उज्जैन: उज्जैन के विश्वविख्यात महाकालेश्वर मंदिर में हालिया घटनाओं के बाद मंदिर प्रशासन में बड़े बदलाव की तैयारी जोरों पर है. पिछले कुछ महीनों में आग लगने की घटनाओं और दर्शन व्यवस्था में धोखाधड़ी के मामलों ने मंदिर की छवि को नुकसान पहुंचाया है. इन समस्याओं के समाधान और मंदिर की व्यवस्थाओं में सुधार के उद्देश्य से महाकालेश्वर मंदिर अधिनियम, 1982 में व्यापक बदलाव किया जाएगा.
उज्जैन धार्मिक न्यास एवं धर्मस्व विभाग ने अधिनियम में संशोधन का खाका तैयार कर लिया है, जिसे अगले दो महीनों में लागू किया जा सकता है. संशोधित अधिनियम के तहत मंदिर प्रबंधन, दर्शन व्यवस्था और मंदिर समिति की संरचना में कई बदलाव देखने को मिलेंगे. इस प्रक्रिया को गुजरात के प्रसिद्ध सोमनाथ मंदिर ट्रस्ट के मॉडल के आधार पर तैयार किया जा रहा है.
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उज्जैन धार्मिक न्यास एवं धर्मस्व विभाग के संचालक और उज्जैन संभाग के कमिश्नर संजय गुप्ता ने बताया "अधिनियम में बदलाव पर सहमति बन चुकी है. ड्राफ्ट तैयार किया जा रहा है और सुझावों पर विचार के लिए एक समिति गठित की गई है. इन बदलावों का मुख्य उद्देश्य महाकाल मंदिर की छवि को सुधारने के साथ ही उज्जैन के समस्त मंदिरों के विकास और प्रबंधन को एक नई दिशा देना भी है. इससे श्रद्धालुओं को बेहतर सेवाएं मिलेंगी और उज्जैन तीर्थक्षेत्र को वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगा."
प्रमुख बदलाव जो देखने को मिल सकते हैं:
प्रस्तावित मंदिर अधिनियम के तहत होगा विस्तार
वर्तमान अधिनियम के अंतर्गत केवल महाकाल मंदिर परिसर और इसके भीतर स्थित 17 प्रमुख मंदिर आते हैं. संशोधन के बाद अधिनियम का दायरा उज्जैन तीर्थक्षेत्र के सभी प्रमुख मंदिरों तक बढ़ जाएगा. इसमें कालभैरव, हरसिद्धि, मंगलनाथ, गुरु संदीपनि आश्रम, गढ़कालिका, चिंतामण गणेश और 84 महादेव जैसे मंदिर शामिल होंगे.
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