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खेलने को जूते नहीं, पिता ने रिक्शा चलाया, अब बेटी बनी वर्ल्ड चैंपियन, रुला देगी बिहार की मोनिका की कहानी - MONIKA SHAH

खो-खो चैंपियन मोनिका के जज्बे को सलाम है. कच्चे मकान से निकल मोनिका दुनिया मे छा गई. भागलपुर ही नहीं देश गौरवांवित हो रहा है.

KhoKho world cup winner monica shah
भागलपुर की मोनिका (ETV Bharat)

By ETV Bharat Bihar Team

Published : Jan 20, 2025, 6:50 PM IST

भागलपुर: कहते हैं हुनर किसी विपरीत परिस्थिति की मोहताज नहीं होती है और हौसले जब बुलंद हो तो मंजिल दूर नहीं होती है. दिल्ली में हुए खो-खो वर्ल्ड कप में भारतीय महिला टीम ने इस बात को साबित कर दिखाया है. एक सब्जी बेचने वाले और भागलपुर की बेटी मोनिका के नेतृत्व में भारतीय महिला टीम फाइनल मैच खेल कर विश्व विजेता बनी है. मोनिका की इस उपलब्धि पर केवल भागलपुर ही नहीं, पूरा देश गौरवांवित हो रहा है.

खो खो वर्ल्ड चैंपियन मोनिका:भागलपुर के नवगछिया अनुमंडल के गोपालपुर प्रखंड में डिमहा गांव निवासी बिनोद साह की बेटी मोनिका साह का घर आज भी मिट्टी और खपरैल का है. बेहद गरीब परिवार से आने वाली मोनिका के पिता कभी रिक्शा चलाकर तो कभी सब्जी बेचकर परिवार पालते हैं. खो-खो टीम की जीत और मोनिका के प्रदर्शन देखकर उसके पिता खुश हैं.

भारतीय खो-खो कप्तान मोनिका (ETV Bharat)

दुनिया में बिहार का मान बढ़ाया:खपरैल घर से निकलकर मोनिका ने देश और दुनिया में बिहार का मान बढ़ाया है. हालांकि अब तक बिहार सरकार ने उसकी कोई सुध नहीं ली है. पांच बच्चों में मोनिका शुरू से ही खेल में ही अपना करियर बनाना चाहती थी. उसके पिता ने भी विपरीत परिस्थिति के बावजूद उसे कभी रोका नहीं, बल्कि हमेशा उसका हौंसला बढ़ाया.

मोनिका का मकान मिट्टी और खपरैल का है (ETV Bharat)

हमलोग सब काफी खुश हैं:मोनिका के पिता बिनोद शाह ने बताया कि छठी क्लास से ही वह यहां पर पढ़ाई के साथ खेलती थी. हम लोग उन्हें मना करते थे कि पढ़ाई में ही तुम आगे बढ़ सकती हो. खेल में तुम्हारा करियर नहीं बन सकता फिर भी खेलते रही और आज वह विश्व विजेता टीम में शामिल होकर देश के लिए खेली. हमें विश्वास नहीं हो रहा कि हमारी बेटी चैंपियन बन गई है.

पिता दिल्ली में रिक्शा चलाया करते थे (ETV Bharat)

"अब हमें अपनी बेटी पर पूरा भरोसा है. पहले लगता था कैसे क्या करेगी खेल में कैसे आगे बढ़ेगी. फिर भी उसका रुझान खो-खो के प्रति था. उसके जीत से हमलोग सब काफी खुश हैं. जब मैच हो रहा था दूसरे के घर में टीवी पर देख रहे थे बहुत खुश हैं."- बिनोद साह, मोनिका के पिता

बेटी से फोन पर बात करते हुए मोनिका के माता पिता (ETV Bharat)

खेलने के लिए नहीं थे जूते: मोनिका की मां जुदा देवी बताती हैं कि एक समय ऐसा भी था कि मोनिका के पास खेलने के लिए जूता तक नहीं था. बावजूद इसके वह लगातार मेहनत और लगन से खेलती रही. उन्होंने बताया कि घर की माली हालत खराब हैं. उसकी मां लकड़ी चूल्हे पर रसोई बनाती हैं. परिवार को अब तक न तो प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ मिला है, और ना ही उज्ज्वला योजना का.

"खेतीबाड़ी और सब्जी बेचकर उसे आगे बढ़ाया. बहुत खुशी है वह जीतकर आगे बढ़ी है. कभी उसके पास जूता भी नहीं था अब आगे बढ़ रही है. घर हमारा जैसे तैसे है इसमे ही रहते हैं. आवास के लिए फॉर्म भरे, लेकिन नहीं मिला, न ही गैस सिलिंडर मिल सका है चूल्हा पर खाना बनाते हैं."-जूरा देवी, मोनिका की मां

चूल्हे पर खाना बनाती मोनिका की मां (ETV Bharat)

नेपाल को हराकर भारत खो-खो चैंपियन: बता दें कि खोखो वर्ल्ड कप का फाइनल मैच 19 जनवरी की रात दिल्ली में खेला गया था. चैंपियनशिप में भारत की टीम ने प्रतिद्वंद्वी नेपाल टीम को हराकर जीत हासिल की इस टीम में मोनिका ने शुरू से लीड दिलाई और आखिर में विजय हासिल किया. मोनिका ने इस मैच में 6 अंक हासिल किए. 13 तारीख से शुरू इस टूर्नामेंट में 11 नम्बर की जर्सी में मोनिका का बेहतर प्रदर्शन रहा.

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