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भामाशाह कृषि उपज मंडी को 8 साल से एक्सटेंशन का इंतजार, माल बेचने के लिए परेशान होते हैं किसान

कोटा भामाशाह कृषि उपज मंडी में जगह की कमी के चलते वाहनों को मंडी के बाहर 2 से 3 दिन तक इंतजार करना पड़ता है.

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भामाशाह कृषि उपज मंडी को 8 साल से एक्सटेंशन का इंतजार. (Etv Bharat kota)

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : 4 hours ago

कोटा :भामाशाह कृषि उपज मंडी में धान की आवक लगातार बढ़ रही है. इसी के चलते अब भामाशाह कृषि उपज मंडी के बाहर ट्रैफिक जाम के हालात हो गए हैं. मंडी में माल लेकर पहुंच रहे किसानों को अपना माल बेचने के लिए बाहर कतार लगाकर खड़ा होना पड़ रहा है. इसके लिए अलग-अलग व्यवस्था मंडी प्रशासन ने की है. ट्रक की कतार करीब 1 किलोमीटर लंबी हो गई है. यह कतार लगातार लंबी बढ़ती रहेगी और आने वाले एक महीने तक लगभग इसी तरह के हालात बने रहेंगे. दूसरी तरफ ट्रैक्टर-ट्राली और अन्य छोटे वाहनों की अलग से कतार लगी हुई है. बड़े और छोटे वाहनों के प्रवेश के रास्ते भी अलग-अलग हैं. फिलहाल 24 घंटे में एक ट्रक चालक का नंबर आ रहा है, लेकिन आने वाले दिनों में यह समय बढ़ जाएगा. बीते सालों में चार से पांच दिन में भी एक ट्रक चालक का नंबर आया है, क्योंकि बाहर लंबा और भारी जाम लग जाता है. ऐसे में ट्रक चालकों को नंबर से ही अंदर लिया जाता है.

किसान की मंडी में माल लाने की बढ़ जाती है लागत :ट्रकों में माल रखा होने के चलते किसानों को ही उसका किराया भुगतना पड़ता है. दो से तीन दिन का अतिरिक्त किराया किसान को देना पड़ता है. यह बढ़ा हुआ किराया माल को मंडी में लाने की लागत को बढ़ा देता है. ऐसे में यह नुकसान के तौर पर देखा जाता है. दूसरी तरफ जाम के चलते छोटे किसान भी काफी परेशान होते हैं. ट्रैक्टर ट्राली में से उनका माल भी चोरी होने का खतरा रहता है. एक ट्रक चालक या ट्रैक्टर ट्रॉली में माल लाने वाले किसान को सुरक्षा के लिए भी अपने परिजनों को लाना मजबूरी हो जाता है.

भामाशाह कृषि उपज मंडी को 8 साल से एक्सटेंशन का इंतजार. (Etv Bharat kota)

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होने लगे मोबाइल व अन्य सामान चोरी :मंडी के बाहर ट्रक चालक 24 घंटे से भी ज्यादा समय से इंतजार कर रहे हैं. ऐसे में कुछ ट्रक चालक अपने साथी ट्रक चालकों के पास जाकर कुछ देर बैठ जाते हैं. इसके बाद उनके ट्रकों में से चोरी होना भी सामने आया है. करीब आधा दर्जन मोबाइल मंडी के बाहर सोमवार दोपहर में चोरी हुए है. इसके अलावा अन्य सामान और टूल बॉक्स से भी सामान गायब हुए. ट्रक चालकों का कहना है कि एक तरफ से लाइन क्लियर करने के चलते बाद में आने वाले कई वाहन भी अंदर पहले चले जाते हैं. इस व्यवस्था को करने में भी प्रशासन विफल रहता है.

फॉरेस्ट लैंड डायवर्जन के चलते अटकी है फाइल :भामाशाह कृषि उपज मंडी की ग्रेन एंड सीड्स मर्चेंट एसोसिएशन के अध्यक्ष अविनाश राठी का कहना है कि मंडी एक्सटेंशन के लिए प्रस्ताव साल 2016 से सरकार के पास है. इसमें वन विभाग की जमीन का लैंड डायवर्जन होगा. इसके बाद यह जमीन मंडी प्रशासन को मिल पाएगी, तब एक्सटेंशन होना है. वन विभाग की जमीन मिलने में अभी समस्या आ रही है और फाइल अटकी हुई है. मंडी का एक्सटेंशन हो जाने के बाद 4 से 6 लाख बोरी रोज की आवक मंडी में हो सकेगी. फिलहाल यह दो से ढाई लाख बोरी तक ही सीमित है. इसी के चलते किसानों को माल बेचने के लिए इंतजार करना पड़ता है. क्षमता बढ़ने पर शेड भी बढ़ाए जाएंगे. इससे किसानों को फायदा मिलेगा. उन्हें माल बेचने के लिए इंतजार नहीं करना पड़ेगा. दूसरी तरफ मंडी प्रशासन और सरकार को भी रेवेन्यू ज्यादा मिलेगा.

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किसानों की सुविधा के लिए बनाई है व्यवस्था :कृषि विपणन बोर्ड के संयुक्त निदेशक शशि शेखर शर्मा का कहना है कि वाहनों को सुबह 9 बजे से दोपहर 2 बजे तक और रात को 11 बजे से देर रात 2 बजे तक एंट्री दी जाती है. शेष समय में एंट्री बंद रहती है. ऐसे में 12 घंटे वाहनों को प्रवेश मिलता है, शेष 12 घंटे उन पर पाबंदी रहती है. किसानों को असुविधा नहीं हो, इसलिए यह व्यवस्था बनाई गई है. मंडी के विस्तार के सवाल पर शशि शेखर शर्मा का कहना है कि यह जयपुर मुख्यालय और वन विभाग के स्तर पर प्रक्रिया चल रही है. वन विभाग कई तरह की फॉर्मेलिटी को पूरा करता है, उसमें लगातार क्वेरीज भी आती रहती हैं. इन क्वेरीज को हम पूरा करके वापस भेजते रहते हैं.

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