मंदसौर: मध्य प्रदेश के मालवा इलाके के किसानों की परेशानियां थमने का नाम नहीं ले रही हैं. पीला सोना यानी सोयाबीन के सही दाम नहीं मिलने से परेशान किसानों ने मूंगफली की फसल की ओर रुख किया है. कड़ी मेहनत के बाद क्षेत्र में मूंगफली की बंपर पैदावार भी हुई, लेकिन मंडियों में मूंगफली के भी वाजिब दाम नहीं मिलने से किसान परेशान हैं.
मालवा क्षेत्र में हुई मूंगफली की अच्छी पैदावार
मंदसौर मंडी में 23 अक्टूबर को त्योहारी सीजन के चलते करीब 20,000 बोरी मूंगफली की आवक हुई, लेकिन दाम 3000 प्रति क्विंटल से नीचे लुढ़कने के कारण किसानों ने अपने माल की बिक्री भी नहीं की. सोयाबीन का बेल्ट माने जाने वाले मालवा इलाके में कम उत्पादन व वाजिब दाम नहीं मिलने से किसानों ने विकल्प के तौर पर मूंगफली की फसल को चुन लिया है. इस साल मंदसौर, नीमच और रतलाम जिलों में करीब 25 फीसदी एरिया में लोगों ने मूंगफली की बुवाई की. अच्छे मानसून व कड़ी मेहनत के कारण यहां इस फसल की बंपर पैदावार भी हुई, लेकिन कृषि उपज मंडी में सोयाबीन के साथ ही मूंगफली के दाम भी औंधे मुंह गिर गए हैं.
औंधे मुंह गिरे मूंगफली के दाम
मंदसौर मंडी में बुधवार को मूंगफली के दाम 2500 से लेकर करीब साढ़े 4 हजार रुपए प्रति क्विंटल तक गए. अधिकतर माल 3000 रुपए प्रति क्विंटल के इर्द-गिर्द ही बिक गया, जिससे किसानों में खासी नाराजगी है. त्योहारी सीजन के चलते यहां फसलों की बंपर आवक हो रही है. बुधवार दोपहर बाद कृषि उपज मंडी में मूंगफली के दाम 2500 से 3500 रुपए प्रति क्विंटल के बीच ही बोले गए. इससे नाराज कई किसानों ने अपने माल की बिकवाली नहीं की. किसानों का कहना है कि व्यापारियों ने ओने पौने दाम लगाकर उनके माल की कम भाव में खरीदी कर रहे हैं. सुबह जो माल करीब साढ़े 4 हजार रु प्रति क्विंटल की दर से खरीदा जा रहा था. वह दोपहर बाद 3500 के इर्द-गिर्द ही खरीदा गया.