जयपुर: यदि मजदूरी करनी है तो भी पढ़ना आवश्यक है, कोई भी काम करने के लिए शिक्षा आवश्यक है और पूरी आशा है कि आने वाले कुछ वर्षों में स्टेट ओपन स्कूल के प्रयासों का परिणाम होगा कि कुछ आरएएस, कुछ आईपीएस और आईएएस भी बनेंगे. ये कहना है प्रदेश के शिक्षा मंत्री मदन दिलावर का. मंगलवार को स्टेट ओपन स्कूल का रिजल्ट जारी करने से पहले उन्होंने सभी संदर्भ केंद्र के संस्था प्रधानों को संबोधित करते हुए ये बात कही. उनके इस बयान को स्टेट ओपन स्कूल निदेशक आशीष मोदी के उस बयान से जोड़ा जा रहा है, जिसमें उन्होंने ये कहा था कि जनप्रतिनिधि भी इलेक्शन लड़ने के लिए 10वीं की योग्यता के लिए स्टेट ओपन स्कूल से पढ़ रहे हैं.
महिलाओं का पासिंग परसेंटेज पुरुषों की तुलना में बेहतर:जयपुर के बिड़ला सभागार में राजस्थान स्टेट ओपन स्कूल के संदर्भ केन्द्रों के संस्था प्रधानों की ओरिएंटेशन वर्कशॉप हुई. इस दौरान शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने स्टेट ओपन स्कूल की कक्षा 10वीं और 12वीं मार्च-मई 2024 में आयोजित परीक्षा का परिणाम भी जारी किया. उन्होंने कक्षा 12वीं में प्रथम स्थान प्राप्त करने वाली छात्रा प्रियंका पंवार को मोबाइल पर शुभकामनाएं भी दी. साथ ही परीक्षा उत्तीर्ण करने वाले सभी परीक्षार्थियों को बधाई दी. स्टेट ओपन स्कूल कक्षा 10वीं का परिणाम 80.33 प्रतिशत और 12वीं का 63.09 प्रतिशत रहा. दोनों ही कक्षाओं में महिलाओं का पासिंग परसेंटेज पुरुषों की तुलना में बेहतर रहा. परीक्षा में प्रथम और द्वितीय स्थान पर रहने वाली महिला परीक्षार्थी को मीरा पुरस्कार जबकि पुरुष परीक्षार्थी को एकलव्य पुरस्कार के तहत क्रमशः 21000 और 11000 रुपए का नकद पुरस्कार भी दिया जाएगा.
बीते 5 वर्षों में कांग्रेस ने नहीं करवाई निष्पादन समिति की बैठक:इस दौरान शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने कहा कि राजस्थान स्टेट ओपन स्कूल का रिजल्ट सर्वोत्तम रहा है. हालांकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जो अपेक्षा है कि जल्द ही हिंदुस्तान के लोगों को ज्यादा पढ़ा लिखा बनाएंगे, उस टारगेट में जरूर कमी रही है. इसके लिए और कोशिश करते. उन्होंने बताया कि स्टेट ओपन स्कूल के संदर्भ केंद्र भी शिक्षा विभाग के ही पार्ट हैं. इसलिए प्रभारी को शिक्षा विभाग से डेपुटेशन पर लगाया जाता है. ऐसे में संदर्भ केंद्रों की जो संख्या बढ़ाई है, तो उस हिसाब से शिक्षा विभाग से डेपुटेशन पर प्रभारी को भी लगाया जा रहा है. हालांकि पूर्ववर्ती सरकार ने इन संदर्भ केंद्र प्रभारियों का मार्गदर्शन नहीं किया. उनका प्रशिक्षण होना चाहिए था. आलम ये है कि 2018 के बाद अब जाकर निष्पादन समिति की बैठक हुई है. यदि बीते 5 सालों में निष्पादन समिति की बैठक होती, तो स्टेट ओपन स्कूल गति पहले ही पकड़ लेता.