मनेन्द्रगढ़ चिरमिरी भरतपुर: मनेंद्रगढ़ के रहने वाले पवन दुबे चैनपुर ग्राम पंचायत के प्राथमिक शाला में बतौर प्रधान पाठक बच्चों को पढ़ा रहे हैं. फादर्स डे पर पवन दुबे कहते हैं कि उनका बचपन बेहद अभावों में बीता. दिव्यांग होने के चलते उनके पिता उनको सालों तक स्कूल कंधे पर बिठाकर पहुंचाते रहे. जब वो बड़े हो गए थो पिता उनका बोझ उठाने में असमर्थ हो गए. पिता ने आर्थिक तंगी के बावजूद उनके स्कूल जाने के लिए रिक्शा लगवा दिया. पवन रिक्शे से स्कूल जाने लगे. कड़ी मेहनत और लगन के दम पर पवन ने शिक्षक की नौकरी हासिल कर ली. आज वो अपने पिता के बलिदान को याद कर भावुक हो जाते हैं. कहते हैं पिता ने जो कर्तव्य निभाया उसकी बदौलत ही आज वो इस मुकाम पर हैं.
बेटे ने किया पिता का नाम रोशन:पवन के पिता बताते हैं कि पवन का जब जन्म हुआ तो इसकी माता जी का निधन बीमारी के चलते हो गया. पवन के पैरों की हड्डियां बचपन से ही कमजोर थीं. पवन के पैर की हड्डियां 18 बार टूट चुकी हैं. पवन के दिव्यांग होने का गम पिता ने कभी नहीं किया. बेटे को प्राइवेट स्कूल में पढ़ाया. खुद घर घर जाकर पूजा पाठ का काम कराते रहे. दक्षिणा से जो पैसे मिलते उससे घर को चलाते. पिता की मेहनत रंग लाई और बेटे पवन ने सरकारी शिक्षक बनने की परीक्षा पास कर ली.