भीलवाड़ा.देश में समय के साथ भले ही लोगों की सोच में तब्दीली आई हो, लेकिन आज भी राजस्थान में बाल विवाह का चलन खत्म नहीं हो सका है. तमाम जागरूकता अभियान और शासन-प्रशासन की सख्ती के बावजूद बदस्तूर बाल विवाह का सिलसिला है कि थमने का नाम ही नहीं ले रहा है. ताजा मामला भीलवाड़ा से सामने आया, जहां जिले कलेक्टर की पहल पर 8 बेटियों को बालिका वधू बनने से बचाया गया. चलिए अब आपको पूरे घटनाक्रम से अवगत कराते हैं.
दरअसल, जिला कलेक्टर नमित मेहता की पहल पर भीलवाड़ा में अक्षय तृतीया के मौके पर 8 बाल विवाहों को रुकवा गया. कलेक्टर के निर्देश पर जिले में कंट्रोल रूम की स्थापना की गई. ऐसे में अक्षय तृतीय के दिन कंट्रोल रूम को बाल विवाह कराए जाने की शिकायत प्राप्त हुई थी, जिस पर त्वरित कार्रवाई करते हुए 8 बच्चियों को बालिका वधू बनने से बचाया गया. जिला बाल संरक्षण इकाई द्वारा संचालित चाइल्ड हेल्पलाइन 1098 पर बाल विवाह की शिकायत प्राप्त हुई थी. उसके बाद जिला प्रशासन व पुलिस की टीम मौके पर पहुंची और बच्चियों की शादियों को रुकवाया गया.
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वहीं, प्रभारी भीलवाड़ा उपखंड अधिकारी अवध निवृत्ति सोमनाथ के निर्देश पर जिले की बड़लियास थाना पुलिस की मदद से एक, प्रतापनगर पुलिस की सहायता से एक और मंगरोप पुलिस की तत्परता से एक बच्ची की शादी रुकवाई गई. इसके अलावा मांडलगढ़ तहसीलदार की सक्रियता से एक, जहाजपुर उपखंड अधिकारी व बाल कल्याण समिति और तहसीलदार से संपर्क कर शकरगढ़ पुलिस की मदद से एक और पंडेर पुलिस की सहायता से एक, हनुमाननगर पुलिस की मदद से एक और रायपुर पुलिस के सहयोग से एक नाबालिग की शादी रुकवाया जा सका.
इस मामले में भीलवाड़ा उपखंड अधिकारी अवध निवृत्ति सोमनाथ ने बताया कि भीलवाड़ा प्रशासन की ओर से बाल विवाह की रोकथाम के लिए जागरूकता अभियान चलाए जाने के साथ ही चाइल्ड हेल्पलाइन 1098 और बाल विवाह नियंत्रण कक्ष की स्थापना कराई गई. वहीं, अक्षय तृतीया के मौके पर नियंत्रण कक्ष को बाल विवाह से संबंधित कई शिकायतें प्राप्त हुई, जिस पर कार्रवाई करते हुए कुल 8 नाबालिग बच्चियों की शादी रुकवाई गई.
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जिला बाल संरक्षण इकाई के सहायक निदेशक मोहमद अशफाक खान ने बताया कि जिला कलेक्टर नमित मेहता व राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग के निर्देशों की अनुपालना में अक्षय तृतीया के अवसर पर होने वाले बाल विवाह की रोकथाम के लिए जिले में जागरूकता अभियान चलाया गया. साथ ही बाल विवाह को रोकने के लिए पंच, सरपंचों के अलावा सभी विभागों ने अहम भूमिका निभाई.