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सीआरपीएफ सब इंस्पेक्टर उमा चरण पासवान का पार्थिव शरीर पहुंचा कोडरमा, अंतिम दर्शन को उमड़ी भीड़, लोगों ने नम आंखों से दी शहीद को विदाई - Martyr Dead Body Reaches Koderma

Uma Charan Paswan dead body reached Koderma.सीआरपीएफ के सब इंस्पेक्टर उमा चरण पासवान का पार्थिव शरीर कोडरमा पहुंचते ही लोगों का सैलाब उमड़ पड़ा. लोगों ने नम आंखों से शहीद को अंतिम विदाई दी.

Martyr Dead Body Reaches Koderma
कोडरमा में शहीद का पार्थिव शरीर और विलाप करते परिजन. (कोलाज इमेज-ईटीवी भारत)

By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Jun 18, 2024, 8:22 PM IST

कोडरमा: दिल्ली-हरियाणा बॉर्डर पर फरवरी महीने में किसान आंदोलन में पथराव की घटना में घायल सीआरपीएफ के सब इंस्पेक्टर उमा चरण पासवान की दिल्ली में इलाज के क्रम में मौत हो गई. मंगलवार को उनका पार्थिव शरीर कोडरमा के सतगावां प्रखंड स्तिथ भखरा गांव पहुंचा. जैसे ही शहीद का पार्थिव शरीर गांव पहुंचा परिजन दहाड़ मारकर रोने लगे. यह दृश्य देख सभी की आंखें नम हो गई. परिजनों के करुण क्रंदन से पूरा इलाका गमनीन हो गया. इस दौरान लोगों ने शहीद उमा चरण पासवान अमर रहे के नारे लगाकर उन्हें अंतिम विदाई दी.

कोडरमा पहुंचा शहीद सीआरपीएफ सब इंस्पेक्टर उमा चरण पासवान का पार्थिव शरीर और जानकारी देते संवाददाता भोला शंकर. (वीडियो-ईटीवी भारत)

40 जवानों का समूह दिल्ली से पहुंचा पार्थिव शरीर लेकर

बात दें कि सीआरपीएफ के तकरीबन 40 जवानों का एक समूह दिल्ली से उनका पार्थिव शरीर लेकर मंगलवार को उनके पैतृक गांव पहुंचा था. जहां उन्हें सीआरपीएफ की ओर से अंतिम विदाई दी गई.

1992 में सीआरपीएफ में बहाल हुए थे उमा चरण

बताते चलें कि साल 1992 में सीआरपीएफ में बतौर कांस्टेबल बहाल हुए उमा चरण पासवान पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई की सुरक्षा में भी तकरीबन 2 साल तैनात रहे थे. इसके बाद उनका ट्रांसफर जम्मू-कश्मीर हो गया था. किसान आंदोलन से पहले उनका तबादला दिल्ली हो गया था.

किसान आंदोलन के दौरान पथराव में घायल हुए थे उमा चरण

किसान आंदोलन के समय वे वहां सुरक्षा में तैनात थे. इसी बीच 16 फरवरी को किसानों की ओर से किए गए पथराव में उमा चरण गंभीर रूप से घायल हो गए. इसके बाद इलाज के लिए उन्हें दिल्ली के अस्पताल में भर्ती कराया गया था. जहां तकरीबन 4 महीने तक जिंदगी और मौत से जूझते हुए उन्होंने दम तोड़ दिया.

बेटी का रिश्ता तय कर गए थे, पर शादी से पहले ही चल बसे

दिल्ली ट्रांसफर होने से पहले वह अपने घर भी आए थे और अपनी एक बेटी की शादी के लिए रिश्ता भी तय कर दिया था. परिजनों के अनुसार 20 अप्रैल को उनकी बेटी की शादी तय थी. लेकिन उमा चरण पासवान के घायल होने के कारण शादी की तिथि टल गई थी. उनकी बेटियों ने बताया कि पिता उन्हें बेसहारा छोड़कर चले गए हैं.

गांव के बेटे की मौत से गम के साथ गर्व भी

वहीं स्थानीय लोगों की माने तो गांव के एक बेटे की मौत से गम तो जरूर है, लेकिन देश की रक्षा करते-करते एक बेटे के शहीद हो जाने पर गर्व का भी अहसास है. स्थानीय लोगों ने सरकार से शहीद परिवार को हर तरह की सुविधा मुहैया कराने की अपील की है.

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