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यह संकष्टी चतुर्थी है बेहद खास, इस शुभ मुहूर्त में करें भगवान गणेश की पूजा, सारी बाधाएं होगी दूर - sankashti chaturthi 2024

Sankashti Chaturthi 2024 संकष्टी चतुर्थी का दिन भगवान गणेश जी को समर्पित है. ऐसी मान्यता है कि आज के दिन भगवान गणेश की पूजन करने से व्यक्ति के जीवन के सारे कष्ट और बाधाएं दूर हो जाते है. इस दिन भगवान गणेश की पूजा के बाद चंद्रदेव की पूजा करके अपना व्रत तोड़ते हैं. आइए जानें कि संकष्टी चतुर्थी कब मनाई जाएगी. Krishnapingal Sankashti Chaturthi Shubh Muhurta

Krishnapingal sankashti chaturthi
संकष्टी चतुर्थी (ETV Bharat)

By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Jun 24, 2024, 4:27 AM IST

इस शुभ मुहूर्त में करें भगवान गणेश की पूजा (ETV Bharat)

रायपुर :संकष्टी चतुर्थी का दिन भगवान गणेश जी को समर्पित है. हिंदू पंचांग के अनुसार आषाढ़ कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को कृष्णपिंगल संकष्टी चतुर्थी के रूप में मनाया जाता है. माना जाता है कि संकष्टी चतुर्थी के दिन व्रत करने से जीवन के सारे कष्ट और संकट दूर हो जाते हैं. साथ ही जातक को सभी कामों में अपार सफलता मिलती है. साल 2024 की संकष्टी चतुर्थी मंगलवार, 25 जून के दिन मनाई जाएगी.

संकष्टी चतुर्थी का महत्व : महामाया मंदिर के पुजारी पंडित मनोज शुक्ला ने बताया, "संकष्टी चतुर्थी आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाई जाएगी, जो 25 जून के दिन पड़ रही है. यह नाम से स्पष्ट है कि जिस व्रत को करने से किसी भी तरह के संकट नहीं आते, उसे संकष्टी चतुर्थी के नाम से जाना जाता है. संकष्टी चतुर्थी का यह व्रत भगवान गणेश के लिए समर्पित मन गया है.

"आज के दिन जातक भगवान गणेश की पूजा आराधना करने के बाद शाम के समय चंद्रउदय के समय व्रत करने वाले लोग भगवान चंद्रदेव को अर्ध्य देकर अपना व्रत तोड़ते हैं. संकष्टी चतुर्थी का व्रत पारिवारिक सुखमय और दीर्घायु जीवन के लिए किया जाता है. व्रत रखने वाले जातक इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में सुबह उठकर स्नान ध्यान से निवृत होने के बाद व्रत का संकल्प लेकर इस व्रत की शुरुआत करते हैं." - पं मनोज शुक्ला, पुजारी, महामाया मंदिर रायपुर

संकष्टी चतुर्थी का शुभ मुहूर्त :इस साल 2024 में कृष्णपिंगल संकष्टी चतुर्थी मंगलवार 25 जून को मनाई जाएगी. इस दिन चंद्रउदय रात 10:27 पर होगा. चतुर्थी तिथि का प्रारंभ 25 जून की सुबह 1:23 पर होगा. इस तिथि का समापन 25 जून की रात 11:10 पर होगा.

संकष्टी चतुर्थी की पूजा विधि: जातक को संकष्टी चतुर्थी के दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान ध्यान से निवृत होकर साफ स्वच्छ वस्त्र धारण करना चाहिए. इसके बाद घर की पूजा घर के पास एक चौकी रखें, जिस पर लाल या पीले रंग का कपड़ा बिछाकर उस पर गणेश जी की प्रतिमा विराजित करें. इसके बाद गणेश जी का ध्यान करते हुए व्रत करने का संकल्प लेना चाहिए. फिर भगवान को जल, दूर्वा, अक्षत, पान इत्यादि अर्पित करें. इसके साथ ही ओम गन गणपतये नमः मंत्र जाप करते हुए अपनी मनोकामना भगवान गणेश से कहना चाहिए.

संकष्टी चतुर्थी व्रत के पारण के नियम :इस दिन गणेश जी को मोतीचूर के लड्डू, बूंदी के लड्डू, मोदक के लड्डू अर्पित करने चाहिए. गणेश जी की पूजा के बाद चंद्रदेव की पूजा करनी चाहिए. रात में चंद्रदेव की पूजा दूध, चंदन और शहद से करें और उन्हें अर्ध्य दें. इसके बाद प्रसाद ग्रहण कर अपना व्रत संपन्न करें.


नोट: यहां प्रस्तुत सारी बातें पंडित जी की तरफ से बताई गई बातें हैं. इसकी पुष्टि ईटीवी भारत नहीं करता है.

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