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यूपी में कांग्रेस की राह मुश्किल; लोकसभा चुनाव में ढूंढने से भी नहीं मिल रहे उम्मीदवार

देश में लोकसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है. उत्तर प्रदेश में सभी सात चरणों में मतदान होगा. अभी तक यूपी में भाजपा ने और सपा ने अधिकतर सीटों पर उम्मीदवार उतार चुकी है. जबकि कांग्रेस ने अभी तक पत्ते नहीं खोले हैं. आइए जानते हैं कि आखिर यूपी में कांग्रेस की क्या स्थिति है?

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Mar 16, 2024, 7:16 PM IST

कांग्रेस नेता डॉ. सीपी राय.

लखनऊः लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में इंडिया गठबंधन में कांग्रेस को 17 सीटें मिली हैं. इन सीटों पर प्रत्याशियों को लेकर पिछले 15 दिनों से मंथन चल रहा है, लेकिन अभी तक कुछ भी तय नहीं हो पाया है. जबकि लोकसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है और आचार संहिता जारी भी हो गई है. इसके बाद भी कांग्रेस के पास अच्छे नेताओं का टोटा है. इसलिए कांग्रेस को टिकट फाइनल करने में बड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है. सूत्रों के अनुसार कांग्रेस को जो सीटें मिली हैं, उस पर टिकट के दावेदार कम हैं. इसलिए कांग्रेस अब तक दो लिस्ट जारी कर चुकी है, लेकिन यूपी में किसी भी सीट पर उम्मीदवार नहीं उतार सकी है. माना जा रहा है कि कांग्रेस यूपी में अपनी साख बचाने के लिए जिताऊ उम्मीदवार को खोज रही है.


पुराने उम्मीदवारों को टिकट देने के मूड में नहींःबता दें कि सपा के साथ गठबंधन में मिली 17 में से 11 सीटों पर कांग्रेस पिछले दो दशक से खाता तक नहीं खोल पाई हैं. केवल अमेठी और रायबरेली को छोड़ दें तो, चार लोकसभा सीटें ऐसी हैं जहां पर पार्टी ने 2009 में जीत हासिल की थी. जिसमें कानपुर, महाराजगंज, झांसी और बाराबंकी लोकसभा सीटें हैं. ऐसे में सहारनपुर, गाजियाबाद, फतेहपुर सिकरी, देवरिया, प्रयागराज, वाराणसी, सीतापुर, अमरोहा, बांसगांव और मथुरा और बीते दो दशक से पार्टी चुनाव नहीं जीत पाई है. यहां पर सीटों की दावेदारी कर रहे पर नेताओं को पार्टी टिकट देने के मूड में नहीं है. सूत्रों का कहना है कि इन सभी सीटों पर मजबूत प्रत्याशियों को खोजा जा रहा है.

कानपुर, लखीमपुर और बाराबंकी में इन नामों पर चर्चाःवहीं, इसी कड़ी में बीते दिनों बांसगांव संसदीय सीट पर पार्टी ने बसपा सरकार में पूर्व मंत्री रहे और कद्दावर नेता सदल प्रसाद को पार्टी ज्वाइन कराया था. महाराजगंज में टिकट की दावेदारी को बढ़ाने के लिए पूर्व बाहुबली नेता और मंत्री रहे अमरमणि त्रिपाठी के बेटे अमन मणि को पार्टी ज्वाइन कराई गई है. इसी तरह पार्टी कानपुर नगर सीट पर नए प्रत्याशी को ढूंढ रही है. इस सीट पर पार्टी के प्रबल दावेदार माने जा रहे अजय कपूर ने बीते दिनों भाजपा ज्वाइन कर लिया है. जबकि सीतापुर लोकसभा सीट पर पार्टी लखीमपुर के पूर्व सांसद रहे रवि वर्मा या उनकी बेटी पूर्वी वर्मा को प्रत्याशी बन सकती है. रवि वर्मा ओबीसी समाज के बड़े नेता माने जाते हैं. इसी तरह बाराबंकी लोकसभा सीट पर पार्टी पीएल पुनिया को चेहरा बनाना चाह रही है, जबकि वह अपने बेटे तनुज पुनिया के लिए टिकट मांग रहे हैं. झांसी से पूर्व सीएलपी लीडर प्रदीप माथुर टिकट की दावेदारी कर रहे हैं. लेकिन पार्टी यहां पर दूर से दल के किसी बड़े नेता को पार्टी में ज्वाइन करने की तैयारी में है.

रायबरेली और अमेठी सीट पर सस्पेंस बरकरारःकांग्रेस की सबसे मजबूत माने जाने वाली सीटों में रायबरेली और अमेठी शामिल है. इस बार रायबरेली लोकसभा सीट से सोनिया गांधी चुनाव नहीं लड़ रही है. ऐसे में राहुल गांधी के साथ अब इस सीट पर भी कांग्रेस असमंजस की स्थिति में है. दोनों ही सीट पर पार्टी की तरफ से सस्पेंस बरकार रखा गया है. प्रियंका गांधी रायबरेली से और राहुल गांधी अमेठी से उम्मीदवार तो माने जा रहे हैं लेकिन अंदर खाने बाहरी लोगों के भी नाम चल रहे हैं. पार्टी सूत्रों का कहना है कि अमेठी सीट से गांधी परिवार किसी ऐसे चेहरे को लाने की तैयारी कर रही है. जो बहुत ही अप्रत्याशित होने वाला है. इसके अलावा अगर प्रियंका गांधी चुनाव नहीं लड़ती है तो वहां पर पूर्व एमएलसी दीपक सिंह को चुनाव लड़ाया जाने की भी बात चल रही है. रायबरेली सीट की बात करें तो 1957 से आज तक से तीन बार ऐसे मौके आये हैं. जब यह सीट पर भाजपा के हाथ में गई है.

स्क्रीनिंग कमेटी के पास सूची पेंडिंगःबता दें कि 2019 लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश में अकेले चुनाव लड़ा था. इनमें से सिर्फ रायबरेली सीट से सोनिया गांधी जीत पाई थीं. वहीं, अमेठी से राहुल गांधी को भाजपा उम्मीदवार स्मृति ईरानी ने हराया था. यूपी कांग्रेस मीडिया डिपार्टमेंट अध्यक्ष डॉ. सीपी राय कहना है कि कांग्रेस में टिकट बंटवारे की एक प्रक्रिया है, प्रदेश से चीज तय हो चुकी है. अब दिल्ली में स्क्रीनिंग कमेटी उसको देख रही है. अगले एक सप्ताह में सभी सीटों पर प्रत्याशी घोषित कर दिए जाएंगे.

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