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महाकाल मंदिर अधिनियम में 43 साल बाद होगा बदलाव, दूसरे प्रमुख मंदिरों का होगा कायाकल्प - MAHAKALESHWAR TEMPLE ACT 1982

महाकाल मंदिर अधिनियम में संशोधन के बाद उज्जैन के अधिकांश प्रमुख मंदिर महाकाल मंदिर समिति का हिस्सा होंगे. इससे श्रद्धालुओं को सुविधा होगी.

Mahakal Temple Act to amend
महाकाल मंदिर अधिनियम में होगा बदलाव (Etv Bharat)

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Jan 18, 2025, 12:48 PM IST

Updated : Jan 18, 2025, 1:20 PM IST

उज्जैन: उज्जैन के विश्वविख्यात महाकालेश्वर मंदिर में हालिया घटनाओं के बाद मंदिर प्रशासन में बड़े बदलाव की तैयारी जोरों पर है. पिछले कुछ महीनों में आग लगने की घटनाओं और दर्शन व्यवस्था में धोखाधड़ी के मामलों ने मंदिर की छवि को नुकसान पहुंचाया है. इन समस्याओं के समाधान और मंदिर की व्यवस्थाओं में सुधार के उद्देश्य से महाकालेश्वर मंदिर अधिनियम, 1982 में व्यापक बदलाव किया जाएगा.

उज्जैन धार्मिक न्यास एवं धर्मस्व विभाग ने अधिनियम में संशोधन का खाका तैयार कर लिया है, जिसे अगले दो महीनों में लागू किया जा सकता है. संशोधित अधिनियम के तहत मंदिर प्रबंधन, दर्शन व्यवस्था और मंदिर समिति की संरचना में कई बदलाव देखने को मिलेंगे. इस प्रक्रिया को गुजरात के प्रसिद्ध सोमनाथ मंदिर ट्रस्ट के मॉडल के आधार पर तैयार किया जा रहा है.

महाकाल मंदिर अधिनियम में होगा बदलाव (Etv Bharat)

उज्जैन धार्मिक न्यास एवं धर्मस्व विभाग के संचालक और उज्जैन संभाग के कमिश्नर संजय गुप्ता ने बताया "अधिनियम में बदलाव पर सहमति बन चुकी है. ड्राफ्ट तैयार किया जा रहा है और सुझावों पर विचार के लिए एक समिति गठित की गई है. इन बदलावों का मुख्य उद्देश्य महाकाल मंदिर की छवि को सुधारने के साथ ही उज्जैन के समस्त मंदिरों के विकास और प्रबंधन को एक नई दिशा देना भी है. इससे श्रद्धालुओं को बेहतर सेवाएं मिलेंगी और उज्जैन तीर्थक्षेत्र को वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगा."

प्रमुख बदलाव जो देखने को मिल सकते हैं:

प्रस्तावित मंदिर अधिनियम के तहत होगा विस्तार

वर्तमान अधिनियम के अंतर्गत केवल महाकाल मंदिर परिसर और इसके भीतर स्थित 17 प्रमुख मंदिर आते हैं. संशोधन के बाद अधिनियम का दायरा उज्जैन तीर्थक्षेत्र के सभी प्रमुख मंदिरों तक बढ़ जाएगा. इसमें कालभैरव, हरसिद्धि, मंगलनाथ, गुरु संदीपनि आश्रम, गढ़कालिका, चिंतामण गणेश और 84 महादेव जैसे मंदिर शामिल होंगे.

रिटायर्ड आईएएस अधिकारी को बनाया जा सकता हैप्रशासक

वर्तमान में मंदिर समिति का अध्यक्ष जिला कलेक्टर होता है. नई व्यवस्था में अध्यक्ष पद की संरचना में बदलाव संभव है. इसके अलावा रिटायर्ड आईएएस अधिकारी को मंदिर का प्रशासक बनाए जाने की चर्चा भी है. जिससे कि प्रबंधन में पारदर्शिता और कुशलता सुनिश्चित की जा सके.

दर्शन और सुरक्षा व्यवस्थाओं में होगा सुधार

भीड़ प्रबंधन आसान बनाने के लिए दर्शन के दौरान श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए नए मार्ग तैयार किए जा सकते हैं. सोमनाथ मंदिर के मॉडल का अनुसरण करते हुए दर्शन व्यवस्था को और प्रभावी बनाया जाएगा.

इंफ्रास्ट्रक्चर और रोजगार की बढ़ेगीसंभावनाएं

मंदिर के बुनियादी ढांचे में सुधार किया जाएगा और इसे रोजगार के अवसरों से जोड़ा जाएगा. इससे स्थानीय लोगों के लिए रोजगार की नई संभावनाएं खुलेंगी.

कर्मचारी नियुक्ति प्रक्रिया में भी होगा बदलाव

मंदिर के कर्मचारियों की नियुक्ति के नियमों में भी बदलाव होगा। समिति में धार्मिक मामलों के जानकार और बुद्धिजीवी शामिल किए जाएंगे, जो मंदिर की गरिमा और परंपरा को बनाए रखेंगे.

Last Updated : Jan 18, 2025, 1:20 PM IST

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