रांचीः झारखंड में 38 सीटों के लिए हो रहे अंतिम फेज के चुनाव ने प्रत्याशियों की धड़कन तेज कर दी है. क्योंकि इसी फेज का परफॉर्मेंस तय करेगा कि सत्ता की कुर्सी किसको मिलेगी. इसका फैसला बहुत हद तक कांग्रेस के प्रदर्शन पर केंद्रित होगा. क्योंकि 2019 के चुनाव में महागठबंधन के तहत कांग्रेस ने इन 38 सीटों में से 08 सीटों पर जीत दर्ज की थी.
राज्य बनने के बाद हुए चार चुनावों के दौरान कांग्रेस का ये अबतक का बेस्ट परफॉर्मेंस था. लेकिन इसबार कांग्रेस की 08 में से 05 सीटों यानी पाकुड़, जामताड़ा, जरमुंडी, बेरमो और झरिया में कांटे की टक्कर की संभावना जताई जा रही है. वहीं भाजपा अगर 2014 वाला परफॉर्मेंस दोहराने में सफल होती है तो सारा समीकरण बदल सकता है. क्योंकि 2014 में भाजपा ने इन 38 सीटों में से सबसे ज्यादा 19 सीटों पर जीत दर्ज की थी.
पिछले चार चुनावों के दौरान इन 38 सीटों में से झामुमो अधिकतम 13 सीटें ही जीत पाया है. वर्तमान में अंतिम फेज की 38 सीटों में से भाजपा के पास 13, आजसू के पास 03, झामुमो के पास 13, कांग्रेस के पास 08 और भाकपा माले के पास 01 सीट है. गठबंधन के लिहाज से देखें तो इंडिया ब्लॉक के पास 22 सीटें और एनडीए के पास 16 सीटें हैं.
सीएम के अलावा कई दिग्गजों की परीक्षा
इस फेज में कुल 528 प्रत्याशी मैदान में हैं. इनमें मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, चार मंत्री (हफीजुल हसन, दीपिका पांडेय सिंह, इरफान अंसारी और बेबी देवी), नेता प्रतिपक्ष अमर कुमार बाउरी, विधानसभा के अध्यक्ष रवींद्रनाथ महतो, पूर्व सीएम और भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी, सीएम की पत्नी कल्पना सोरेन, सीएम के छोटे भाई बसंत सोरेन, गुरुजी की बड़ी बहू सीता सोरेन की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है. इस फेज में 38 में से कुल 30 वर्तमान विधायकों (सीएम और मंत्री समेत) के भाग्य के फैसला होना है.