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सरगुजा की कविता ने अपनी मेहनत से लिखा खुद का मुकद्दर, पोल्ट्री फार्म को बनाया सोने का अंडा देने वाला धंधा

millionaire from poultry farming मुर्गी सोने का अंडा नहीं देती है ये हम सभी जानते हैं. पर जब किस्मत हम अपनी मेहनत से लिखते हैं तो कारोबार चाहे मुर्गे का ही क्यों नहीं हो बरकत देने लगता है. सरगुजा की रहने वाली कविता बराल ने ये साबित कर दिया है कि मुर्गी भी सोने का अंडा दे सकती है. kavita of Surguja

millionaire from poultry farming
सोने का अंडा देने वाली मुर्गी

By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Feb 23, 2024, 5:53 PM IST

Updated : Feb 24, 2024, 6:54 PM IST

सोने का अंडा देने वाली मुर्गी

सरगुजा: नारी शक्ति का वो नाम है जब वो ठान लेती है तो मिट्टी को भी सोना बना देती है. सरगुजा की कविता की जिंदगी मुफलिसी में चल रही थी. पैसे की तंगी के चलते परिवार में सुख शांति सब खत्म होते जा रही थी. बच्चे को अच्छे स्कूल में पढ़ाने और अफसर बनाने का सपना भी टूटता जा रहा था. पति का रोजगार भी मंदा चला रहा था. हालात कुछ ऐसे बने कि एक वक्त घर चलाना भी मुश्किल हो गया. कविता को एक दिन राष्ट्रीय शहरी एवं ग्रामीण आजीविका मिशन की जानकारी मिली. कविता न सिर्फ इस योजना से जुड़ी बल्कि उसने तीस चूजों से मुर्गी पालन का कारोबार भी शुरु किया.

जी हां सोने का अंडा देती हैं मुर्गियां !: कविता स्थानीय स्कूल में बच्चों को पढ़ाती भी थी. उसने बच्चों को पढ़ाने के साथ साथ खाली वक्त में मुर्गी पालन में कड़ी मेहनत की. कविता की मेहनत का ही नतीजा था कि उसका कारोबार देखते देखते बड़े फॉर्म में बदल गया. आज वो तीन बड़े बड़े फार्मों की मालकिन है. हर फार्म हाउस में चार से पांच हजार चूजों को रखा जाता है. परिवार का कहना है कि कड़ी मेहनत की बदौलत आज एक लाख की आमदनी आसानी से हो जाती है.

2016-17 में घर की बाड़ी में मुर्गी पालन किया था. शुरुआत में 30 चूजे पालकर प्रयास किया जिससे समझ में आया की इस काम में मुनाफा संभव है. इनकी आर्थिक स्थिति बेहद खराब थी. कच्चे का घर था बच्चों को स्थानीय स्कूल में ही पढ़ा रही थी. लेकिन एनआरएलएम योजना से लोन लिया और मुर्गी पालन का काम शुरू किया. आज बड़े बड़े 3 फार्म हैं, एक फार्म में 4 हजार से 5 हजार चूजो की क्षमता महीने में इससे 1 लाख की आमदनी हो जाती है, हालाकी बाजार में मुर्गे का रेट अच्छा मिलने पर कमाई बढ़ भी जाती है, लेकिन कई बार रेट कम होने पर नुकसान भी बड़ा होता है" "अब स्थिति काफी अच्छी है, पति मुर्गे के 2 रिटेल काउंटर चलाते हैं, मैं कपड़े की दुकान भी घर में चलाती हूं, गाय पालन भी करते हैं. इन सबसे भी अच्छी आमदनी हो रही है. पक्के का मकान बना लिया है. बच्चों को अच्छे स्कूल में पढ़ा रहे हैं. अब जीवन काफी अच्छा हो गया है. मैं और मेरे पति दोनों ही इस काम में लगे रहते हैं कोई भी नौकरी नही करता है. जरूरी नही की हम नौकरी ही करें व्यवसाय करके भी अच्छी आमदनी की जा सकती है - कविता बराल, साई बाबा स्वयं सहायता समूह

रंग ला रही कलेक्टर की मेहनत: सरगुजा संभाग में अकेली कविता बराल ही नहीं है जो स्व सहायता समूह बनाकर और लोन लेकर अपने परिवार का भविष्य संवार रही है. कविता जैसी सैंकड़ों महिलाएं हैं जो अपनी तकदीर आज खुद लिख रही हैं. जरुरत बस इस बात की है कि मन में कुछ करने का हौसला होना चाहिए. कविता बराल को भी हौसला किसी और से नहीं बल्कि तत्कालीन कलेक्टर ऋतु सेन से मिली. कलेक्टर की की ही सोच थी कि सरगुजा संभाग में हर महिला को एक दिन आत्मनिर्भर बनाना है.

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Last Updated : Feb 24, 2024, 6:54 PM IST

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