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Ilma Afroz: कुंदरकी से ऑक्सफ़ोर्ड, न्यूयार्क और फिर IPS का सफर, अचानक अवकाश पर जाने के बाद सुर्खियों में ये अफसर - IPS ILMA AFROZ

इल्मा अफरोज के गांव की पृष्ठभूमि से निकल कर IPS बनने का संघर्ष देश की बेटियों के लिए प्रेरक है.

इल्मा अफरोज
इल्मा अफरोज (ETV BHARAT)

By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Nov 30, 2024, 7:33 PM IST

Updated : Dec 1, 2024, 12:11 PM IST

शिमला: 14 साल की उम्र में पिता का साया सिर से उठ जाने पर इल्मा अफरोज ने जीवन संघर्ष के कई पड़ाव तय किये। अपनी मेहनत और प्रतिभा से रास्ते के अवरोध हटाये और काबिल आईपीएस अफसर बनी। मन में जो ठान लिया, उसे पूरा किया। ऑक्सफ़ोर्ड में पढ़ाई, न्यूयार्क में नौकरी और फिर देश सेवा के लिए भारत वापिसी, ये इल्मा के सफर की एक बानगी है। उत्तर प्रदेश के एक छोटे से गांव से निकल लंदन में पढ़ाई और अमेरिका में नौकरी, फिर वतन लौटकर यूपीएससी जैसी कठिन परीक्षा पास करके आईपीएस बनना. पहली नजर में ये फिल्मी कहानी लगती है, किसी सपने जैसी लेकिन ये रील नहीं रियल लाइफ स्टोरी है हिमाचल कैडर की महिला आईपीएस ऑफिसर इल्मा अफरोज की. जो इन दिनों अचानक छुट्टी पर जाने को लेकर सुर्खियों में हैं.

यूपी के गांव से देश के टॉप कॉलेज का सफर

एक किसान की बेटी के आईपीएस अधिकारी बनने तक का सफर इल्मा के लिए आसान नहीं था. मुरादाबाद के कुंदरकी गांव की इल्मा अफरोज की शुरुआती शिक्षा घर पर हुई. घर पर ही माता-पिता पढ़ाते थे. पिता हिंदी और मां दूसरे विषय पढ़ाती थी. फिर 9वीं तक की शिक्षा स्थानीय स्कूल से हासिल की थी. 9वीं से लेकर 12वीं की शिक्षा मुरादाबाद से पूरी हुई. इसके बाद इल्मा ने दिल्ली के मशहूर सेंट स्टीफंस कॉलेज में दाखिला लिया. सेंट स्टीफंस देश के टॉप कॉलेजों में शुमार हैं, यहां तक पहुंचने का एकमात्र जरिया इल्मा की मेहनत ही थी.

हिमाचल कैडर की आईपीएस हैं इल्मा अफरोज (इंस्टाग्राम इल्मा अफरोज)

बचपन में ही उठ गया पिता का साया

एक इंटरव्यू के दौरान इल्मा अफरोज ने बताया था कि जब वो 10 साल की थी तो पिता बीमार रहने लगे. 14 साल की थी तो पिता का देहांत हो गया. तब मां पर घर की जिम्मेदारी आ गई थी. वो मानती हैं कि 12वीं के बाद दिल्ली के सेंट स्टीफन कॉलेज में दाखिला लेना उनकी जिंदगी का सबसे बड़ा फैसला था. जहां उन्होंने देश दुनिया को समझा और अपने भविष्य की इबारत लिखी.

"कॉलेज में पढ़ाई पर लोग सुनाते थे ताने"

इल्मा बताती हैं कि उनकी मां ने हमेशा आगे बढ़ने की प्रेरणा दी और उनकी बदौलत ही उन्होंने कुंदरकी से मुरादाबाद और फिर दिल्ली तक का सफर तय किया. लेकिन मां को इसके लिए बहुत कुछ सहना पड़ा. 'दिल्ली में सेंट स्टीफन कॉलेज में दाखिला दिलवाने पर मां को लोगों के ताने सुनने पड़े थे, लेकिन मां ने हार नहीं मानी. मुझे और भाई को पढ़ाने के लिए मां ने बहुत कुछ सहा और सुना. लोग कहते थे कि बेटी को दिल्ली जैसे शहर में पढ़ने भेज दिया. पढ़ लिख कर लड़की क्या ही कर लेगी. मां ने घर पर सब कुछ अकेले ही मैनेज किया. मुझे पढ़ाने के लिए मां को बहुत त्याग करना पड़ा.'

अपनी माताजी के साथ इल्मा अफरोज (इंस्टाग्राम इल्मा अफरोज)

डिबेट की प्राइज मनी से मिला सहारा

दिल्ली जैसे शहर में रह पाना इल्मा के लिए आसान नहीं था. गांव से शुरू हुआ संघर्ष दिल्ली में कॉलेज के दिनों में भी जारी रहा. संघर्ष के दिनों को याद कर इल्मा कहती हैं कि, 'दिल्ली में पढ़ाई के दौरान मैं डिबेट में हिस्सा भी लेती थीं. इससे मेरा शौक भी पूरा हो जाता था और यहां से मिलने वाली प्राइज मनी से मेरा खर्च भी चल जाता था, लेकिन पिता ने मुझे सिखाया कि ऐसी कोई चीज नहीं है कि जो मैं नहीं कर सकती. सबसे बड़ी बात उन्होंने मुझे अपनी जड़ों से जुड़े रहना सिखाया.'

इल्मा अफरोज का सफर (ETV BHARAT)

"बर्तन तक धोने पड़े"

शुरू से ही पढ़ाई में अव्वल रही इल्मा सफलता की ओर कदम दर कदम आगे बढ़ाती रही. दिल्ली के सेंट स्टीफन कॉलेज में पढ़ाई करने के बाद इल्मा ने विदेश से स्कॉलरशिप हासिल की और इंग्लैंड के ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के वुल्फसन कॉलेज में एमएससी में दाखिल लिया. इल्मा बताती हैं कि, 'इस दौरान पढ़ाई के साथ साथ रोजमर्रा के खर्च को पूरा करने के लिए उन्होंने कई तरह के काम किए जैसे बच्चों को पढ़ाना यहां तक कि बर्तन तक धोने का भी काम किया. विदेश में पढ़ाई के दौरान लोग मां को ताना देते हुए कहते थे कि वहां पढ़ाई के लिए गई तो वापस लौट कर नहीं आएगी, कहीं भाग जाएगी, लेकिन मां ने इन बातों पर ध्यान नहीं दिया. अब तक का सफर मुझसे ज्यादा मां का संघर्ष था.'

अपने गांव में इल्मा अफरोज (इंस्टाग्राम इल्मा अफरोज)

दिल्ली से लंदन, न्यूयॉर्क और फिर गांव लौटने का फैसला

ऑक्सफोर्ड में पढ़ाई के बाद इल्मा ने अमेरिका के न्यूयॉर्क शहर का रुख किया. यहां उन्होंने पढ़ाई के साथ-साथ नौकरी भी शुरू की, लेकिन उनका मन देश के लिए कुछ करने का था. इल्मा ने बताया कि, 'विदेश में नौकरी के दौरान भारत लौटने का निर्णय लिया. मेरी शिक्षा और अनुभव पर पहला हक मेरे अपने लोगों का है. मुझे विदेश में अच्छे ऑफर भी मिले, लेकिन मैंने अपना मन बना लिया था. मैं अपनी जड़ों से जुड़ने के लिए वापस गांव लौट आई थी.'

इल्मा अफरोज अपनी माताजी के साथ (इंस्टाग्राम इल्मा अफरोज)

भाई ने यूपीएससी के लिए किया प्रेरित

गांव लौटकर इल्मा के भाई ने उन्हें यूपीएससी की तैयारी करने के लिए प्रेरित किया और उनका हौसला बढ़ाया. आखिरकार उन्हें यूपीएससी में सफलता मिली. 2017 में इल्मा ने यूपीएससी की परीक्षा पास की थी. इल्मा बताती हैं कि, 'यूपीएससी में इंटरव्यू बोर्ड ने उनसे सवाल पूछा कि आपने 'भारतीय विदेश सेवा' क्यों नहीं चुनी, जवाब में मैंने कहा कि मैं यहां रहकर देश के लिए सेवा करना चाहती हूं. यहां पर अपनी जड़ों को सींचेंगे. जड़ें काट देंगे तो कैसे रहेंगे.'

इल्मा अफरोज (इंस्टाग्राम इल्मा अफरोज)

यूपीएसएसी अभ्यर्थियों को बताए टिप्स

यूपीएससी परीक्षा की तैयारी को लेकर उन्होंने कहा कि ये ऐसी परीक्षा है, जिसके लिए कोई स्पेशलिस्ट होना जरूरी नहीं है. ये भी जरूरी नहीं है कि एक सब्जेक्ट में आपको महारत हो, आपका नियमित रूटीन और अभ्यास होना चाहिए. आपके आस-पास क्या हो रहा इसकी जानकारी होनी चाहिए. रोजाना अखबार इसके लिए अच्छा सोर्स है. कॉपी पेन से नोट्स बनाने चाहिए. राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय करंट अफेयर्स की जानकारी होनी चाहिए. यूपीएससी के सिलेबस को ध्यान से पढ़ना चाहिए, ताकि ये पता चल सके कि आपने जो पढ़ा है उससे सिलेबस कवर हो रहा है या नहीं. पुराने प्रश्न पत्रों से भी काफी मदद मिलती है.

एक तेज तर्रार अफसर

मुरादाबाद के कुंदरकी गांव के किसान की बेटी की पहचान आज एक तेजतर्रार अफसर की है. हिमाचल प्रदेश के बद्दी की एसपी रहते हुए उन्होंने नशा तस्करों और खनन माफिया पर नकेल कसकर रखी. नवंबर महीने की शुरुआत में अचानक छुट्टी जाने पर वो सुर्खियों में है. वैसे हिमाचल प्रदेश हाइकोर्ट ने भी उनके तबादले पर रोक लगाकर रखी है. इल्मा अफरोज अपने एसपी ऑफिस में गरीब बच्चों को पढ़ाती भी हैं, ताकि जिस शिक्षा की बदौलत उन्होंने एक मुकाम पाया वो इन बच्चों को भी मिले.

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Last Updated : Dec 1, 2024, 12:11 PM IST

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