उज्जैन: दशहरे पर रावण दहन की प्रथा है. समय-समय पर ब्राह्मण समाज के एक वर्ग द्वारा इस प्रथा को बंद करने की मांग उठती रहती है. अब एक बार फिर उज्जैन में अखिल भारतीय ब्राह्मण समाज ने इस प्रथा को बंद करने की मांग की है. ब्राह्मण समाज ने रावण दहन को ब्राह्मणों का अपमान बताया है और रावण पुतला दहन कार्यक्रम के आयोजकों से इसको रोकने की मांग की है. ऐसा नहीं होने पर उन्होंने विरोध प्रदर्शन और आंदोलन करने की भी चेतावनी दी है.
रावण पुतला दहन को बताया ब्राह्मणों का अपमान
उज्जैन के चाणक्यपुरी स्थित श्री परशुराम मंदिर में शनिवार को अखिल भारतीय युवा ब्राह्मण समाज और श्री परशुराम पारमार्थिक सेवा न्यास की संयुक्त बैठक आयोजित की गई. इस बैठक में रावण दहन पर चर्चा हुई, जिसमें सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि रावण दहन प्रथा को बंद कराने के लिए इसका विरोध किया जाएगा.
पदाधिकारियों ने इसे ब्राह्मणों का अपमान बताते हुए इसे समाप्त करने की बात कही. निर्णय लिया गया कि सबसे पहले शहर में रावण दहन का आयोजन करने वाली समितियों को पत्र लिखकर इसे बंद करने का अनुरोध किया जाएगा. आवश्यकता पड़ने पर विरोध प्रदर्शन और आंदोलन करने की भी सहमति बनी.
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परशुराम मंदिर निर्माण में तेजी लाने पर दिया जोर
महाकालेश्वर मंदिर के पुजारी और न्यास अध्यक्ष महेश पुजारी ने कहा, " बैठक में समाज और न्यास के अब तक किए गए कार्यों की समीक्षा की गई. साथ ही ब्राह्मण समाज के बालकों के लिए एक वैदिक गुरुकुल शुरू करने का निर्णय लिया गया है. इस गुरुकुल में वैदिक शिक्षा के साथ तकनीकी और आधुनिक शिक्षा भी दी जाएगी. रावण पुतला दहन रोकने की मांग की गई. साथ ही श्री परशुराम मंदिर के निर्माण कार्य में तेजी लाने पर भी जोर दिया गया. ट्रस्ट के नए प्रकल्पों को अधिक ऊर्जा और समर्पण के साथ आगे बढ़ाने का संकल्प लिया गया."