नई दिल्ली:दिल्ली सरकार का परिवहन विभाग एक पोर्टल बना रहा है, जिसमें कैब एग्रीगेटर्स और डिलीवरी सर्विस देने वालों को अनिवार्य रूप से वाहन नंबर और ड्राइवर का विवरण दर्ज करना होगा. जानकारी के मुताबिक दिल्ली मोटर वाहन एग्रीगेटर और डिलीवरी सेवा प्रदाता योजना के तहत रजिस्ट्रेशन के लिए पोर्टल बनाया जा रहा है. दिल्ली मोटर वाहन एग्रीगेटर और डिलीवरी सेवा प्रदाता योजना के तहत इस ऐप को बनाया जा रहा है. जिसे बहुत जल्द ही इसे लांच किया जाएगा.
दिल्ली में कैब एग्रीग्रेटर्स के लिए सख्त होंगे नियम, जल्द ही ऐप लॉन्च करेगी केजरीवाल सरकार
Delhi Cab Aggregator Policy: कैब और डिलीवरी सेवाओं की अब दिल्ली सरकार निगरानी करेगी इसके लिए केजरीवाल सरकार पोर्टल लाने जा रही है. इस पोर्टल के जरिए सरकार को ऐप बेस्ड कैब और डिलीवरी सेवाएं देने वालों को रेगुलेट करने में आसानी होगी. वहीं सेवा से जुड़ी शिकायतों पर भी सरकार एक्शन सुनिश्चित कर सकेगी.
Published : Jan 24, 2024, 1:13 PM IST
अधिकारियों से मिली जानकारी के मुताबिक इस पोर्टल पर कैब एग्रीगेटर्स व डिलीवरी सेवा प्रदाताओं कंपनियों को अपने वाहनों का रजिस्ट्रेशन नंबर और प्रत्येक वाहन के ड्राइवर का पूरा विवरण डालना होगा. इसके लिए कंपनियों के साथ बैठक भी हो चुकी है, जिसमें पोर्टल के बारे में कंपनियों को विस्तृत जानकारी दी गई थी. योजना का मुख्य उद्देश्य यात्रियों और ग्राहकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एग्रीगेटर प्लेटफार्मों को सरकार के अधीन लाना है. इतना ही नहीं कैब एग्रीगेटर्स और डिलीवरी सर्विस देने वाली कंपनियों में इलेक्ट्रिक वाहनों के सामिल होने से वायु प्रदूषण में कमी आएगी. वायु प्रदूषण दिल्ली ही नहीं पूरे एनसीआर के लिए एक बड़ी समस्या है.
- यह भी पढ़ें-Explainer: ED के समन को ठुकराते रहे मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, कितना सही, क्या है नियम?, जानें
दिल्ली सरकार इलेक्ट्रिक वाहनों के संचालन पर ज्यादा जोर दे रही है. बता दें कि कैब एग्रीगेटर्स और डिलीवरी सर्विस योजना के तहत दिल्ली के अंदर सभी एग्रीगेटर्स, डिलीवरी सेवा प्रदाताओं व ई-कॉमर्स संस्थाओं के अपनी गाड़ियों वाहन बेड़े को 1 अप्रैल 2030 तक पूरी तरह इलेक्ट्रिक करना है. इस निर्धारित तिथि के बाद यदि कोई कंपनी डीजल या पेट्रोल वाहन चलाएगी तो उसका लाइसेंस निरस्त कर दिया जाएगा. इतना ही नहीं कंपनियों को अपने कंट्रोल रूम का कंट्रोल परिवहन विभाग को भी देना होगा. जिससे परिवहन विभाग वाहनों की निगरानी कर सके.