जयपुर. राजस्थान में अब तक हुए लोकसभा चुनाव में कांग्रेस का तीन बार सुपड़ा साफ हुआ है. मोदी लहर में 2014 और 2019 का चुनाव सभी के जहन में होगा, लेकिन एक दौर था जब 1984 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद हुए लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को ऐसी सहानुभूति मिली थी कि राजस्थान में 25 की 25 सीटें उनकी झोली में आई थी. हालांकि, इसके बाद 1989 में सहानुभूति का ये खुमार ऐसा उतरा कि 25 में से एक भी सीट पर कांग्रेस जीत दर्ज नहीं कर पाई थी.
राजस्थान में लोकसभा चुनाव दो चरणों में होने हैं. 19 अप्रैल और 26 अप्रैल को मतदाता राजनीतिक दल और राजनेताओं के भविष्य का फैसला करेंगे. हालांकि, फिलहाल दोनों ही प्रमुख राजनीतिक दल अपने जीत के दावे कर रहे हैं, लेकिन राजस्थान के राजनीतिक इतिहास में झांके तो राजस्थान के दोनों प्रमुख राजनीतिक दलों को बड़ी हर का मुंह देखना पड़ा है. लोकसभा चुनाव में कांग्रेस तीन बार, जबकि भाजपा एक बार सभी सीटों पर हारी थी.
राजनीतिक विश्लेषक श्याम सुंदर शर्मा ने बताया कि 1984 में इंदिरा गांधी का निधन हो गया था, तब कांग्रेस ने प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवचरण माथुर के नेतृत्व में लोकसभा चुनाव लड़ा. उस समय कांग्रेस ने राजस्थान में 25 की 25 सीटें जीती थी, लेकिन इसके बाद जब 1989 में लोकसभा चुनाव हुए तो 25 की 25 सीटें गंवा भी दी थी. जिसकी वजह से शिवचरण माथुर को इस्तीफा भी देना पड़ा था. उस समय बीजेपी के खाते में 13 सीट, जनता दल के खाते में 11 और एक सीट सीपीएम के खाते में आई थी. ये अनोखा रिकॉर्ड शिवचरण माथुर के नाम के साथ जुड़ा हुआ है.