राजस्थान

rajasthan

ETV Bharat / state

प्रशासन की सख्ती के बाद एंटी हैंगिंग डिवाइस का टोटा, शॉर्ट सप्लाई के चलते परेशान हो रहे हॉस्टल पीजी मालिक

कोटा में सुसाइड के मामलों में इजाफा देखते हुए प्रशासन की ओर से हर मुमकिन कदम उठाए जा रहे हैं. साथ ही हॉस्टल, कोचिंग और पीजी रूम संचालकों तक पर भी सख्ती की जा रही है. प्रशासन ने हॉस्टल के साथ ही पीजी रूम में भी एंटी सुसाइड रॉड लगाना जरूरी कर दिया है. वहीं, दूसरी तरफ ये डिवाइस बनाने वाली एक ही कंपनी है. ऐसे में डिवाइस उपलब्ध होने में भी देरी हो रही है. पढ़िए ये रिपोर्ट...

Kota Suicide cases
Kota Suicide cases

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Feb 28, 2024, 6:16 PM IST

प्रशासन की सख्ती के बाद एंटी हैंगिंग डिवाइस का टोटा

कोटा.देशभर से कोटा आकर इंजीनियरिंग और मेडिकल एंट्रेंस की तैयारी करने वाले स्टूडेंट में तेजी से सुसाइड के मामले सामने आ रहे हैं. इन मामलों को रोकने के लिए जिला प्रशासन ने कई कदम उठाए हैं. साथ ही सभी हॉस्टल के कमरों में एंटी सुसाइड रॉड (हैंगिंग डिवाइस) लगाने के निर्देश दिए थे. हाल ही में जिला प्रशासन ने यह निर्देश हॉस्टल के साथ-साथ पीजी रूम के लिए भी जारी कर दिए हैं. अब इस हैंगिंग डिवाइस की कमी सामने आ रही है. हालात ये हैं कि हॉस्टल संचालक और पीजी मालिकों को यह हैंगिंग डिवाइस 10 से 12 दिन में भी उपलब्ध नहीं हो पा रही है. इस हैंगिंग डिवाइस को बनाने का काम मुंबई स्थित एक ही कंपनी करती है, जिसने पेटेंट कराया हुआ है. इसके कारण मुख्य सप्लायर भी एक ही कंपनी है. ऐसे में हॉस्टल और पीजी संचालक भी परेशान हो रहे हैं.

सर्वे के डर से सतर्क हुए हॉस्टल-पीजी संचालक :कोटा हॉस्टल एसोसिएशन के अध्यक्ष नवीन मित्तल का कहना है कि जिला प्रशासन की सख्ती के बाद अब हॉस्टल और पीजी संचालक सतर्क हो गए हैं. पीजी, पेइंग गेस्ट को भी हॉस्टल की तर्ज पर सुविधाएं विकसित करनी होंगी. वहीं, हाल ही में सामने आए सुसाइड के मामले के बाद जिला प्रशासन की ओर से भी हॉस्टल का सर्वे किया जा रहा है. साथ ही औचक निरीक्षण भी हो रहे हैं. इस सर्वे और औचक निरीक्षण के डर के चलते ही हॉस्टल और पीजी संचालक सतर्क हो गए हैं. अब एंटी सुसाइड रॉड को जल्द से जल्द लगाना चाह रहे हैं.

पढ़ें. कोटा ने बनाया हजारों सर्टिफाइड गेटकीपर बनाने का रिकॉर्ड! स्टूडेंट में तलाश रहे अवसाद, अब तक 1500 छात्रों को वापस भेजा घर

रॉड ने काम नहीं किया तब दिक्कत :इस डिवाइस का इजाद मुंबई के गौरव आशानी ने किया था. उनका कहना है कि साल 2007 में उन्होंने इसका पेटेंट भारत सरकार से लिया था, जिसके बाद से पूरे देश भर में इसकी सप्लाई मुंबई से कर रहे हैं. उनका कहना है कि कोटा उनके लिए सबसे बड़ा मार्केट है. यहां पर उनका एक आउटलेट भी है. कुछ लोग हूबहू ऐसी ही डिवाइस बना रहे हैं. अगर इनमें कुछ गड़बड़ी होती है, तब हमारा नाम भी खराब हो जाएगा. अगर कोई दूसरा इसको बनाता है तो वह गैर कानूनी होगा.

एंटी सुसाइड रॉड

चार गुना तक बढ़ गई है मांग :मुंबई के सप्लायर का कहना है कि एंटी हैंगिंग डिवाइस की मांग चार गुना तक बढ़ गई है. यह मांग 11 फरवरी से लगातर बढ़ी है. हमने 18 फरवरी तक के ऑर्डर की सप्लाई कर दी है. इसके बाद आए ऑर्डर की सप्लाई नहीं कर पाए हैं. कोटा में हमने इसके लिए प्रतिनिधि और टेक्नीशियन भी तय किए हुए हैं, जो इन एंटी सुसाइड रॉड को पंखों में इंस्टॉल कर देते हैं. उनका कहना है कि पहले 20 से 25 रॉड ही रोज की डिमांड हुआ करती थी, जो बढ़कर 100 से भी ज्यादा हो चुकी है.

कोटा को फोकस रखकर कर रहे हैं काम :गौरव का कहना है कि 18 फरवरी के बाद हम सप्लाई नहीं कर पाए हैं, क्योंकि इसके लिए कच्चा माल खरीदना पड़ता है. उसे भी मंगवाने में समय लगता है. इसके बाद बनाने में भी समय लग रहा है. हालांकि, वर्तमान में हमने कोटा को ध्यान में रखकर पूरी तरह से काम करना शुरू कर दिया है. दूसरे शहरों की सप्लाई पूरी तरह से बंद कर दी है और कोटा में ही माल भेजा जा रहा है.

पढ़ें. केंद्र की नई गाइडलाइन से कोटा कोचिंग संस्थानों को लग सकता है झटका, 16 से कम उम्र के यहां 30 फीसदी स्टूडेंट

अलग-अलग साइज में भी आती हैं रॉड :गौरव का कहना है कि पंखे की रॉड की स्टैंडर्ड साइज 10 या 12 इंच का होती है. हॉस्टल की छत ऊंची-नीची होती है या पुराने मकान में ऊंचाई ज्यादा होती है, ऐसे में एंटी हैंगिंग डिवाइस वाले बड़े रॉड भी बनाए जा रहे हैं. 15, 18 और 24 इंच तक के रॉड भी होंगे. कोटा में कुछ लोगों ने तो हमसे 30 और 36 इंच तक की रॉड भी लगवाई है.

इस तरह से काम करती है डिवाइस :उनका कहना है कि यह एंटी सुसाइड रॉड यानी हैंगिंग डिवाइस दो टुकड़ों में होती है. बीच में इसमें एक स्प्रिंग लगा दी जाती है. जब भी कोई चीज पंखे से लटकती है और उसका वजन 40 किलो से ज्यादा होता है तो यह स्प्रिंग खुल जाती है और पंखा नीचे आ जाता है. हालांकि, पंखा उसे व्यक्ति के सिर या जमीन पर नहीं गिरता है.

सैकड़ों लोगों की बचा चुके हैं जान :कोटा में सुसाइड की टेंडेंसी लगातार बढ़ रही है. नवीन मित्तल का कहना है कि कोटा में ऐसे कई मामले सामने आए हैं, जिनमें एंटी सुसाइड रॉड की वजह से सुसाइड प्रीवेंट हुआ है. यह एंटी सुसाइड रॉड साल 2015 के आसपास से ही हॉस्टलों ने लगाना शुरू कर दिया था. कोटा के हजारों हॉस्टल और पीजी रूम में यह लगे हुए हैं. पेटेंट धारक गौरव आशानी का कहना है कि कोटा उनका सबसे बड़ा मार्केट है. इसके अलावा देश के प्रीमियम इंस्टिट्यूट एम्स, आईआईटी, एनआईटी सहित कई संस्थानों और शहरों में भी यह रॉड लगी हुई हैं.

ABOUT THE AUTHOR

...view details