीन काल में एक ब्राह्मण परिवार कांची पुरी में रहता था. पति-पत्नी दोनों ही धर्मात्मा थे. पूजा पाठ नित्य दिन किया करते थे और धरमपूर्वक अपनी गृहस्थ जीवन को जी रहे थे. देवस्वामी तथा उसकी पत्नी का नाम धनवती था.

उनके सात पुत्र और एक पुत्री थी. देव स्वामी ने अपने बड़ी पुत्री की कुंडली शादी के लिए पंडित को दिखाई. पंडित ने कुंडली में वैद्यवय दोष बताया. पंडित ने दोष से बचने का रास्ता भी बताया. पंडित के कहे अनुसार कन्या सिंहल द्वीप के पास रहने वाले धोबी का आशीर्वाद लेने पहुंची, जिस पेड़ के नीचे बैठकर दोनों सागर के बीच पहुंचने का रास्ता ढूंढ रहे थे. उसी समय एक गिद्ध का घोंसला दिखा.

गिद्ध के बच्चों को दोनों भाई-बहन ने पूरी बात बताई. उनके यहां आने की वजह जानकर गिद्ध के माता-पिता ने दोनों को अपनी पीठ पर बिठाकर सिंहल द्वीप ले गए.वहां जाकर कन्या ने सोम को अपनी सेवा से प्रसन्न कर दिया. जब सोमा को उसके दोष के बारे में पता चला तो उसने अपना सिंदूरदान अखंड सौभाग्यवती का वरदान दिया. जिस दिन उस कन्या का विवाह हुआ वह मौनी अमावस्या का दिन था. तभी से मौनी आमवस्या की शुरुआत हुई और लोग इस दिन को मानते हैं.

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Last Updated : Feb 9, 2024, 8:31 AM IST

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