बिलासपुर: 4 जनवरी को लुई ब्रेल का जन्मदिन पूरी दुनिया में विश्व ब्रेल दिवस के रूप में मनाया जाता है. लुई ब्रेल ने दृष्टिबाधित लोगों के लिए वरदान के रूप में ब्रेल लिपि का अविष्कार किया था. उनके इस योगदान ने दृष्टिबाधित लोगों को समाज की मुख्यधारा से जुड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. इस तरह की लिपि में साहित्य के प्रकाशन के लिए खास तरह के प्रेस की आवश्यकता होती है. देश भर में इस तरह के केवल 28 प्रेस हैं. छत्तीसगढ़ का एक मात्र प्रेस बिलासपुर में स्थित है.
बिलासपुर ब्रेल प्रेस: छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में स्थित ब्रेल प्रेस न केवल छत्तीसगढ़ बल्कि आसपास के कई राज्यों के दृष्टिबाधित लोगों के लिए वरदान साबित हो रहा है. 1985 में बिलासपुर के सदर बाजार से शुरू हुआ ये प्रेस आज अपने 39 साल पूरा कर चुका है.
सर्वश्रेष्ठ ब्रेल प्रेस का पुरस्कार: साल 2014 में इस प्रेस का आधुनिकीकरण किया गया. इस प्रेस को 2021 में देश भर के सर्वश्रेष्ठ ब्रेल प्रेस का पुरस्कार भी मिल चुका है. इस प्रेस में अभी हिंदी, अंग्रेजी, छत्तीसगढ़ी, उर्दू, संस्कृत और उड़िया समेत 9 भाषाओं में साहित्य का प्रकाशन होता है.
ब्रेल प्रेस दृष्टिबाधित के लिए बना वरदान: सहायक सांख्यिकी अधिकारी प्रशांत मुकाशे बताते हैं कि बिलासपुर के ब्रेल प्रेस से छपी पुस्तकों से पूरे छत्तीसगढ़ के दृष्टिबाधित छात्र अपनी शिक्षा पूरी करने में सक्षम हैं. यह ब्रेल प्रेस न सिर्फ दृष्टिबाधित लोगों की शिक्षा के क्षेत्र में वरदान साबित हो रहा है बल्कि भारत के लोकतंत्र को बनाए रखने में भी इस प्रेस ने अपना योगदान दिया है.
साल 2009 से लेकर अब तक हर निर्वाचन में दृष्टिबाधित मतदाताओं के लिए इसी ब्रेल प्रेस से डमी मत पत्र प्रकाशित किए जाते हैं, जिससे दृष्टि बाधित लोग लोकतंत्र के महापर्व में अपनी सहभागिता सुनिश्चित कर सकें. साल 2018 में इस प्रेस के द्वारा पुस्तकालय की स्थापना की गई है, जिसके माध्यम से आज छत्तीसगढ़ के ढाई सौ से ज्यादा दृष्ठिबाधित लोग घर बैठे अध्ययन कर पा रहे हैं. कोरोना काल में इस सुविधा ने बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी.
प्रशांत मुकाशे बताते हैं कि इस प्रेस के साथ ही बिलासपुर में दृष्टिबाधित और मूक बधिर छात्रों के लिए विद्यालय का संचालन भी किया जाता है. जिसमें प्रिंटिंग प्रेस से छपी किताबों को पढ़ कर दृष्टिबाधित छात्र अपना भविष्य संवार रहे हैं.
6 बिंदुओं से बनी लिपि: ब्रेल लिपि के बारे में ब्रेल लिपि के शिक्षक बताते हैं कि यह 6 बिंदुओं से बनी एक लिपि है, जिसमें हिंदी, अंग्रेजी समेत गणित के सभी अंकों और चिन्हों को दृष्टिबाधित छात्र स्पर्श से ही पहचान सकते हैं. इसके साथ ही विज्ञान जैसे कठिन विषयों की पढ़ाई भी इस लिपि की वजह से संभव हो पाई है. वर्तमान में बिलासपुर के विद्यालय में 68 दृष्टिबाधित छात्र अपनी पढ़ाई कर रहे हैं.
ब्रेल लिपि दृष्टि बाधित लोगों के लिए लुई ब्रेल ने बनाई थी. इस लिपि में कई भाषाओं को पढ़ा और लिखा जा सकता है. दृष्टि बाधित इसके जरिए स्पर्श कर वर्णमाला के सभी अक्षर बना और पढ़ सकते हैं. - रवि सिंह ठाकुर, दृष्टिबाधित शिक्षक
ब्रेल लिपि में साहित्य की छपाई करना तकनीकी वजह से बेहद आसान हो गया है. बिलासपुर के ब्रेल प्रेस डक्सबरी ब्रेल ट्रांसलेशन सॉफ्टवेयर की मदद से छपाई की जाती है. इस सॉफ्टवेयर की मदद से दुनिया भर की 11 भाषाओं में ब्रेल लिपि का मुद्रण किया जा सकता है. यह पूरी टेक्नोलॉजी भारत सरकार की मदद से नॉर्वे से लाई गई है. अंतरराष्ट्रीय टेक्नोलॉजी की मदद से छत्तीसगढ़ के दृष्टिबाधित लोग आज मुख्य धारा से जुड़कर अपना जीवन आसान बना पा रहे हैं.