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मूकबधिर युवती से दुष्कर्म और गर्भपात के मामले में चौकीदार को उम्र कैद, 4 अन्य को 10 साल की सजा - LIFE IMPRISONMENT TO SECURITY GUARD

6 साल पहले हुए सनसनीखेज मामले में स्नेहालय संस्था के चौकीदार को उम्र कैद, संचालक व उसकी पत्नी समेत 4 को 10 साल की सजा.

LIFE IMPRISONMENT TO SNEHALAY SECURITY GUARD
मूकबधिर युवती से दुष्कर्म और गर्भपात का मामला (Etv Bharat)

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Dec 25, 2024, 6:37 AM IST

ग्वालियर :शहर के सिकरौदा तिराहा स्थित स्नेहालय में 6 साल पहले हुए सनसनीखेज मूकबधिर युवती दुष्कर्म मामले में कोर्ट ने 5 आरोपियों को कड़ी सजा से दंडित किया है. इसमें मुख्य आरोपी सिक्योरिटी गार्ड साहब सिंह को उम्र कैद और संस्था के संचालक डॉक्टर बीके शर्मा, उनकी कथित पत्नी डॉक्टर भावना शर्मा सहित सुपरवाइजर प्रभा यादव और सफाईकर्मी रवि वाल्मीकि को 10-10 साल की सजा और अर्थ दंड से दंडित किया गया है.

मूकबधिर युवती से दुष्कर्म और गर्भपात का मामला

विशेष लोक अभियोजक अंगराज सिंह कुशवाह ने बताया कि घटना 6 साल पहले सितंबर 2018 की है. जब ग्वालियर स्नेहालय संस्था में रहने वाली मूकबधिर युवती के साथ वहां के चौकीदार ने दुष्कर्म किया था. यही रहने वाली एक अन्य लड़की ने इसे उजागर किया था. इस घटना को प्रशासनिक अधिकारियों तक पहुंचाने के बजाय डॉक्टर बी के शर्मा, उनकी पत्नी भावना शर्मा और संस्था के अन्य कर्मचारियों ने छिपाए रखा. मूकबधिर युवती जब दुष्कर्म से गर्भवती हो गई तो उसका चुपचाप गर्भपात कराकर भ्रूण को भी जलाकर उसे गटर में बहा दिया था.

कर्मचारियों न मिटाए थे सबूत

यह स्नेहालय झांसी रोड के सिकरौदा तिराहे पर स्थित था. यहां रहने वाली एक बालिका ने 19 सितंबर 2018 को शिकायत में बताया था कि चार-पांच महीने पहले संस्था परिसर में मूक बधिर युवती के साथ चौकीदार साहब सिंह ने दुष्कर्म किया था. इसके संबंध में संस्था के प्रमुख डॉ बीके शर्मा द्वारा चौकीदार के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई, न ही उसे हटाया गया. संस्था के वार्डन से भी घटना की पुष्टि की गई थी. वहीं यहां कार्यरत सुपरवाइजर रवि वाल्मीकि ने संस्था के प्रमुख डॉ बीके शर्मा के आदेश पर युवती का गर्भपात करने के बाद उसके भ्रूण को जला दिया था.

ट्रांसलेटर की मदद से हुए थे पीड़िता के बयान

बाद में इस मामले में बिलौआ थाने में सभी आरोपियों के खिलाफ अपराध दर्ज किया गया था. चौकीदार के खिलाफ दुष्कर्म और अन्य लोगों के खिलाफ सबूत मिटाने के आरोप लगाए गए थे. चूंकि युवती मूक बधिर थी इसलिए भाषा अनुवादक के माध्यम से उसके कथन कराए गए. खास बात यह है कि संस्था के संचालक बीके शर्मा को ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया तक से आर्थिक मदद मिलती थी. बाद में यहां रहने वाली सभी लड़कियों को दूसरे आश्रम में शिफ्ट कर संस्था को बंद कर दिया गया था.

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