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बालोद में विवादों में फंसी महाविद्यालयों के जन भागीदारी समिति के अध्यक्षों की सूची - Controversy over list of presidents

By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Aug 20, 2024, 6:39 PM IST

बीजेपी सरकार ने बीते दिनों महाविद्यालयों के जन भागीदारी समिति के अध्यक्षों की सूची जारी की है. सूची के जारी होते ही कांग्रेस की ओर से इसपर आपत्ति उठाई गई है. कांग्रेस के सवाल पर बीजेपी ने चुटकी लेते हुए कहा कि विवाद खड़े करना कांग्रेस का काम है.

Controversy over list of presidents
जन भागीदारी समिति के अध्यक्षों की सूची (ETV Bharat)

बालोद:साय सरकार ने महाविद्यालयों के जन भागीदारी समिति के अध्यक्षों की नई सूची जारी की है. नई सूची के सामने आते ही कांग्रेस ने इसपर सवाल उठाने शुरु कर दिए हैं. आरोप है कि ''जो लोग पांच सालों तक नदारत रहे हैं उनको फिर से कुर्सी देकर सम्मानित किया जा रहा है. पद देने के चक्कर में नियमों की भी धज्जियां उड़ाई जा रही हैं.'' आरोप है कि ''समिति के अध्यक्षों की नियुक्ति में जिन मापदंडों का पालन करना था उन मापदंडों को दरकिनार कर दिया गया है''. कांग्रेस ने इस सूची को रद्द करने की मांग की है.

जन भागीदारी समिति के अध्यक्षों की सूची पर सवाल:सूची पर सवाल खड़े करते हुए युवा कांग्रेस के पदाधिकारियों ने कलेक्टर के नाम ज्ञापन सौंपा है. मांग की है कि सूची को रद्द कर नियमों के तहत नियुक्ति की जाए. युवा कांग्रेस के पदाधिकारियों का आरोप है कि ''सत्ता परिवर्तन के बाद से बीजेपी से जुड़े लोगों को सूची में प्राथमिकता दी जा रही है''. कांग्रेस के इन आरोपों को बीजेपी के युवा नेताओं ने खारिज कर दिया है. बीजेपी का कहना है कि ''ये सरकार नियमों को तहत काम करती है. पुरानी सरकार में नियमों की अनदेखी हुई है.''

''छत्तीसगढ़ में सरकार के बदलते ही जन भागीदारी समितियों के अध्यक्षों और सदस्यों का मनोयन भंग कर दिया गया. नए सिरे से जन भागीदारी समितियों को मनोयन होना है. जनभागीदारी समिति में नियमतः अध्यक्ष राज्य शासन संबंधित नगर निकाय, जनपद एवं जिला पंचायत के सदस्य विधायक अथवा सांसद में से किसी को बनाया जाना होता है. पर कलेक्टर कार्यालय से इंटरनेट मीडिया में एक सूचि प्रसारित हो रही है, जिसमें जिले के 16 शासकीय महाविधालय में जिन्हे अध्यक्ष नियुक्त किया जा रहा है उनमें अधिकांश कभी जनप्रतिनिधि रहे ही नहीं हैं.''- आदित्य दुबे, युवा कांग्रेस पदाधिकारी

''जन भागीदारी समितियों के अध्यक्षों और सदस्यों का मनोयन नियमों के तहत किया जा रहा है. नियमों की कहीं भी अदेखी नहीं की जा रही है. सूची को लेकर विरोध की भी कोई बात नहीं है. भारतीय जनता पार्टी हमेशा से नियमों के दायरे में काम करने के लिए जानी जाती है. कांग्रेस के लोगों का काम ही है विरोध करना. कांग्रेस पार्टी को अपने पांच सालों के काम काज को देखना चाहिए. उसके कार्यकाल में किस तरह से जनभागीदारी अध्यक्षों की नियुक्ति की गई थी.'' -पवन साहू, जिला अध्यक्ष, बीजेपी

दबी जुबान में पार्टी के भीतर विरोध की खबर: ऐसा कहा जा रहा है कि जनभागीदारी अध्यक्ष के रुप में महाविद्यालय में मनोनित किए गए लोगों को लेकर बीजेपी के भीतर भी असंतोष है. पार्टी से जुड़े लोग खुलकर कुछ भी कहने से बच रहे हैं. हालाकि खुलकर इस पर कोई भी बोलने को तैयार नहीं है.

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