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दिव्यांग बेटे को कंधे पर बिठाकर पिता ने पहुंचाया स्कूल, बेटे ने दिया पिता को अनमोल तोहफा - FATHERS DAY SPECIAL - FATHERS DAY SPECIAL

मनेंद्रगढ़ में दिव्यांग बेटे को एक पिता ने सालों तक अपने कंधे पर बिठाकर स्कूल पहुंचाया. पिता का ख्वाहिश थी की उनका बेटा एक दिन पढ़ लिखकर बड़ा आदमी बने. बेटे ने पिता की तकलीफों को समझा और आज वो पिता के बताए कदमों पर चल रहा है. पिता को भी अपने होनहार बेटे पर नाज है.

FATHERS DAY SPECIAL
पिता के जज्बे को सलाम (ETV Bharat)

By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Jun 16, 2024, 12:43 PM IST

मनेन्द्रगढ़ चिरमिरी भरतपुर: मनेंद्रगढ़ के रहने वाले पवन दुबे चैनपुर ग्राम पंचायत के प्राथमिक शाला में बतौर प्रधान पाठक बच्चों को पढ़ा रहे हैं. फादर्स डे पर पवन दुबे कहते हैं कि उनका बचपन बेहद अभावों में बीता. दिव्यांग होने के चलते उनके पिता उनको सालों तक स्कूल कंधे पर बिठाकर पहुंचाते रहे. जब वो बड़े हो गए थो पिता उनका बोझ उठाने में असमर्थ हो गए. पिता ने आर्थिक तंगी के बावजूद उनके स्कूल जाने के लिए रिक्शा लगवा दिया. पवन रिक्शे से स्कूल जाने लगे. कड़ी मेहनत और लगन के दम पर पवन ने शिक्षक की नौकरी हासिल कर ली. आज वो अपने पिता के बलिदान को याद कर भावुक हो जाते हैं. कहते हैं पिता ने जो कर्तव्य निभाया उसकी बदौलत ही आज वो इस मुकाम पर हैं.

पिता के जज्बे को सलाम (ETV Bharat)

बेटे ने किया पिता का नाम रोशन:पवन के पिता बताते हैं कि पवन का जब जन्म हुआ तो इसकी माता जी का निधन बीमारी के चलते हो गया. पवन के पैरों की हड्डियां बचपन से ही कमजोर थीं. पवन के पैर की हड्डियां 18 बार टूट चुकी हैं. पवन के दिव्यांग होने का गम पिता ने कभी नहीं किया. बेटे को प्राइवेट स्कूल में पढ़ाया. खुद घर घर जाकर पूजा पाठ का काम कराते रहे. दक्षिणा से जो पैसे मिलते उससे घर को चलाते. पिता की मेहनत रंग लाई और बेटे पवन ने सरकारी शिक्षक बनने की परीक्षा पास कर ली.

बचपन में ही इसकी मां गुजर गई. बड़ी मुश्किल और आर्थिक तंगी के बीच इसे पढ़ाया लिखाया. बच्चे को कंधे पर स्कूल भी पहुंचाया. बेटा आज स्कूल में टीचर हो गया है. मेरी मेहनत रंग लाई. बेटा ने भी अपना फर्ज निभाया. - हृदेश प्रसाद दुबे, पवन के पिता

पिता की कठीन तपस्या की बदौलत आज हम इस मुकाम पर खड़े हैं. पिता ने बड़े कष्टों से मुझे पढ़ाया है. मैं भी बच्चों को यही शिक्षा देता हूं कि हमेशा दूसरे के जीवन का उजियारा बनो. - पवन दुबे, प्रधान पाठक

हौसलों के आगे हालात ने तोड़ा दम: कहते हैं इरादे अगर बुलंद हों, हौसले अगर मजबूत हों तो हालत भी आपके सामने बौना साबित हो ता है. दिव्यांग होने के बावजूद भी पवन दुबे ने अपना हौसला नहीं खोया. पिता की कड़ी मेहनत को ध्यान में रखकर खूब मेहनत की. आज वो स्कूल में प्रधान पाठक की नौकरी कर रहे हैं. पिता ने जो उनको सिखाया, पिता नो जो नेकी की राह दिखाई पवन उस राह पर आज बेधड़क आगे चलते जा रहे हैं. पवन और उनके पिता दोनों आज समाज के लिए प्रेरणा बने हैं.

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