जयपुर.अंगूर एक रसीला फल होने के साथ-साथ औषधि भी है. मूर्च्छा यानी बेहोशी आने की शिकायत रहने वाले मरीज को अंगूर से बनी दाख (मुनक्का) और आंवले को समान मात्रा में लेकर, उबालकर पीसकर थोड़ा शुंठी का चूर्ण मिलाकर, शहद के साथ लेना चाहिए. ऐसा करने से बुखारयुक्त मूर्च्छा (बेहोशी) दूर हो जाती है. 25 ग्राम मुनक्का, मिश्री, अनार की छाल और खस 12-12 ग्राम को कूट कर 500 मिलीलीटर पानी में रात भर भिगो दें, सुबह मसल-छानकर, 3 खुराक बनाएं और दिन में 3 बार (सुबह, दोपहर और शाम) सेवन करे. इसके अलावा 100-200 ग्राम मुनक्का को घी में भूनकर थोड़ा-सा सेंधा नमक मिलाकर रोजाना 5-10 ग्राम तक खाने से चक्कर आना बंद हो जाता है.
सिर में दर्द का भी होता है इलाज :अंगूर से बनी मुक्का के 8 से 10 पीस लेकर 10 ग्राम मिश्री और 10 ग्राम मुलेठी तीनों को पीसकर नस्य देने से पित्त के विकार के कारण उत्पन्न सिर का दर्द दूर होता है. इसी प्रकार मुंह के रोग में मुनक्का के 10 दाने और 3-4 जामुन के पत्ते मिलाकर काढ़ा बना लें. इस काढ़े से कुल्ला करने से मुंह के रोग मिटते हैं. ऐसे ही कफ या अजीर्ण के कारण मुंह से दुर्गन्ध आती है, तो 5-10 ग्राम मुनक्का नियमपूर्वक खाने से दूर हो जाती है.
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नकसीर (नाक से खून आना) रुक जाएगा : अंगूर के रस को नाक में डालने से नाक की नकसीर यानी नाक से खून आना रुक जाता है. सीने में घाव होने पर मुनक्का और धान की खीले 10-10 ग्राम को 100 मिलीलीटर पानी में भिगों दें. 2 घंटे बाद मसल-छानकर उसमें मिश्री, शहद और घी 6-6 ग्राम मिलाकर उंगली से बार-बार चटायें. इससे सीने के घाव में लाभ होता है. यह उल्टी रोकने की यह दिव्य औषधि है. सूखी खांसी होने पर द्राक्षा, आंवला, खजूर, पिप्पली और कालीमिर्च इन सबको बराबर मात्रा में लेकर पीस लें.इस चटनी के सेवन से सूखी खांसी में लाभ होता है.