लखनऊ:उत्तर प्रदेश विधान मंडल का बजट सत्र 29 जुलाई से शुरू हो रहा है. सत्र के दौरान जहां एक ओर विपक्षी पार्टियां सरकार को जनहित से जुड़े मुद्दे और कानून व्यवस्था को लेकर घेरने का काम करेंगी. वहीं दूसरी ओर नेता प्रतिपक्ष का चुनाव भी समाजवादी पार्टी को करना है. सपा पीडीए फार्मूले के तहत विधानमंडल के दोनों सदनों में नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी पर नेताओं को जिम्मेदारी देना चाह रही है. इसकी झलक समाजवादी पार्टी ने विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी यादव समाज से आने वाले लाल बिहारी यादव को देकर दिखा दी है. साथ ही मुस्लिम - यादव यानी एमवाई समीकरण की भी झलक विधान परिषद में नेताओं को दी गई जिम्मेदारी में साफ-साफ देखी जा सकती है.
समाजवादी पार्टी के मुस्लिम चेहरे विधान परिषद के सदस्य जास्मीन अंसारी को पार्टी ने विधान परिषद में उप नेता की बड़ी जिम्मेदारी दी है और वहीं नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी पर लाल बिहारी यादव को जिम्मेदारी दी गई है. इससे यादव मुस्लिम समीकरण को सपा ने विधान परिषद में आगे बढ़ाया है. इसके अलावा विधानसभा में समाजवादी पार्टी वरिष्ठ विधायक इंद्रजीत सरोज को जिम्मेदारी दे सकती है. इंद्रजीत सरोज मूल रूप से बहुजन समाज पार्टी के कैडर वाले नेता रहे हैं और कुछ साल पहले वह समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए. सपा दलित चेहरे के रूप में उन्हें आगे बढ़कर पिछड़े - दलित - अल्पसंख्यक फार्मूले को पूरी तरीके से विधानमंडल के दोनों सदनों में लागू करने की रणनीति बना रही है.
वहीं पहले ऐसी चर्चा जोरों पर थी कि समाजवादी पार्टी विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी पर अखिलेश अपने चाचा शिवपाल सिंह यादव को बैठा सकते हैं. लेकिन इसकी संभावना अब ना के बराबर जताई जा रही है. सपा के अंदर से भी बिना नाम लिए लोग शिवपाल सिंह यादव को नेता प्रतिपक्ष बनाने की बात कह रहे हैं. हालांकि अखिलेश यादव दलित समाज से आने वाले किसी चेहरे को यह जिम्मेदारी देने का मन बना रहे हैं. इसके संकेत समाजवादी पार्टी के नेताओं की तरफ से दिए जा रहे हैं. पिछड़े चेहरों में अगर बात की जाए तो समाजवादी पार्टी राम अचल राजभर को भी जिम्मेदारी देकर पूर्वांचल में अपना जाति समीकरण फिट कर सकती है.