रायपुर: छत्तीसगढ़ में अगर बीजेपी कांग्रेस की मजबूती और कमजोरी को ध्यान में रखकर अगर सोचा जाए तो कैसी तस्वीर होगी. यह सोचने वाली बात है. इसके लिए SWOT विश्लेषण किया गया है, जिसे (SWOT= Strengths मजबूती, Weaknesses कमजोरी, Opportunities अवसर और Threats परेशानी या चिंता में बांटा गया है. )
लोकसभा चुनाव के ऐलान के बाद समझिए छत्तीसगढ़ का SWOT फैक्टर - SWOT analysis of BJP and Congress
SWOT analysis of BJP and Congress: लोकसभा चुनाव के ऐलान के बाद छत्तीसगढ़ में बीजेपी और कांग्रेस की बीच सीधी लड़ाई देखने को मिल रही है. यहां कुल 11 लोकसभा सीटें हैं जिस पर बीजेपी और कांग्रेस के बीच टक्कर होनी है. बीजेपी ने 6 सीटों पर उम्मीदवारों का ऐलान कर दिया है. लेकिन कांग्रेस ने सिर्फ अभी 6 सीटों पर उम्मीदवारों का ऐलान किया है.
By ETV Bharat Chhattisgarh Team
Published : Mar 16, 2024, 10:49 PM IST
बीजेपी का SWOT फैक्टर समझिए:बीजेपी के SWOT फैक्टर पर नजर डाले तो पीएम मोदी की लोकप्रियता उसका ट्रंप कार्ड है. जो साल 2019 के लोकसभा चुनाव में भी देखने को मिली थी. साल 2018 के छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने बंपर जीत दर्ज की थी. लेकिन मोदी की लोकप्रियता के सामने साल 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस धराशाई हो गई और छत्तीसगढ़ की 11 सीटों में से 9 सीटों पर बीजेपी ने जीत दर्ज कर ली. इसके अलावा महतारी वंदन योजना और कृषक इनपुट सहायता योजना बीजेपी के लिए प्लस प्वाइंट साबित हो सकता है. बीजेपी की कमजोरियों की बात करें तो छत्तीसगढ़ में बीजेपी के पास कोई लोकप्रिय चेहरा नहीं है. बीजेपी के लिए अवसर की बात करें तो छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की पुरानी सरकार और उसके घोटाले को लेकर लोगों को बीजेपी पुराने घोटालों की याद दिला सकती है. जबकि बीजेपी के लिए विपरीत स्थिति की बात करें तो महंगाई, बेरोजगारी और ट्रेनों के संचालन पर बीजेपी कांग्रेस से घिर सकती है.
कांग्रेस का SWOT फैक्टर क्या:कांग्रेस के SWOT फैक्टर की बात करें तो कांग्रेस के पास छत्तीसगढ़ियावाद है. पिछली कांग्रेस सरकार की कल्याणकारी योजनाएं, छत्तीसगढ़ियावाद (क्षेत्रीय कार्ड) और पूर्व सीएम बघेल की धरती पुत्र नेता के रूप में छवि कांग्रेस को लीड दे सकती है. पिछले पांच वर्षों में पार्टी ने बूथ स्तर तक अपना संगठनात्मक ढांचा मजबूत किया है. कांग्रेस की कमजोरियों की बात करें तो छत्तीसगढ़ की राज्य इकाई कांग्रेस में गुजबाजी और अंदरुनी कलह पार्टी को परेशान कर सकती है. बघेल सरकार के खिलाफ लगे घोटाले के आरोप भी चिंता का विषय है. कांग्रेस के लिए अवसर की बात करें तो बीजेपी के नेताओं को केंद्रीय नेतृत्व पर निर्भर करना पड़ता है जबकि कांग्रेस के नेताओं के साथ ऐसा नहीं है. कांग्रेस के लिए विपरीत स्थिति की बात करें तो कांग्रेस के पास राष्ट्रीय स्तर पर मोदी फैक्टर के जैसा कोई फैक्टर नहीं है. साल 2023 के विधानसभा चुनाव में मिली हार का असर भी पड़ सकता है.